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आज का इतिहास:- चंद्रशेखर की कलम से।

26-12-2022 04:09 AM

     चंद्रशेखर पैन्यूली की कलम से:- 

       आज 25 दिसंबर यानी ईसाई धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा त्यौहार क्रिसमस डे आज मनाया जाता है साथ ही आज के दिन हम भारतीयों के प्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की जन्म जयंती भी है तो वही दूसरी तरफ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रणेता पंडित महामना मदन मोहन मालवीय जी  की जन्म जयंती भी है, साथ ही उत्तराखंडयों के गौरव पेशावर कांड के नायक  वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी की जन्म जयंती भी है  तो वही योग गुरु बाबा रामदेव जी का जन्मदिन भी आज ही है।आज विश्व के तमाम देशों सहित भारत में भी कई जगहों क्रिसमस की धूम होती है,लेकिन आज मुझे तब बड़ा अजीब लगा जब मेरे कुछ शुभचिंतकों ने क्रिसमस की बधाई देने पर मुझे  टोका या यूं कहें क्रिसमस की बधाई देने को गलत ठहराया,उन्होंने कहा आज तुलसी पूजन दिवस है,और तुम सनातनी हो,साथ ही ब्राह्मण परिवार से जुड़े हो राष्ट्रवादी संगठन अभाविप में पूर्णकालिक भी रहे हो,आज भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता भी हो तो तुम क्रिसमस की बधाई क्यों दे रहे हो? ऐसा नहीं कि मैंने सिर्फ क्रिसमस डे पर ही बधाई सन्देश लिखा बल्कि मैंने विगत कुछ वर्षों से चल रहे ट्रेंड के मुताबिक तुलसी पूजन दिवस पर भी बधाई दी,लेकिन मुझे क्रिसमस पर बधाई सन्देश ना लिखने को एक तरह से कहा गया।अब पहले तो मै ये कहता हूं कि मुझे हिन्दू सनातनी व भारतवर्ष में जन्म लेने पर गर्व है,दूसरी बात मै सनातनी हूं ,ब्राह्मण हूं लेकिन मै सभी धर्मो का आदर भी करता हूं,तीसरी बात ये जिसे कई लोग विशेषकर भाजपा के विरोधी उठा रहे कि भाजपाई क्रिसमस का विरोध कर रहे हैं,उनके लिए यही कहूंगा कि भाजपा सदैव सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है ,हर धर्म हर वर्ग का आदर करती है ,और भाजपा के तमाम नेता हर धर्म समुदाय या वर्ग विशेष के लोगों के त्योहारों पर सदैव शुभकामनाएं देते हैं।अब जरा तुलसी पूजन के बारे में कहना चाहता हूं,वो ये कि यदि सच मायनों में देखा जाय तो आज तुलसी पूजन दिवस होता ही नहीं है,वैसे तो तुलसी को हर सनातनी,पूजा पाठ करने वाले भाई बहन हर दिन धूप दीप जलाकर तुलसी माता का अपने घर पर पूजन करते हैं लेकिन सिर्फ 25 दिसम्बर ही तुलसी पूजन दिवस की ये प्रक्रिया विगत कुछ वर्षों से ही देखने को मिल रही है,जहां तक मुझे याद है ये तुलसी पूजन दिवस आशाराम बापू ने शुरू किया था,,आज आशाराम बापू किस स्थिति में और कहां है? आप बखूबी जानते हैं।एक और बात तुलसी विवाह या तुलसी का विशेष पूजन देवउठनी यानि देवोत्थान एकादशी से और बैकुंठ चतुर्दशी तिथि तक होता है,जो कार्तिक मास में ही आता है,एक और बात यदि हम पंचांग के हिसाब से भी गणना करें तो हर वर्ष चैत्र प्रतिपदा,नवरात्रे,रक्षा बन्धन,दीपावली होली, श्राद्ध पक्ष,आदि अलग अलग तारीखों में यहां तक कि अलग अलग महीनों में तक आते हैं तो फिर ये तुलसी पूजन दिवस सिर्फ 25 दिसम्बर को ही कैसे आता है?