Share: Share KhabarUttarakhandKi news on facebook.Facebook | Share KhabarUttarakhandKi news on twitter.Twitter | Share KhabarUttarakhandKi news on whatsapp.Whatsapp | Share KhabarUttarakhandKi news on linkedin..Linkedin

उत्तराखंड की संस्कृति को किस तरफ ले रहे हैं हमारे लोक कलाकार !

16-07-2022 02:01 PM

देहरादून:- 

    ढोल-दमौ से बियर, बन्दूक की तरफ उत्तराखंड की लोकसंस्कृति कब पहुँच गयी, पता भी नही चला । जी हाँ, एक समय था जब उत्तराखंड आंदोलन के दौर में गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, गिर्दा और न जाने कितने लोकगायक और संगीतकारों ने अपने गीतों के माध्यम से राज्य आंदोलन को धार दे रहे थे। अनेकों नाटकों के माध्यम से कलाकार सड़कों में जनता को जागरूक कर रहे थे। वो ऐसा दौर था जिसके बारे मे हमारे समय के युवाओं ने सिर्फ सुना है देखा नही। परन्तु उस दौर के बारे में सुनकर ही हम समझ जाते है कि उस समय के कलाकार, संगीतकार एवं गीतकार कितने संवेदनशील होंगे अपने राज्य के प्रति, अपनी संस्कृति के प्रति। परन्तु यह हमारा दुर्भाग्य है जिस संस्कृति को हमे संजोना था, जिसको हमे विश्व पटल में ले जाना था, जिसके लिए संघर्ष करना था, उस संस्कृति का ऐसा पतन हमें अपनी आँखों से देखना पड रहा है।

    जी हां हम बात कर रहे हैं हाल ही में रिलीज हुई गढ़वाली गाना "ठुमका" जिसमे कि गढ़वाली संस्कृति के नाम पर जमकर अश्लीलता परोसी जा रही है जो कि गढ़वाली संस्कृति के साथ भद्दा मजाक है। लानत है ऐसे लोकगायकों एवं लोककलाकारों पर जो अपनी संस्कृति को बचाने का ढिंढोरा पीटते है। आपको नहीं दिख रहा है कि आप अपनी संस्कृति को किस ओर धकेल रहे हैं क्या इस तरह से संस्कृति बचाई जा सकती है। इस तरह के फूहड़ और अश्लील गाने आज तक भोजपुरी में देखने को मिलते थे लेकिन चंद संस्कृति के ठेकेदारों द्वारा गढ़वाली संस्कृति को किस ओर धकेलने की कोशिश की जा रही है समझ से परे है जो कि सरासर गलत है जिसका समाज मे पुरजोर विरोध होना चाहिए।

    इस फूहड़ व अश्लीलता दिखाने वाले गाने का वीडियो हम आपको नहीं दिख सकते। आप तस्वीरों के माध्यम से इस गीत की फूहड़ता और अश्लीलता देख सकते है। हम लोगों की गलती यह है कि समाज द्वारा सवाल तब नहीं किया जब किसी ने पहली बार उत्तराखंड की संस्कृति पर कीचड़ उछाला हो और समाज ने विरोध किया होता तो आज इस हद तक बात आगे नहीं बढ़ती और गढ़वाली कल्चर और संस्कृति के नाम पर भोजपुरी जैसे आईटम सॉन्ग यहां पेश किए जा रहे हैं।

    यह एक गायक एवं कलाकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि किसी भी तरह की आर्ट फॉर्म बनाने से पहले वह यह चीज़ दिमाग में फिट करे कि उसके जरिए वह पूरे राज्य को रिप्रेजेंट कर रहा है। उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को बचाने और बढ़ावा देने का ढोल पीटने वाले यह कलाकार अपने गीतों के जरिए जो फूहड़ता फैला रहे हैं वह बहुत ही शर्मनाक है।

    "ठुमका" नामक इस गीत में जी भर के लड़की को ऑब्जेक्टिफाई किया जा रहा है, आस-पास लड़के बियर की बोतल लिए नाच रहे हैं, ईव टीजिंग को ग्लोरीफाई किया जा रहा है, गन कल्चर को प्रमोट किया जा रहा है, लड़की के सिर पर बीयर डाली जा रही है, यह फूहड़ता और अश्लीलता नहीं तो और क्या है?

    आखिर इस प्रकार के गायकों एवं कलाकारों को शर्म आनी चाहिए कि हम अपनी संस्कृति को किस और धकेल रहे हैं। क्या हमारी देवभूमि उत्तराखंड जैसे पवित्र राज्य में यह सब संभव है। नही यह कलाकार तो अपनी सड़ी गली मानसिकता दिखाकर अपने आपको गर्वित महसूस करते हैं।

    जो लोग उत्तराखंड की संस्कृति से सच्चा प्रेम करते है उन्हें यह गाना पूरा देखने मे तकलीफ तो होगी परन्तु फिर भी मेरा निवेदन है कि आप देखिए और खुद तय कीजिये कि हमारी संस्कृति किस तरफ जा रही है। आज के समय मे उत्तराखंड की संस्कृति के नाम पर कोई कुछ भी बना के बेच रहा है और सरकार चुप्पी साधे है। आखिर सरकार को भी ऐसे संस्कृति नाशक गानों का संज्ञान लेना होगा और ऐसे संगीतकारों और कलाकारों पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए जो कि देवभूमि की पवित्र संस्कृति को बदनाम करने पर तुले हुए हैं।


ताजा खबरें (Latest News)

Tehri: मंगशीर बग्वाल की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, सज गया बाबा का दरबार क्षेत्र में तीन दिनों तक मनेगा बलिराज।
Tehri: मंगशीर बग्वाल की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, सज गया बाबा का दरबार क्षेत्र में तीन दिनों तक मनेगा बलिराज। 23-11-2024 08:26 AM

घनसाली- भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर बग्वाल को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।मुख्य दीपावली के ठीक एक माह बाद 30 नवंबर को टिहरी जिले के थाती कठूड़ के लोग मंगशीर की दीपवाली (बग्वाल) मनाएंगे। दीपाव...