ताजा खबरें (Latest News)
आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने दी भूखहड़ताल की धमकी आपदा के एक माह बाद भी नही हो रही सुनवाईपंकज भट्ट- घनसाली:- विकास खंड भिलंगना के सीमांत गांव गेवाली में आई प्राकृतिक आपदा के एक माह बाद भी प्रभावित ग्रमीणों की समस...
विष्णु प्रसाद सेमवाल की कलम से:-
आज हम उत्तराखण्ड के विकास के लिए कितना ढिंढोरा पीटें परन्तु बिकास की परिणति आज यह है कि उत्तराखंड से पहले तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार के योजनाकारों ने पहाड के लिए नींबू प्रजाति माल्टा, गलगल, कागजी नींबू, संतरा आदि की उपज सबसे अधिक उपयोगी माना और अनेक संस्थाओं के माध्यम से पेड़ों का वितरण किया बिकास खण्ड के द्वारा भी पेड़ों का रोपण करवाया और पृथक राज्य का नारा भी कि ये ऊंचा गढ़वाल कश्मीर बणावा, परन्तु बहुत बड़ा कष्टकारी विषय है कि सरकार ने माल्टा प्रजाति का अधिकतम समर्थन मूल्य आठ रुपए प्रति किलो ग्राम निर्धारित किया, शायद सरकारी अधिकारियों ने यह नहीं देखा कि काश्तकारों की मेहनत, बन्दरों की सुरक्षा मजदूरी, माल्टा सँतरा तुडान, स्थान (ढुलाई) सुरक्षा पेटियां और बाजार तक की कौन सी गणित लगाती है।
जो कीवी माल्टा से ५० गुणा अधिक खट्टा मात्र डेंगू जिसको होगा वही खायेगा और माल्टा कोई भी खा सकता है सरकार यदि इस पर शोधकार्य कर इसके गुणधर्म और औषधीय घटक द्रव्य पहचान २२/२३ वर्षों से नहीं करवा सकी, आज फिर काश्तकारों को कीवी के भ्रमजाल में फंसा रही है जिस दिन कीवि उत्पादन अधिक हो गया उस दिन कीवि काश्तकार वैसा ही अनाथ जैसा होगा जैसे आज माल्टा उत्पादक किसान अपनी बगिया बन्दरों, सुअरों के हाथों लुटती पिटती देख रही है और सरकार भी माल्टा को कोड़ी के भाव भी खरीदने को तैयार नहीं, आखिर यही है हमारे पूर्वजों का कश्मीर बणावा का सपना ।
बिष्णु प्रसाद सेमवाल अध्यक्ष ग्रामोदय सहकारी समिति लि
आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने दी भूखहड़ताल की धमकी आपदा के एक माह बाद भी नही हो रही सुनवाईपंकज भट्ट- घनसाली:- विकास खंड भिलंगना के सीमांत गांव गेवाली में आई प्राकृतिक आपदा के एक माह बाद भी प्रभावित ग्रमीणों की समस...