वो भी पौष के महीने ऐसा कैसे तुलसी पूजन दिवस हर साल आता है।हमारे पंचांग की गणना सौरमान या चन्द्र मान के हिसाब से होती है,उसी हिसाब से हर त्योहार हर वर्ष तय होते हैं तो फिर ये तुलसी पूजन क्यों 25 ही दिसम्बर को आता है।एक और ट्रेंड मै देखता हूं वैलेंटाइन डे के दिन मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में कुछ लोग प्रचारित करते हैं।अरे भाई हम सनातनी है हम अपनी पूजा अर्चना, के बाद जब देवी देवताओं के जयकारे लगाते हैं तो हम विश्व का कल्याण हो,प्राणियों में सदभावना हो की जय घोष भी करते हैं,साथ ही हम सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामया की भावना रखते हैं,तो फिर क्रिसमस की बधाई लिखने को गलत कैसे कहा जाय,या फिर क्रिसमस को ही हर वर्ष तुलसी पूजन दिवस का ढोंग करने से फायदा क्या है?बाकी अच्छी बात है कि कोई तुलसी पूजन कर रहा है,कम से कम आने वाली पीढ़ी तो जान पाएगी कि तुलसी माता का पूजन क्यों किया जाता है,और जानकर वो भी तुलसी माता को नमन वंदन करते रहेंगे,पर क्रिसमस भी दुनिया की बड़ी आबादी का त्योहार है हमें उसका विरोध नहीं करना चाहिए,जब हमारे प्रधानमन्त्री जी  व तमाम बड़े लोग क्रिसमस की बधाई दे रहे हो ऐसे में क्रिसमस का विरोध करना शायद अच्छा नहीं है,हमारे होली,दीपावली पर अन्य धर्मो,समुदायों के लोग हमे भी बधाई देते हैं।हां उन लोगो का जरूर विरोध करो जिन्हें दीपावली के पटाखों से दिक्कत होती है,जिन्हें होली पर पानी बहाने से दिक्कत होती है,जिन्हें शिवलिंग पर जल चढाने से दिक्कत होती है,जिन्हें हनुमान चालीसा या किसी भी आरती से परेशानी होती है,ऐसे लोगो का या ऐसे विचारो का जरूर विरोध होना चाहिए ,अपनी पूजा पद्वति ,अपने आराध्य देवी देवताओं का स्मरण सदैव करना चाहिए लेकिन किसी अन्य धर्मों के विरोध में कोई कट्टरता तो  नहीं रखनी चाहिए ।हमारे देश में सर्व धर्म समभाव की कामना के साथ कार्य किया जाता है अत क्रिसमस पर बधाई सन्देश लिखना गलत नहीं है,बाकी कोई तुलसी पूजन दिवस भी मनाएं  मुझे कोई दिक्कत नहीं ,पर ये स्मरण रहे रविवार को तो तुलसी को छूते भी नहीं है और न जल चढाते है,आप तुलसी पूजन को नियमानुसार ही करे,साथ ही ये जरूर स्मरण रखें हिन्दू सनातनी लोगो के हर व्रत त्योहार पंचांग की गणना व सौर मान या चन्द्र मान के हिसाब से ही तय होते हैं,आखिर में पुनः लिखूंगा आज 25 दिसम्बर को भारत सहित विश्व के तमाम देशों में क्रिसमस को मनाने की परम्परा बहुत पुरानी है और हमारे ये  तथाकथित तुलसी पूजन दिवस कुछ ही वर्षों से चल रहा है। 

      लेखक भारतीय जनता पार्टी के मंडल महामंत्री और अपनी ग्राम पंचायत के प्रधान हैं। 


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