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लोकतंत्र के मन्दिर में भक्तों के दर्शन !

07-08-2023 06:56 AM

विष्णु प्रसाद सेमवाल भृगु 

यह जग विख्यात है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रिक देश है और यहां का संविधान हमारा सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है और लोकसभा हमारा सबसे बड़ा राष्ट्र मन्दिर है इस बात को भारत में  न्यायपालिका , कार्यपालिका और विधायिका   समान रूप से स्वीकार्य है हर व्यक्ति स्वीकार करता है कि बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर द्वारा रचित  संविधान हर भारतीय वासियों की आत्मा है और लोकसभा राष्ट्र मन्दिर है और इस मन्दिर में जो भी लोकसभा , राज्य सभा में जनता द्वारा निर्वाचित सांसद उस राष्ट्र मन्दिर के पुजारी और संविधान के उपासक हैं इन महानुभावों के द्वारा किए गए आचरण , जनता के हित में किये जाने वाले जनहित कार्य , और समग्र राष्ट्रीय छवि हमारे जननायक जो लोक सभा में , विधानसभा में चयनित होकर जाते उन्हीं कार्य प्रणाली के आधार पर जनता और राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित होता है पक्ष और विपक्ष भी राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं एक पक्षीय सरकार का होना भी राष्ट्र हित मे सुदृढ़ नहीं माना जा सकता है, विपक्ष भी सरकार की उन त्रुटियों के लिए लडती है जो उन्हें जनहित में दोषपूर्ण लगती है और आज तक पक्ष विपक्ष की नोंक झोंक हम कही दशकों से सुनते आए हैं किन्तु कुछ वर्षों से लोकतंत्र के मन्दिर में जो सत्र रुपी अनुष्ठान हमारे सांसदों द्वारा राष्ट्र एवं प्रजा हित में किया जा रहा है उससे जनता में मतिभ्रम की स्थिति पैदा हो गई है कि इस मन्दिर में जिस तरह से दिन प्रतिदिन सत्र वहिष्कार हो हल्ला शोरगुल हो रहा है यह राष्ट्र एवं जनहितकारी है कि राष्ट्रीय धन ,समय और लोकतंत्र की व्यवस्था का दुष्प्रयोग है सुना जाता है कि संसद सत्र में एक एक मिनट में लाखों रुपए खर्च होते हैं सरकार की कार्यपालिका और विधायिका के हजारों लोग इस दौरान सत्र संचालन हेतु कार्यरत रहते हैं माननीय सांसदों को सत्र संचालन लाभ के साथ अनेक सुविधाएं उपलब्ध होती है किन्तु आम जनता आज यह तय नहीं कर पा रही है कि क्या हमारे सांसद इतने दिनों से सत्र वाधित हो रखा उस समय का बेतन और अन्य सुख सुविधाएं इस समय इस लिए छोड़ सकते हैं कि मणिपुर पश्चिम बंगाल , राजस्थान मध्यप्रदेश, हरियाणा आदि अनेक प्रदेशों में जो घटनाएं घटित हुई उसके वनिस्पत हम दुखी हैं और लोकतंत्र की रक्षा हम नहीं कर सके इस लिए हम कोई वेतन भत्ते की दावेदारी नहीं करते हैं यदि हमारे नेताओं में वास्तविक जनता की पीड़ा राष्ट्र भक्ति की भावना और कुर्सी की मोहमाया त्याग कर  वर्तमान सरकार का विरोध पवित्र मन से किया जा रहा है आज हमारे नेताओं के क्रियाकलापों को जनता बहुत तीक्ष्ण दृष्टि से देख रही है सत्ता पक्ष के द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा भी जनता कर रही है और विपक्ष के द्वारा किया जा रहा गठबंधन , चारों तरफ से मोदी बिरोध , सरकार के नो वर्षों के काम का विरोध और तुष्टिकरण की पराकाष्ठा की समीक्षा सारा जनमानस कर रहा है सबसे बड़ी बात पहली बार दिखाई दे रही है कि नेता सड़कों पर आंदोलित है और पक्ष /विपक्ष  खिलाड़ी बनकर मतदाता रूपी गेंद को अपने पाले पर लाने के लिए अपने वर्षों पुराने प्रतिद्वंद्वियों को गले लगाने पर बिवश है और जनता सत्ता पक्ष सरकार द्वारा किए गए कार्यों और बिपक्षियों के सरकार बिरोधी एजेंडे की अम्पायरिंग कर द्रष्टाभाव से समीक्षा कर रही है एक कर्मचारी के बिमार होने पर अथवा दुर्घटना ग्रस्त होने पर उनका मासिक बेतन काट दिया जाता है या उससे मेडिकल मांगा जाता है आज कल हर क्षेत्र दैवी आपदा ग्रस्त हैं अनेक स्थानों में भारी जानमाल की क्षति हुई हर सांसद का नैतिक कर्तव्य है कि अपने अपने क्षेत्रों की आपदाओं से सरकार को अवगत कराया जाना चाहिए था मणिपुर की घटनाएं राष्ट्र के लिए शर्मशार करने वाली घटना है किन्तु इस समय जो हरियाणा में तथा इससे पूर्व पश्चिम बंगाल राजस्थान मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और किसान आंदोलन के दौरान जो दिल्ली में घटना घटित हुई वह भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी सुखद और प्रसशनीय उपलब्धी नहीं कही जा सकती है इस समय जनहितैषी संवेदनशील नेताओं से आग्रह किया जा सकता है कि जिन जिन प्रदेशों में इस समयावधि में घटनाएं घटित हुई उनकी श्रद्धांजलि के रूप इस महिने का वेतन और सत्र वाधा के कारण कोई लाभ भत्ता स्वीकार नकर पीड़ित परिवारों में बितरण करें ताकि देश की जनता जनार्दन को महसूस हो सके कि वास्तव में आपकी लड़ाई जनहित में है व्यक्तिगत हित में नहीं है इसका सारा श्रेय चुनाव में जनता अपने नम्बर देगी ।


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