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टिहरी गढ़वाल:-
2004 में बांध के कारण करीब 200 नाली जमीन झील में समा गई थी।
उत्तरायणी भागीरथी समिति के बैनर तले आज से टिहरी झील किनारे तिवाड़ गांव मरोड़ा के ग्रामीणों ने टीएचडीसी के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। जमीन के बदले जमीन की एक सूत्रीय मांग को लेकर आज बड़ी संख्या में तिवाड़ गांव की समस्त महिलाओं, बुजुर्गो व बच्चो ने मांग पूरी न होने पर जल समाधी की चैतावनी दी है।
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समिति के अध्यक्ष कुलदीप पंवार ने कहा कि वह पिछले 15 सालों से टीएचडीसी प्रशासन को ग्रामीणों की जायज मांगो को हल करने की मांग करते आ रहे हैं किन्तु टीएचडीसी प्रशासन उनकी मांगों को हल नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की 35 से 48 प्रतिशत जमीन झील में डूब गई है और अभी तक उन्हें कुछ नही मिला है। काश्तकारों के पास खेती की जमीन भी नहीं बची है।
पंवार ने कहा कि 2004 में टिहरी जलाशय बनने के कारण तिवाडग़ांव व मरोड़ा की कोटी गाड नामे तोक में लगभग 200 नाली सिचित भूमि डूब गई थी। चूंकि पुनर्वास नीति विस्थापन प्रक्रिया के तहत 50 प्रतिशत भूमि अधिकृत किए जाने पर विस्थापन किया जाता है जबकि उपरोक्त काश्तकारों की 35 से 48 प्रतिशत तक की भूमि जलमग्न हो चुकी है जिस पर टी एच.डी.सी/ प्रशासन ने ग्रामीणों की भूमि की प्रति नाली दर बहुत कम आंकी थी जिसको लेने से ग्रामीणों ने मना कर दिया था उक्त राशि एस.एल.ओ. में जमा है। कहा कि ग्रामीण की मांग है कि डूबी हुई भूमी के बदले भूमि ग्राम गोरण में पुनर्वास विभाग द्वारा तिवाडगाव मरोड़ा हेतू दिखाई गई थी, जिस पर ग्रामिणों द्वारा अपनी सहमती दिए जाने के बावजूद भी टीएचडीसी द्वारा कोई सकारात्मक सहमती नही दी गई अगर टीएचडीसी उनकी मांगों को पूरा नही करते है तो ग्रामीण जल समाधी लेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी टीएचडीसी की होगी।
नई टिहरी:- उप जिलाधिकारी अपूर्वा सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को जनता मिलन कार्यक्रम कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुआ। इस अवसर पर 24 शिकायत/अनुरोध पत्र प्राप्त हुये जिनको आवश्यक निर्देश/कार्यवाही हेतु सम्बन्ध...