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हुनर बोलता है! सीमांत गांव कांगड़ा से देश की प्रथम आईआईटी संस्थान बैंगलुरू तक पहुंचा टिहरी का विनोद पंवार।

01-05-2023 05:56 PM

हुनर बोलता है!

सीमांत गांव कांगड़ा से देश की प्रथम आईआईटी संस्थान बैंगलुरू तक पहुंचा टिहरी का विनोद पंवार।  

विनोद शाह की कलम से:- 

    एक ऐसी ही कहानी है एक लड़के की जो सुदूरवर्ती क्षेत्र भिलंगना ब्लॉक के ग्राम सभा काँगड़ा से आता है। ये कहानी एक पीएचडी स्कॉलर (शोधकर्ता छात्र) विनोद पंवार पुत्र भरत सिंह पंवार, वर्तमान ग्राम सभा काँगड़ा के प्रधान संजय सिंह पंवार के भाई की है। बता दें कि हाल ही में विनोद पंवार आधुनिक शोध के छेत्र में 2D Materials और उसके उपयोग उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा भण्डारण प्रणाली में अभूतपूर्व काम की सफलता के लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय समाचार पत्रिकाओं में सुर्खियां बटोर रहे हैं।

    उनके इस सराहनीय काम जो विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत स्थान प्राप्त करने वाली पत्रिका ACS Energy Letters, 2023 में प्रकाशित हुआ है, को कई राष्ट्रीय मुख्यधारा के समाचार पत्र ( ३१ मार्च २०२३ को The Hindu, ३१ मार्च २०२३ को Times of India, 3 अप्रैल २०२३ को रिपब्लिक भारत, १४ अप्रैल २०२३ को IEEE Spectrum, १५ अप्रैल २०२३ को Deccan Herald, १ अप्रैल २०२३ को Hindustan Times, १ अप्रैल २०२३ को CNBC TV 18) व कई अन्य राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय विज्ञान के क्षेत्र में पत्रिकाएं पहले ही उनके इस काम कि प्रशंसा कर चुके हैं। विनोद पंवार वर्तमान में भारत के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर में अपनी पीएचडी कर रहे हैं। Times of India और The Hindu में प्रकाशित लेख के अनुसार विनोद पंवार द्वारा किये गए कार्य का संभावित उपयोग स्ट्रीट लाइट से लेकर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक कारें और चिकिस्ता उपकरणों में किया जाएगा।

    बता दें कि विनोद पंवार की यह सफलता की यात्रा आसान नहीं थी, वे उत्तराखंड के टिहरी जिले में भिलंगना ब्लॉक के दूरस्त ग्राम काँगड़ा में पले-बढ़े हैं, जहाँ आज भी लोग सामान्य सुबिधायें जैसे अच्छी सड़क, बिजली और पानी की मांग कर रहे हैं। इन बाधाओं के बावजूद, वह सफल होने के लिए दृढ थे और अटूट समर्पण और मेहनत के साथ उन्होंने अपनी शिक्षा का पीछा किया |

    विज्ञान और प्रोधौगिकी के प्रति अपनी दृढ़ता और कड़ी मेहनत के कारण, उन्हें अंततः देश के सबसे प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान में प्रवेश मिला | विनोद ने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय हल्सी काँगड़ा से की है। सरस्वती विद्या मंदिर श्रीकोट चमियाला से हाईस्कूल और राजकीय इंटर कॉलेज लाटा चमियाला से अपनी इंटरमीडिएट किया। इसके बाद उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से इंजीनियरिंग (B. Tech) की पढाई पूरी की। विनोद बताते हैं कि B.Tech के दौरान उन्हें उनके कई सारे प्रोफेसर, कॉलेज सीनियर ने काफी प्रभावित और प्रेरित किया, उनमे से Prof. योगेंद्र प्रताप पुंडीर, Prof. प्रशांत थपलियाल, Prof. गंभीर सिंह कठैत, Prof. N. S. पंवार, Prof. B.S भंडारी तथा उनके कॉलेज सीनियर Er. अरुण रावत और Er. आशीष बिष्ट खास तौर पर हैं।

    विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उनका जुनून शानदार है। एक किसान परिवार से आने और सीमित संसाधन के होते चलने के कारण अपने जुनून को पाने के लिए उन्हें मालूम था कि यहां से केवल एक ही रास्ता मुझे आगे ले जा सकता है और वो था कड़ी मेहनत और धैर्य का रास्ता। गांव में पालण-पोषण के कारण वे जीवन की सरल और धीमी गति के अवधारणा को समझते थे, जिसने अंततः उन्हें सिखाया की कड़ी मेहनत और दृढ संकल्प तथा धैर्य के बिना कुछ भी हासिल करना असंभव है।

    विनोद कहते है कि वह दूसरे विद्यार्थियों को भी अपने सपनो का पीछा करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं, तब चाहे उनकी यात्रा कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो। विनोद पंवार की यह कहानी दृढ़ता की शक्ति और हर व्यक्ति के साथ निहित क्षमता के प्रमाण के रूप में कार्य करती है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या परस्थितियां कैसी भी हो । उनका अभूतपूर्व कार्य पूरी घाटी भिलंगना ब्लॉक से होकर पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का स्रोत है, और उनकी ये यात्रा हर जगह वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य करेगी ।


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