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Uttarkashi: ग्रामीणों की अनोखी परंपरा, पलायन रोकने को गांव मे किया जाता है पांडव लीला का आयोजन।

22-12-2023 10:19 PM

उत्तरकाशी:- 

    रिपोर्ट -सुभाष रावत:- ग्रामीणों की अनोखी परंपरा, पलायन रोकने को गांव मे किया जाता है पांडव लीला का आयोजन, गांव के हर नागरिक का रहना है अनिवार्य। गांव मे 9 दिनों तक प्रत्येक गांव वासी के लिए किया जाता है सामुहिक भोजन समारोह नन्हे बच्चे भी बढ़-चढ़कर ले रहे है हिस्सा।

     देव भूमी उत्तराखंण्ड जहां की संस्कृति जहां की भूमि आज भी अपनी पौराणिक संस्कृति को संवारने मे कोई कसर नही छोड रही है पर पलायन के कारण यहां के अधिकांश गांव दिन प्रतिदिन खाली हो रहे है। जिसका प्रमुख कारण है गांव मे हाईटेक स्कूलों का आभाव। पर जनपद उत्तरकाशी के ढुगाल गांव ने इसका समाधान निकालने के लिए गांव मे एक अनोखी परंपरा की शुरूआत की है गांव मे पौराणिक काल से चली आ रही पांडव लीला को नये रूप मे सामने लाने के लिए ग्रामीणों ने 9 दिनों तक इस परंपरा की सुरूवात की है।

    आपको बता दें कि जनपद उत्तरकाशी के धनारी क्षेत्र का ढुगाल गांव पूर्व विधायक स्वर्गीय गोपाल सिंह रावत का गांव है। पर आधुनिकता की आड़ मे यहां से लगातार पलायन के कारण यह गांव खाली हो गया था। जिसके कारण गांव के बुद्धिजीवी लोग काफी परेशान थे ओर सोच रहे थे कि गांव के नौनिहालों को कैसे अपनी संस्कृति से जोड़कर उन्हें अपनी गांव की जड़ों से जोड़े फिर याद आता है। पांडव नृत्य जो कि जनपद उत्तरकाशी के लगभग हर गांव मे आयोजित किया जाता है पर यहां के पांडव नृत्य की ख़ास बात यह है कि लगातार 9 दिनों तक चलने वाले इस पांडव लीला मे गांव के हर नागरिक का शामिल होना अनिवार्य होता है। गांव का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी तरह से इसमें अपनी भूमिका निभाता है गांव मे 9दिनो तक पांडव रसोई के नाम से सार्वजनिक भोजन की व्यवस्था की जाती है ओर प्रत्येक ग्रामीण यहां भोजन करता है। गांव मे इन 9 दिनो तक किसी भी घर मे चूल्हा नही जलाया जाता है। भूलवश अगर कोई अलग से भोजन बनाने की कोशिश करता है तो सारे पांडव लीला का खर्च उसी परिवार के जिम्मे आ जाता है इस पांडव लीला मे गांव के बुजुर्गो से लेकर हर उम्र के लोगों का आना अनिवार्य होता है ओर गांव के बुजुर्गो के सानिध्य मे यहां की नयी पीढ़ी को इस पांडव लीला का अभ्यास करवाया जाता है। गांव के पुरूष एवं महिलाओं के द्वारा सभी के लिए भोजन तैयार कर दिन भर पांडव लीला के बाद सामूहिक भोजन किया जाता है आईये आपको ले चलते है आज जनपद उत्तरकाशी के धनारी क्षेत्र की अनोखी परंपरा।


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