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अस्मिता और स्वाभिमान के लिए रसूखदारों से मुकाबला करते अंकिता ने दी अपनी कुर्बानी: भारती रावत

04-10-2022 05:06 AM

घनसाली:- 

    विगत दिनों से देश विदेशों में उत्तराखंड उत्तराखंड चर्चाओं का केंद्र बिंदु बना है, इन्हीं सब मुद्दों को लेकर भिलंगना विकास खंड की क्षेत्र पंचायत सदस्य और समाजसेवी भारती रावत ने अपने तीखे शब्दों में सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उत्तराखंड में सरकारी नौकरी भर्ती घोटाला सबसे ज्वलंत मुद्दा बन गया था, सरकार भी असमंजस की स्थिति में आ गई थी. लेकिन 18 सितम्बर को ऋषिकेश के रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने वाली उतराखंड की बेटी अंकिता भंडारी की रहस्यमय मौत ने भर्ती मुद्दा पीछे कर दिया और सभी युवा संगठन इस मुद्दे पर आगे आ गये. इस मुद्दा से पूरा उत्तराखंड में इसलिए उबाल है कि एक रसूकदार नेता का लड़का अपने रिसोर्ट में वीआईपी लोगों के लिए अय्याशी का गोरखधंधा चलाता था और अपने यहाँ काम करने वाली गरीब लडकिया पर दबाव बनाने की भी कोशिश करता था .18 तारीख़ को इसने अपने सहयोगियों के साथ ऐसा करने के लिए अंकिता भंडारी पर दबाव बनाया लेकिन उत्तराखंड की गरीब बेटी ने अपनी अस्मिता और स्वाभिमान के लिए इन रसूखदारों से मुकाबला करते हुए अपनी कुर्बानी दे दी।

    इस घटना की छानबीन और कार्यवाही के तरीके से उत्तराखंड के युवा, जागरूक जनता और उत्तराखंडी मीडिया संदेह में है कि दोशी रसूकदार व्यक्ति होने के कारण जांच और कार्यवाही का तरीका दोषियों को कठोर दंड देने के बजाय बचाने का दिख रहा है।

    भारती रावत ने कहा कि इस प्रकार आये दिन उत्तराखंड की ऐसी अनेकों घटनाएं रसूकदार और दबंग लोगों की पहुँच से दब जाती हैं. यहाँ भ्रष्टाचार आम और व्यवस्था का हिस्सा बन गया. कुछ लोग सत्ता को बपौती समझकर ऐशों आराम और अयाशी का हथियार समझ बैठते हैं।

    आज प्रदेश के समस्त युवाओं और तीस से ज्यादा सामाजिक संगठनों द्वारा 2 अक्टूबर को उतराखण्ड बंद रखा गया, ताकि देवभूमि के नाम से जानी जाने वाली भोली भाली जनता के साथ राजनीतिक रसूकदार लोग छलावा करने से बाज आये और यहाँ की बेटियों की अस्मिता को सर्वोच्च संरक्षण दें।

    वहीं उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर का दिन राष्ट्र गांधी, शास्त्री जयंती के रूप में मनाता है लेकिन 2 अक्टूबर 1994 के बाद से उतराखंड के गैर राजनीतिक दल इसे शहादत दिवस के रूप में मनाते हैं कयोकि इस दिन रामपुर तिराहे पर उतराखंड राज्य आंदोलनकारी महिलाओं की अस्मिता के साथ जघन्य अपराध हुआ था। इसलिए हर व्यक्ति आज किसी न किसी रूप में अपने आहत हुई भावना को प्रदर्शित करे ताकि राजनीतिक लोग सत्ता को जनता की सेवा का पद समझे न कि कुछ लोग ऐसों आराम और अयाशी का हथियार। 

    अंकिता कांड उतराखंड के लिए दिसम्बर 2012 के निर्भया कांड जैसा विशेष कर इसलिए है, कयोकि यह रसूकदार ब्यक्तियों द्वारा उतराखंड की स्वाभिमानी गरीब बेटी के साथ हुआ। 


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