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Chamoli news: पंचतत्व में विलीन हुए शहीद रुचिन रावत, नम आंखों से दी लोगों ने अंतिम विदाई।

07-05-2023 07:14 PM

गैरसैंण, चमोली:- 

    देश की रक्षा करते करते जम्मू कश्मीर के राजौरी में भारत के 5 लाल शहीद हो गए, जिसमे उत्तराखंड से रूचिन रावत भी था। गैरसैण ब्लॉक के दूरस्थ गांव कुनिगाड मल्ली के रहने वाले थे। रुचिन देश सेवा का जज्बा लिए बड़े सपनो के साथ 2009 में सेना में भर्ती हुए ओर देश रक्षा के लिए हर वक्त तत्पर रहे रुचिन रावत ऑपरेशन त्रिनेत्र के दौरान आतंकी हमले में शहीद हो गए रुचिन के अलावा 4 अन्य जवान शहीद हो गए जिसके बाद रुचिन के घर और गांव का माहौल मातम में बदल गया। पूरा क्षेत्र शोक की लहर में डूब गया। रुचिन का पार्थिव शरीर राजौरी से जोलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून पहुचा जिसके बाद सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव कुनिगाड के लिए सेना के जवानों द्वारा सैन्य सम्मान से लाया गया। पार्थिव शरीर के गैरसैण पहुचने पर रास्तों में लोगो ने फूलों से रुचिन के पार्थिव शरीर को श्रधांजलि दी। जहां जहां जिस जिस जगह से सेना के जवान का पार्थिव शरीर गुजरा वहाँ रुचिन की शहादत पर रुचिन अमर रहे कि नारो से गुंजाय मान हो गया। जैसे ही रुचिन का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुचा परिवार के सदस्यों का रो रो का बुरा हाल है, रुचिन अपने पीछे पत्नी और चार साल के बेटे हर्षित समेत माता पिता, दादा दादी का भरा पूरा परिवार छोड़ गया। रुपिन के भाई का कहना है कि उन्होंने अपना भाई खोया जरूर है लेकिन उनकी शहादत पर उन्हें गर्व है। 

    वहीं कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है और यहां हर घर में सैनिक है उन्होंने रूचिन की शहादत पर कहा कि परिवार का सदस्य बिछड़ा है इसका तो सबको दुख है लेकिन उनकी शहादत पर सबको गर्व है। पूर्व राज्य मंत्री सुरेश कुमार बिष्ट और राज्य आंदोलनकारी हरिकृष्ण भट्ट का कहना है कि रुपिन ने देश के साथ-साथ अपने प्रदेश और अपने गांव का नाम रोशन किया उन्होंने बताया कि आज उनकी शहादत पर मेहलचौरी में बाजार बंद किया गया है।

    सेना की ओर से आई टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे मेजर भदरिया ने बताया कि यूं तो सेना का प्रत्येक जवान साहस और वीरता से भरा रहता है लेकिन पैरा कमांडो अपने आप में बहुत ही मुस्तैद और त्वरित कार्यवाही के लिए जानी जाती है लेकिन रुचिन शहादत पर उन्होंने कहा कि यह सैनिक के लिए सर्वोत्तम छण है और रुचिन के गांव गांव आकर उनकी अंतिम यात्रा में जिस प्रकार का जनसैलाब उमड़ा उससे देश की सीमा पर तैनात जवानों। का मनोबल दुगना होता है।


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