champawat: मुख्यमंत्री के गृह जनपद में ग्रामीणों ने श्रमदान कर खोदी सड़क, विकास के दावों की खुलती पोल।
12-01-2025 07:53 AM
लक्ष्मण बिष्ट, चम्पावत
उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह जनपद चम्पावत को आदर्श जिला बनाने के सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन जिले के बांस - बस्वाड़ी गांव के लोगों की बात सुनने वाला कोई नहीं है । यहाँ के ग्रामीण लंबे समय से गर्सलेख से बस्वाड़ी के लिए सड़क की मांग कर रहे थे , ग्रामीणों के वर्षों के संघर्ष के बाद मांग पूरी हुई और गर्सलेख से सड़क का निर्माण कार्य हुआ पर विभागीय लापरवाही के चलते सड़क ढंग से नहीं बन पाई और उस सड़क में कभी गाड़ी नहीं चल सकी । सड़क में ग्रामीण किसी तरह जान जोखिम में डालकर दोपहिया वाहन से आवागमन कर रहे थे । पर बरसात होते ही सड़क नाले में तब्दील हो गई और कई स्थानों में गधेरे में समा गई । उत्तराखंड में सरकारें बदलती रही लेकिन यहाँ के लोगों की किसी ने नही सुनी । यहां सड़क न होने के कारण 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने पलायन कर लिया है । ग्रामीणों के द्वारा शासन प्रशासन से सड़क सुधारीकरण की गुहार लगाई गई पर किसी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली तो मजबूर होकर क्षेत्र के ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान से सड़क खोलने का निर्णय लिया गया ताकि दोपहिया वाहनों से आवागमन की व्यवस्था बनाई जा सके सड़क खोलने में गांव के बुजुर्ग, युवा यहा तक की छोटे-छोटे बच्चे भी जी जान से जुट गए । ग्रामीण नारायण दत्त तिवारी , त्रिलोचन जोशी , नीरज जोशी ने कहा चम्पावत जिले की इस सड़क की दुर्दशा देखने वाला कोई नहीं है । चम्पावत जिले के बांस बस्वाड़ी गांव के लोगों के लिए आज विधायक , जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री का महत्व शून्य हो चुका है क्योंकि आज उनकी समस्या सुनने तक कोई तैयार तक नहीं है । ग्रामीणों ने कहा अगर यही स्थिति रही औऱ सड़क में सुधारीकरण व डामरीकरण नहीं किया गया तो गाँव में बचे हुए लोग भी पलायन करेंगे जिसकी जिम्मेदार प्रत्यक्ष रूप से उत्तराखंड सरकार औऱ सरकार की नीति रहेगी ।औऱ एक बार फिर सरकार की पलायन रोकने की नीति पर बट्टा लग जाएगा । हालांकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा चंपावत जिले को आदर्श चंपावत जिला बनाने के लिए प्रयास तो किए जा रहे हैं पर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते उनके प्रयास धरातल पर उतरते नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि अधिकारी गांव जाना पसंद नहीं करते हैं ना ही दूरस्थ क्षेत्र की समस्याओं का संज्ञान लेते हैं।