राज्य स्थापना के 25 वर्ष बाद भी पहाड़ों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं , पिलखी अस्पताल से रैफर प्रसूता की मौत से क्षेत्र में मातम, डॉक्टरों की लापरवाही पर उठे सवाल
24-10-2025 04:38 PM
घनसाली, टिहरी:-
उत्तराखंड राज्य स्थापना को 25 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन पहाड़ों की स्वास्थ्य सेवाएं अब भी सुधार का नाम नहीं ले रही हैं। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, संसाधनों की खामियां और लापरवाही आम बात बन चुकी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्पेस साइंस के युग में भी पहाड़ों के लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
ताजा मामला एक बार फिर घनसाली क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिलखी का है, जहां एक प्रसूता महिला की रैफर होते ही मौत ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत सेम बासर निवासी रवीना कठैत (22 वर्ष) पत्नी कुलदीप कठैत को वीरवार सुबह 6 बजे प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने उसे तुरंत पीएचसी पिलखी पहुंचाया, जहां सुबह लगभग 8 बजे रवीना ने सकुशल बच्चे को जन्म दिया। दिनभर सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन देर शाम महिला की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी।
चिकित्सकों के अनुसार, रवीना को सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी। डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर देख उसे श्रीनगर बेस अस्पताल हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। लेकिन शुक्रवार को उपचार के दौरान रवीना ने दम तोड़ दिया। इस खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई।
रवीना का पति कुलदीप कठैत, जो होटल में काम करते हैं, ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि “रात के समय जब मेरी पत्नी को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, तब अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था, केवल वार्ड ब्वॉय था। अगर समय पर डॉक्टर पहुंच जाते, तो शायद मेरी पत्नी की जान बच सकती थी।”
उन्होंने प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की है।
यह कोई पहला मामला नहीं है - इससे पहले भी इसी अस्पताल में 6 सितंबर को एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन कुछ ही दिन बाद 15 सितंबर को उसकी भी मौत हो गई थी। लगातार दो प्रसूताओं की मौत से स्थानीय लोग आक्रोशित हैं और पिलखी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
इस पूरे मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) टिहरी डॉ. श्याम विजय ने कहा कि महिला की केस हिस्ट्री से पता चला है कि उसे पहले हृदय संबंधी बीमारी थी और उसकी बाईपास हार्ट सर्जरी भी हो चुकी थी, लेकिन परिजनों ने इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। प्रसव सामान्य रहा था, परंतु लगभग 24 घंटे बाद सांस लेने में परेशानी होने पर महिला को 108 एंबुलेंस से ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ श्रीनगर बेस अस्पताल रेफर किया गया। दुर्भाग्यवश वहां उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पिलखी अस्पताल में रात के समय डॉक्टरों की ड्यूटी और आवश्यक सुविधाएं मौजूद होतीं, तो शायद यह हादसा टल सकता था। अब जनता प्रशासन से मांग कर रही है कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।