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घनसाली- भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर बग्वाल को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।मुख्य दीपावली के ठीक एक माह बाद 30 नवंबर को टिहरी जिले के थाती कठूड़ के लोग मंगशीर की दीपवाली (बग्वाल) मनाएंगे। दीपाव...
न्यूज डेस्क:-
सृष्टि के सबसे बड़े और अद्भुत शिल्पकार एवं प्रजापति ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्माजी का प्राकट्य दिवस हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है, इस बार 17 सितंबर,शनिवार को मनाया जाएगा। विश्वकर्माजी दुनिया का पहले शिल्पकार,वास्तुकार और इंजीनियर थे। ऐसी मान्यता है कि जब ब्रह्राा जी ने सृष्टि की रचना की तो निर्माण का कार्य इन्हें सौपा था। पौराणिक प्रसंगों के अनुसार ब्रह्मा जी के निर्देश पर ही विश्वकर्माजी ने इंद्रपुरी,त्रेता में लंका,द्वापर में द्वारिका एवं हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथपुरी आदि का निर्माण किया था। इसके अलावा श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र,शिव जी का त्रिशूल,पुष्पक विमान,इंद्र का व्रज को भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था। विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों,निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों,दुकानों,कारखानों आदि की पूजा की जाती है। इसके साथ ही साथ विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना गया है।
इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में लगी हुई मशीनों की पूजा की जाती है। इस दिन वाहन पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति प्राप्त होती है।इनकी पूजा करने से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और व्यापार या निर्माण आदि जैसे कार्यों में आने वाली मशीनें,वाहन आदि कभी खराब नहीं होते हैं।
घनसाली- भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर बग्वाल को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।मुख्य दीपावली के ठीक एक माह बाद 30 नवंबर को टिहरी जिले के थाती कठूड़ के लोग मंगशीर की दीपवाली (बग्वाल) मनाएंगे। दीपाव...