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देहरादून:- जिला प्रशासन ने देहरादून के होटल हयात रीजेंसी में 24 घंटे बार खोलने के आदेश को निरस्त कर दिया है। 24 घंटे बार खोलने के आदेश की सोशल मीडिया और आम जनता में जमकर आलोचना हो रही थी, जिसके बाद जिला प्रशास...
डॉ विजय कुमार नौटियाल की कलम से:- सेरेब्रल पाल्सी गति संबंधों विकारों का एक समूह है, जो बचपन में ही प्रकट हो जाता है अर्थात सामान्य भाषा में सेरेब्रल पाल्सी को दिमागी पैरालिसिस कह सकते हैं जो जन्म के समय या जन्म के 2 साल बाद दिमाग में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बचपन की बीमारी है । यदि इसका इलाज समय पर न कराया जाए तो इस बीमारी से साधारण तौर पर बच्चों के हाथ पैर टेढ़े हो जाते हैं । फिर हाथ पैरों का चलना मुश्किल हो जाता है । इस बीमारी से न केवल मरीज बल्कि परिवार एवं समाज भी प्रभावित होता है। इस बीमारी के इलाज का उद्देश्य यह होता है की सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बच्चा अपनी जिंदगी को अच्छे ढंग से जिए और उसमें दिव्यांगता का असर कम से कम हो । हमारे देश में न केवल मरीजों एवं उनके परिवार बल्कि इससे जुड़े हुए डॉक्टरों की आम धारणा है कि यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है । जबकि सेरेब्रल पॉलिसी से पीड़ित बच्चों को अर्ली इंटरवेंशन( प्रारंभिक हस्तक्षेप अथवा विकासात्मक विलंब या दिव्यांग वाले बच्चों और उनके परिवारों को उपलब्ध कराए जाने वाली आर्थोटिक उपचार,सेवाएं और सहायता इसका मकसद समस्याओं को होने से रोकना या उन्हें बदतर होने से पहले उनका समाधान करना होता है) की जरूरत पड़ती है जिसको समय रहते जो आगे इनकी मांसपेशियां टाइट होनी है ,उसको पहले से ही ऑर्थोटिक स्स्प्लिंटिंग या ब्रेसिग के द्वारा सेरेब्रल पॉलिसी से पीड़ित बच्चों की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं ।मेरा तो मानना यह है कि मरीजों का शुरुआती समय में यदि सही समय पर स्प्लिंट एवं ब्रेसेज दिए जाएं और साथ में एक्सरसाइज आदि करवाई जाए तो उनकी जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है। मेरा यह भी मानना है की जो सेरेब्रल पॉलिसी से पीड़ित बच्चे रिंग रहे हैं वह सहारे से चलें और जो सहारे से चल रहे हैं वह बिना सहारे के चलें और जो टेढ़े-मेढ़े चल रहे हैं वह आर्थोटिक ब्रेसज एवं स्प्लिंटिंग के जरिए वे सामान्य रूप से चलें । परंतु इसके लिए उन सभी माता-पिता को विशेषकर ध्यान देना चाहिए जिनके बच्चे सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है और सही समय पर किसी कृत्रिम अंग केंद्र में आर्थोटिक उपचार की सहायता से स्प्लिंटिंग एवं ब्रेसिग करवा कर सेरेब्रल पॉलिसी से होने वाली जकड़न एवं टेंडन का टाइट होना है उसको ऑर्थोसिस के जरिए ठीक किया जा सकता है । प्रभावित मरीज,परिवार तथा सेरेब्रल पाल्सी से जुड़ी समाजसेवी संस्थाओं का उद्देश्य यह होना चाहिए कि यह बच्चे सामान्य तौर पर बढे और अपनी ज्यादा से ज्यादा शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं का विकास करें ,जिससे कि यह लोग भी अपने एवं समाज के विकास में अपना योगदान दे सकें । यह एक ऐसी बीमारी है जो कि किसी एक विशेषज्ञ के द्वारा ठीक नहीं की जा सकती है । बल्कि इसको ठीक करने के लिए बहुत से विशेषज्ञों की जरूरत होती है जिनमें मुख्यतः प्रसूति रोग विशेषज्ञ, बाल रोग, ऑर्थोटीस्ट एवं प्रोस्थैटिस्ट ,ऑर्थोपेडिक सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट ,योगा थैरेपिस्ट ,फिजियोथैरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट, स्पीच थैरेपिस्ट एवं रिहैबिलिटेशन विशेषज्ञ आदि की टीम वर्क की आवश्यकता होती है । विभिन्न प्रकार की सेरेब्रल पाल्सी का उल्लेख करते हुए डॉ विजय कुमार नौटियाल (प्रोस्थेटिस्ट एवं ऑर्थोटिस्ट ) का कहना है कि यह इस पर निर्भर करता है कि दिमाग के किस भाग में ऑक्सीजन की कमी हुई है । मांसपेशियों का सख़्तपन, चाल में असमानता तथा जोड़ों में टेड़ापन ,चलने व खड़े होने के संतुलन में कमी के मुख्य लक्षण हैं । गर्भावस्था से पहले उसके दौरान तथा उसके बाद भी समस्या हो सकती है ।