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घुत्तू भिलंग की सुंदर वादियों के बीच स्थित प्रदेश के इकलौते सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर का रहस्य, क्या है खास पढ़िए इस रिपोर्ट में।

30-06-2022 06:36 PM

 सोकार सिंह राणा, घनसाली: 

    देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर स्थित बगलाक्षेत्र युगों-युगों से परम पूज्यनीय है दस महाविद्याओं में से एक माँ बंगलामुखी का भूभाग पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित एक ऐसा मनोहारी स्थल है जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है। भारतभूमि में माँ के अनेकों प्राचीन स्थल है इन तमाम स्थलों में हिमालय के आँचल में स्थित माँ बगलामुखी क्षेत्र का महत्व सर्वाधिक है पौराणिकता के आधार पर इसके महत्व की प्राथमिकता पुराणों में सुन्दर शब्दों में वर्णित है।

    मंदिर पुजारी रामकृष्ण शरण महाराज के अनुसार स्कंद पुराण के केदारखण्ड महात्म्य मे बगला क्षेत्र की बडी विराट महिमां वर्णित की गयी है। केदार खण्ड के 45 वें अध्याय मे स्वंय भगवान शिव माता पार्वती को इस क्षेत्र की महिमां का रहस्योद्घाटन करते हुए कहते हैं यह एक सुन्दर क्षेत्र है।

    भिलंगना नदी के समीप इस पावन स्थल के बारे में भगवान शिव माता पार्वती से कहते है, देवी यह पावन स्थल परम गोपनिय है, तुम्हारे कल्याणकारी प्रेम के वशीभूत होकर मै तुम्हें हिमालय के इस दुर्लभ तीर्थ की महिमां बताता हूँ, भिल्लगणा के दक्षिण भाग में उत्तम बगलाक्षेत्र है। यह क्षेत्र अनेक तीथों से युक्त तथा भगवान शिव के नाना पिण्डी के स्वरुपों से शोभित है, जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य देवी के नगर में वास करता है शिवजी आगे माता पार्वती को बतलाते है महादेवी बगला, सभी तन्त्रो में प्रसिद्ध है। शत्रुओं का स्तम्भन करनेवाली बगला ब्रह्मास्त्र विद्या के रूप में प्रसिद्ध है इनके स्मरण मात्र से शत्रु भी पंगु हो जाता है, बगला क्षेत्र सभी कामनाओं का फल देनेवाला है बगला क्षेत्र की अलौकिक महिमां का बखान करते हुए स्कंदपुराण के केदारखंड में भगवान शिव ने कहा है। यहाँ सात रात निराहार रहकर बंगला देवी का मंत्र जप करने से अत्यन्त दुर्लभ आकाशचारिणी सिद्धि की प्राप्ती होती है सभी यज्ञों में जो पुण्य प्राप्त होता है और सभी तीथों में जो फल प्राप्त होता है, वह फल बगला देवी के दर्शन से ही मिल जाता है।

    पुराणों के अनुसार यहाँ देवी के दक्षिण भाग में पुण्यप्रमोदिनी धारा है। उसके उत्तरी तट पर भगवान विष्णु की चार भुजावाली मूर्ति है जिसका दर्शन करने से मनुष्य कृतकृत्य हो जाता है। वहीं ग्रामीणों मानना है कि यहां पर जो भी भक्त अपनी मन इच्छाएं लेकर मां बगलामुखी के पास आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है जब से यहां पर महाराज रामकृष्ण शरण आये तब से यहां पर काफी कुछ बदल चुका है मंदिर में काफी विकास हो रहा है।

    यहाँ के बारे में महादेव जी महादेवी को एक गुप्त रहस्य बताते हुए कहते है बगला क्षेत्र के दक्षिण दिशा में ‘तीन सिर’ (त्रिशिरानामक) वाली देवी का वास हैं उसके पास महासिंह नित्य बार-बार गरजता हुआ रहता है। साथ ही माँ बंगला के सानिध्य में काले शरीर और काले वस्त्रवाले तथा भयंकर स्वरुप वाली अनेक नारियाँ अदृश्य होकर यहां विचरण करती रहती है भाँति- भाँति के यहाँ बाजे बजते हैं और इनकार के शब्द होते हैं पापी मनुष्य यहाँ ठहर नहीं सकता है किन्तु जो व्यक्ति धैर्यवान, संयुक्त जप करनेवाला, शिवपरायण तथा परनिन्दा और परस्त्री से विमुख है, उसे यहाँ रहते हुए लेश मात्र भी भय नहीं होता है। वह निर्भयता से शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त कर लेता है।


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