मातृ आंचल कन्या विद्यापीठ में मस्ती की पाठशाला, राज्यमंत्री ने बांटे 70 निःशुल्क ट्रैक सूट, बेसहारा बच्चियों की मुस्कान बनी प्रेरणा
05-12-2025 08:23 AM
हरिद्वार।
मातृ आंचल कन्या विद्यापीठ, हरिद्वार में मस्ती की पाठशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य मंत्री एवं हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय की 70 छात्राओं को निःशुल्क ट्रैक सूट वितरित किए। यह पहल ईजा फाउंडेशन के सहयोग से सम्पन्न हुई, जिसका उद्देश्य छात्राओं को शिक्षा और खेल दोनों के प्रति प्रोत्साहन देना और उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाना है।
कार्यक्रम में एक मार्मिक पहलू भी सामने आया। मातृ आंचल विद्यापीठ उन बच्चियों का आश्रय है, जिनके सिर पर न मां है, न पिता, और न कोई सहारा। कई बालिकाएं ऐसी हैं जिन्हें कम उम्र में ही घर से बेघर कर दिया गया या जो सड़कों पर असहाय छोड़ दी गईं। यह संस्था न केवल उन्हें सुरक्षित आवास प्रदान करती है, बल्कि शिक्षा, संस्कार और स्वावलंबन के साथ एक सम्मानजनक भविष्य भी दे रही है।
राज्यमंत्री श्री सेमवाल ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में खेल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यही बच्चों में टीम भावना, आत्मविश्वास, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की भावना को विकसित करते हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत की बेटियां खेल के क्षेत्र में विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन कर रही हैं, इसलिए बेटियों को शिक्षा के साथ खेलों में आगे बढ़ाने के प्रयास लगातार होने चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि वे मातृ आंचल विद्यालय से लगातार जुड़े रहे हैं और समय-समय पर यहां आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग प्रदान करते रहते हैं।
कार्यक्रम में साध्वी कमलेश भारती, स्पर्श गंगा टीम से रीता चमोली, मंजू मनु रावत, बिमला ढोड़ियाल सहित अन्य समाजसेवी एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
बच्चियों के साथ समय बिताते हुए श्री सेमवाल ने भावुक होकर कहा—
“जिन मासूम बेटियों के पास न मां है, न पिता—उनकी मुस्कुराहट ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। ट्रैक सूट पहनते ही उनकी आंखों में जो खुशी दिखी, वही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है। मातृ आंचल सिर्फ एक विद्यालय नहीं, इन बच्चियों का घर, परिवार और भविष्य है। उनकी मुस्कान ही मेरी प्रेरणा है, सेवा मेरा संकल्प।”
कार्यक्रम ने बच्चियों के उत्साह के साथ समाज को भी यह संदेश दिया कि संवेदनशीलता और सहयोग से ही बेसहारा बच्चों के जीवन में उजाला लाया जा सकता है।