गर्भावस्था से पहले अगर माता मानसिक रोग से ग्रस्त है व और किसी दवाई या शराब का सेवन करती हो तथा उसके रक्त में आरएच फैक्टर पॉजिटिव हो तो उसके बच्चे को सेरेब्रल पाल्सी होने की आशंका ज्यादा होती है । गर्भावस्था के दौरान चोट लगे, बच्चों के उल्टे होने तथा गले में नाल फंसने से अगर बच्चे के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण सेरेब्रल पाल्सी होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है । समय से पहले ही जो बच्चे जन्म ले लेते हैं उनमें भी सेरेब्रल पाल्सी होने की संभावना अधिक होती है । बच्चों के जन्म के बाद संक्रमण जैसे पीलिया तथा दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, दिमाग में चोट होने की वजह से भी सेरेब्रल पाल्सी हो सकती है। इसके खतरों को देखते हुए जहां तक हो सके खास तौर से मुश्किल वाले प्रसब अस्पतालों में ही करने चाहिए । शुरू में तो इस बीमारी का पता लगाना मुश्किल होता है लेकिन जब पता चल जाए तो शुरुआत से ही ऑर्थोटिक स्प्लिंटिंग एवं ब्रेसिग से मांसपेशियों को शिथिल रखा जा सकता है एवं टेढ़े-मेढ़े होने से बचाया जा सकता है तथा साथ में एक्सरसाइज करवाना चाहिए, और जब लगे कि यह ब्रेसेज या स्प्लिंटिंग तथा एक्सरसाइज से काम नहीं हो रहा है तो इसमें सर्जरी की जरूरत होती है जिसमें सर्जरी से मांसपेशियों को बैलेंस कर दिया जाए और उसके तुरंत बाद ऑर्थोसिस स्प्लिंटिंग के साथ-साथ कुछ व्यायाम की जरूरत होती है । ऑर्थोसिस उपचार में स्प्लिंट एवं ब्रेस से हाथ पैरों के जो टेड़ापन हुआ है उसको सीधा किया जा सकता है तथा सीधी की हुई पोजीशन को नॉर्मल पोजीशन में बरकरार रख सकते हैं कुल मिलाकर सेरेब्रल पाल्सी एक मुश्किल से ठीक होने वाली बीमारी है इसलिए इसका बचाव इलाज से अच्छा है के सिद्धांत पर इसका सही समय पर प्रारंभिक हस्तक्षेप के साथ ऑर्थोटिक इलाज होना चाहिए जैसा कि पहले बताया गया है कि यह दिमाग में ऑक्सीजन की कमी से यह बीमारी होती है और अधिकांश यह प्रसव के समय होने वाली बीमारी है इसलिए प्रसव सुविधाजनक अस्पतालों में ही कराया जाना चाहिए। ऑर्थोसिस स्प्लिंटिंग एवं ब्रेसिग के अलावा इन मरीजों को समय-समय पर दूसरे विशेषज्ञों की सलाह एवं इलाज की जरूरत पड़ती रहती है। सेरेब्रल पॉलिसी का होने के कारण तो पता नहीं है लेकिन यह निश्चित है कि दिमाग में ऑक्सीजन की कमी से यह बीमारी होती है साधारण तौर पर यह बीमारी जन्म के समय एवं 2 साल से कम उम्र के बच्चों को होती है इस बीमारी के लक्षण बहुत तरह के होते हैं। मरीज के किसी हाथ पैर के कुछ हिस्से को न चलने से उसे जमीन पर रेंगना पड़ता है अतः एक प्रोस्थैटिस्ट एवं आर्थोटिस्ट होने के नाते मैं सभी अभिभावकों से यह प्रार्थना करता हूं कि जैसे ही आपको पता चलता है कि आपका बच्चा सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है तो तुरंत इसका अर्ली इंटरवेंशन के तौर पर ऑर्थोटिक उपचार के तौर पर स्प्लिंट और ब्रेसिग से आगे होने वाली जो विकृति है उसको रोका जा सकता है एवं सेरेब्रल पॉलिसी के बच्चों को ऑर्थोटिक उपचार के बाद सामान्य तौर पर चलाया जा सकता है।
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