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शुरू हो गया है चतुर्मास भगवान विष्णु का पदभार संभालेंगे ( भोलेनाथ शिव) ,चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु के योग निंद्रा में रहने पर सृष्टि की सत्ता चलाने की जिम्मेदारी भगवान शिव के पास रहेगी ।)
कर लिजिए मन से पूजा पाठ अनुष्ठान। क्योंकि इस साल के पूजा अनुष्ठान का बहुत बड़ा महत्व है और जो आपको कभी नहीं मिला इस बार आपने अगर पूजा-पाठ अनुष्ठान कर लिया तो आपको दोगुना जरूर मिलेगा।
इस। साल 148 दिन का चतुर्मास इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून को और देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है इस तरह भगवान 148 दिन यानी करीब 5 महीने योग निद्रा में रहेंगे इसका कारण अधिक मास का होना है जिसकी वजह 1 महीने बढ़ गया है।
चतुर्मास इस बार अधिक मास पड़ रहा है इसलिए चार की जगह 5 महीने तक योग निंद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु ।भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी तक के लिए योग निंद्रा में जाएंगे इसे सयन करना भी कहा जाता है ।विष्णु पुराण के अनुसार, आषाढ़ मास की एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के 5 महीने बाद देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु जागते हैं। अब इन 5 माह की इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, इस दौरान कोई भी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं। इस दौरान भक्ति भजन प्रवचन आदि अनुष्ठान तो होंगे परंतु सगाई विवाह जनेऊ मुंडन देव यानी विष्णु प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
इन महीनों में जितना भी पूजा पाठ अनुष्ठान दान धर्म किया जायें तो उसका अधिक से ज्यादा हमें पुण्य मिलता है। क्यों कि इन अवधि में सावन हरियाली ,अमावस्या, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, आदि कई बड़े त्योहार आएंगे । जिन पर पूजा अर्चना की जा सकेगी, मांगलिक कार्य भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है और शुभ और मांगलिक कामों के लिए उनका जागृत अवस्था में रहना जरूरी होता है।
इसलिए देवशयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक मांगलिक कार्य बंद रहते हैं । इसी दौरान भगवान भोलेनाथ को समर्पित है सावन मास आएगा और एक महा उनकी विशेष पूजा होगी ।
ओर भोले बाबा की पूजा भी इस बार 59 दिनों तक कि होगी। ओर भक्तों के लिए 8 सोमवार पड़ रहें हैं।अब मना लो देवो के देव महादेव को चतुर्मास के दौरान ही भादो मास में हरिहर मिलन यानी भगवान विष्णु और शिव जी की एक साथ पूजा होगी।
इस साल की पूजा पाठ का 5 महीनों का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि 1 महीने के लिए बीच में मलमास पड़ रहा है। मलमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इसलिए पूजा पाठ करने का बहुत अच्छा महत्व है, क्योंकि इस समय तपस्वी लोग भी कहीं भ्रमण करने के लिए नहीं जाते हैं ।बल्कि एक स्थान पर बैठकर अपनी तपस्या करत!आचार्य देवेश व्यास
ऋषिकेश के नटराज चौक पर भीषण सड़क हादसा हो गया एक बेकाबू ट्रक ने पांच वाहनों को टक्कर मार दी इस हादसे में यूकेडी नेता त्रिवेन्द्र सिंह पंवार का निधन हो गया हादसे के बाद सड़क पर जाम लग गई मौके पर पुलिस पहुंची है,नटर...