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भारतीय राजनीति में भीड़ है इतनी, दिल हैं अकेले - विष्णु प्रसाद सेमवाल

21-07-2023 08:31 PM

शीर्षक:- भीड़ है इतनी, दिल हैं अकेले ।

लेखक:- विष्णु प्रसाद सेमवाल "भृगु"
            भारतीय राजनीति में इस समय बहुत बड़ा बैचारिक संक्रमण का दौर चल रहा है और सबसे बड़ी बात यह कि हर  राष्ट्रीय पार्टियां और क्षेत्रीय, दल अपने को अधिकाधिक जन हितैषी , राष्ट्रवादी और देशभक्त कहकर जनता जनार्दन को रिझाने पर लगे हैं क्षेत्रीय पार्टियों और दलों का जन्म राष्ट्रीय पार्टियों के उपेक्षा से तथा सौतेला पन और भ्रष्टाचार के बिरोध में इन दलों का जन्म हुआ हर दलों की क्षेत्रीय आवश्यकता के हिसाब से नियमावली होती है और राष्ट्रीय पार्टियां राष्ट्रीय और क्षेत्रीय बैधानिक दृष्टिगत नियमावली बनाते हैं क्षेत्रीय दल अपनी मांगों और शर्तों के आधार पर राष्ट्रीय पार्टियों से गठबंधन करते हैं किन्तु ,,आम आदमी पार्टी,, एक ऐसी पार्टी थी जिसने भारतीय राजनीति में जितनी चुनाव लडने वाले नेता हैं उन सबको भ्रष्ट और नीच , निकम्मे बताकर और जनता को यह वचन दिया कि हम  इन भ्रष्ट लोकतांत्रिक व्यवस्था में आमूल परिवर्तन करने वाली पूर्ण रूप से न ई दशा , दिशा और दृष्टि बदलने वाली पार्टी होगी हमारी मान्यता लोकपाल , लोकायुक्त और लोकमत आधारित खास पार्टी होगी और आज वास्तव में आम आदमी पार्टी सब  बिपक्षी दलों में एक होने के लिए ,,खास पार्टी की भूमिका अदा कर रही है आज यह पता नहीं हो पा रहा है कि कोलकाता में वामपंथी , कांग्रेस और तृणमूल की मैत्री/उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और सपा , बसपा का मन मैत्री और गठमैत्री /दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मनमैत्री  होगी? और उससे अधिक अब पक्ष वाली पार्टी का नाम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और बिपक्ष के दल का नाम हो गया इण्डिया ,I,n,d,aके नाम से  संयुक्त मोर्चा बना अब बिषय रोचक इस लिए हो गया कि एक ,, भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और दूसरा ,I,n,d,aइण्डिया गठबंधन मोर्चा  अब बिपक्षी मोर्चा भारतीय जनता पार्टी वाले गठबंधन को धमकाने लगे हैं कि यदि  I ndiaके बारे में कुछ कहोगे तो यह इण्डिया का अपमान होगा जिसे हम नहीं होने देंगे अब यदि यह गठबंधन जीत जाता है तो india जीतेगा और यदि हार गया तो मोर्चा हारा कि india यह एक लोक प्रतिष्ठा का बिषय बनाकर भावनात्मक प्रचार प्रसार के रूप में होगा यद्यपि जिस बात की चर्चा हम कर रहे हैं ऐसा नहीं कि इस नाम की समीक्षा घटक दलों में न हुई हो , अवश्य हुई होगी और जब मोदी जी के सामने किसी कद्दावर व्यक्ति का नाम चुनाव समर में ऐसा नहीं है जो नरेन्द्र मोदी जी का बिकल्प मतदाताओं के समक्ष रख सके और सबसे खास बात यह है कि जनता मोदी जी के बिरोध में आन्तरिक रूप में कहीं नहीं है आज जनता सड़कों पर नहीं अपितु बिपक्षी पार्टियां और क्षेत्रीय दल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए अनेक मतमतान्तर होने के बाद भी एक गठबंधन बनाकर मोदी बिरोध में इस प्रकार साथ में हैं जैसे मधुमेह के रोगी को मिठाई की दुकान पर बिठाकर यह कहें कि हमें आप के ऊपर पूरा भरोसा है कि आप हमारी अनुभूति के मिठाई का भक्षण नहीं करेंगे जबकि मिठाई न खाना उनकी जीवित रहने की मजबूरी है यदि वे एक टुकड़ा भी खायेंगे तो स्वयं को खतरा पैदा होगा इसलिए हर विपक्ष में अपने अस्तित्व की लड़ाई है विपक्षी दलों, और नेताओं ने अपने आप में एक प्रश्न आप ही खड़ा कर दिया कि india नाम अंग्रेज सरकार के द्वारा रखा गया जबकि भारत नाम पुराणोक्त जड़ भरत ऋषि के नाम से प्रसिद्ध है अब आगे की लड़ाई स्वतः ही जनभावना में द्वैत खड़ा हो जायेगा कि हमें भारतीय जनता पार्टी वाले गठबंधन को मतदान करना चाहिए जो हमारी सनातन संस्कृति के विचार और व्यवहार को अपनाते हैं अथवा कांग्रेस गठबंधन वाले india  अंग्रेजियत में पले, पोषे और पढ़ें,लिखे संस्कारित जो हिन्दू विचारधारा को भगवा आंतकवाद की संज्ञा देते हैं इस समय राजनैतिक मोड़ बड़े उफान पर है 2024 आते आते कौन पार्टी किसदल को अपना खेवनहार बनाती यह देखना दिलचस्प इसलिए होगा कि कभी क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय पार्टियों के आगे नतमस्तक रहते थे और आज मोदी जी ने उन राष्ट्रीय पार्टियों की बैसाखी  क्षेत्रीय दल बनाकर रख दिया जिन्हें कभी सम्पूर्ण प्रभु सत्ता का मालिक अपने अलावा दूसरे को नहीं समझते थे आज उन्हें क्षेत्रीय दलों की सारी शर्तें स्वीकार करनी पड़ रही है इसीलिए कहा जाता है कि,,सब दिन होत न एक समान,,

          बिष्णु प्रसाद सेमवाल भृगु


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