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घनसाली:-
ऐ स्वान मेरे! तू फिर से अपनी,
स्वामी भक्ति याद दिला गया।
कर उत्सर्ग तू निज प्राणों का,
अपना फर्ज निभा गया।।
विगत दो-तीन माह से उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल के अंतर्गत घनसाली नगर में, कई मवेशियों का शिकार कर, आम जनमानस में भय और आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार को आखिरकार कल रात, एक कुत्ते के शिकार करने के लालच में जबरदस्त खूनी संघर्ष से दो चार होना पड़ा।
कई घंटों तक चली इस लड़ाई में जीत तो अंतत: गुलदार की ही हुई। मगर कुत्ते के द्वार दिए गए जख्मों का उसे ताउम्र मलाल रहेगा। क्योंकि कुत्ते के साथ हुए इस भीषण संघर्ष में गुलदार भी अप्रत्याशित रूप से घायल होकर उसकी चेन में कुछ इस तरह से फंसा कि कहीं भाग ही न सका। और आखिरकार एक रेस्क्यू ऑपरेशन के द्वार वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गया।
ज्ञात हो कि कल दिनांक 09/10/2022 को रात 11:00 बजे के लगभग घनसाली नगर स्थित गैस एजेंसी के निकट गुलदार महोदय जैसे ही रोज की भाँति भोजन की तलाश में निकल ही रहे थे कि, अचानक उसे ,कुत्ते की भौंकने की आवाज सुनाई दी।
अपने मनपसंद भोजन की भीनी सी महक और मनमोहिनी आवाज को सुनकर गुलदार के मुहँ में पानी आ गया। पानी का बेग कुछ यूँ था कि ,कुत्ते को पकड़ने के लिए वह एक मकान की दूसरी मंजिल तक चला गया और वहाँ, चेन पर बंधे कुत्ते के साथ उसका जमकर द्वंद्व युद्ध हुआ, जिसमें कुत्ते को अपने प्राण तो गंवाने पड़े, किंतु उसने भी बाघ को गम्भीर रूप से घायल कर ,वन विभाग के अधिकारियों के सुपुर्द, करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर , घनसाली नगर को गुलदार के भय से मुक्त करा दिया।
सुबह सबेरे यह खबर पूरे नगर में जंगल की आग की तरह फैल गई। दोनों योद्धाओं को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। क्या बच्चे क्या बूढे क्या युवा,यहाँ तक कि महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। उस विशाल जन सैलाब में शामिल होकर मैंने भी उस बहादुर कुत्ते के दर्शन किए। जो कि एक महान योद्धा की भाँति युद्ध भूमि में अपना शरीर छोड़कर वीरगति प्राप्त कर चुका था।
कुत्ते की बहादुरी के चर्चे हर आदमी की जुबान पर थे। सब ने कुत्ते के अंतिम दर्शन किए और नम आंखों से उसे विदाई दी, कुत्ते का यह सर्वोच्च बलिदान हम सब की स्मृति पटल पर अनंत काल तक बना रहेगा।।
बेलीराम कनस्वाल की कलम से--
भेट्टी, ग्यारहगांव, टिहरी गढ़वाल, उतराखण्ड।
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