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चंद्रशेखर पैन्यूली की कलम से
आज ज्येष्ठ संक्रांति है,विभिन इलाकों में इसको अपने अपने रीति रिवाजों से मनाने का प्रचलन है, हमारे गढ़वाल में इस संक्रांति को घवेड सँकराद के रूप में मनाने का प्रचलन है, बचपन में हमे इस संक्रांति का बड़े बेसब्री से इंतजार रहता था, कारण दो थे, पहला कारण था कि आज घवेड खाने को मिलेंगे जिसका कि मन में एक विशेष उत्साह होता था, और दूसरा महत्वपूर्ण कारण था कि आज के ही दिन हमारे स्कूल के गृह परीक्षाओं के रिजल्ट भी आते थे,आज समय बदल गया है न अब पहाड़ो में घवेड का लोग बेसब्री से इंतजार करते है और न ही अब इस दिन स्कूल का रिजल्ट आता है,घवेड से मतलब आज के दिन पूड़ी कचोड़ी बनायी जाती है हमारे गढ़वाल की स्थानीय भाषा में इसको स्वांला ,पकोड़ा कहा जाता है पर सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण होता था जब छोटे बच्चों के गले में एक विशेष डिजाइन का पकोड़ा बनाकर टांगते है जिसे कि हम घवेड कहते हैं, आज ज्येष्ट संक्रांति पर बचपन की तमाम स्मृतियां ताजा हो गयी, पहाड़ो के रीति रिवाज और आज घवेड के दिन की तमाम यादें मेरे जेहन में है,बड़ी बात ये है कि आज घवेड के दिन सभी लोग चाहे वो कैसी भी आर्थिक स्थिति में हो , अमीर हो गरीब हो घवेड जरूर बनाता था,आज बेशक मेरे पहाड़ से पलायन हो रहा है लोग अपने रीति रिवाज भूलते जा रहे हैं पर जो मजा और उत्साह घवेड संक्रांति का मेरे बचपन में था वो आज 5 स्टार होटलों के खाने में भी नही आता है,बहरहाल हमारी संस्कृति व रीति रिवाजों के तहत ज्येष्ठ संक्रांति पर आपको घवेड की बहुत बहुत बधाई,साथ ही आपको ज्येष्ठ महीने के पहले मंगलवार यानि जेठा मंगलवार पर भी बहुत बहुत बधाई,भगवान बजरंगबली हनुमान जी सभी के दुखों का विघ्न बाधाओं का नाश करें और सभी का कल्याण करें,ऐसी कामना करता हूं,सभी का जीवन सुखमय और मंगलमय हो।पुनः आपको ज्येष्ट संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।
चन्द्रशेखर पैन्यूली
प्रधान लिखवार गांव
प्रतापनगर टिहरी गढ़वाल।
सिरदर्द से न हो परेशान, यहां मिलेगा उचित समाधान : डॉ शालिनी मिश्रा दौड़ भाग की ज़िंदगी में अक्सर लोगों में सिरदर्द की सबसे अधिक समस्याएं देखने को मिलती है, यहां तक कि आज के दौर में हर तीसरा व्यक्ति सिरदर्द य...