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घनसाली:- घनसाली बाजार में गुरुवार को अंकिता भंडारी हत्याकांड की तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। लोगों ने दीप प्रज्वलित कर व पुष्प अर्पित कर अंकिता को याद किया। इस अवसर पर वक्त...




वरिष्ठ कवि विष्णु प्रसाद सेमवाल की कलम से
आजकल गाँव में त्रिस्तरीय चुनाव की घोषणा होते ही गाँव में प्रत्याशियों की संभावनाओं की गणित की चर्चाएँ घर वासियों और प्रवासियों की मोबाइल के साथ-साथ संचार के सभी माध्यमों पर सक्रिय हो जाती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जैसे ही चुनावी घोषणा होती है और प्रत्याशियों का प्रकटीकरण आरंभ हो जाता है, दूसरे दिन भरतु की ब्वारी गाँव आई, तो फिर सुरतु की ब्वारी और मूर्ति की ब्वारी भी चुनाव लड़ने के लिए कमर कस कर गाँव में आ गईं। कहीं-कहीं यह भी गठबंधन हो रहा है कि प्रधान के लिए यदि तुम्हारी ब्वारी उठेगी तो क्षेत्र पंचायत के लिए हमारा कैंडिडेट उठेगा, और जिला पंचायत के लिए उसे उठाएंगे जो हम दोनों के अनुसार होगा।
सारी जोड़-तोड़ की गर्मी इसलिए थोड़ी ठंडी हो गई कि कोर्ट ने ब्रेक लगा दिया। अब जो जितनी जल्दी गाँव में चुनाव लड़ने आए थे, वे उतनी जल्दी वापस चले गए, क्योंकि नीचे वाला घर अधिक दिनों के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है — वह शहर वाले घर में चोर–डकैती आ सकते हैं। गाँव के घर में हमारे अलावा कोई नहीं आएगा। गाँव का घर पीतल की नाक की फुल्ली की तरह है; जब चुनाव नज़दीक होता है तो सोने की फुल्ली की भाव में प्रत्याशियों की कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि वही टूटा मकान उन्हीं बंजर खेती का है। हैसियत प्रमाण पत्र जारी करने के बाद ही उसकी पहचान गाँव की होती है — उस गाँव की जमीन की कीमत हमारे लिए अन्य समय पर कुछ नहीं होती, परन्तु इन्हीं मौकों पर हमें अपने पूर्वजों की संपत्ति — जमीन-जायदाद — हमें जनप्रतिनिधि बनने की योग्यता प्रदान करती है।
घनसाली:- घनसाली बाजार में गुरुवार को अंकिता भंडारी हत्याकांड की तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। लोगों ने दीप प्रज्वलित कर व पुष्प अर्पित कर अंकिता को याद किया। इस अवसर पर वक्त...