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उत्तराखंड का नागलोक जहां साक्षात् रूप में विराजमान हैं वासुकी नाग, नाग पंचमी को देते हैं दर्शन।

09-08-2024 10:57 PM

रिपोर्ट - संजय रतूड़ी, उत्तरकाशी 

 सीमांत जनपद उत्तरकाशी मां गंगा एवं यमुना का उद्गम स्थल बाबा काशी विश्वनाथ की भूमि यहां आकर लगता है कि स्वर्ग से भी सुंदर जगह आ गये है यहां की संस्कृति में भी भगवान का वास है आज हम आपको सीधे लिए चलते हैं केलसू  घाटी में जहां के बारे में बता दें कि केलसू का मतलब कैलास यानी की भगवान शंकर की भूमि जिसका साक्षात् उदहारण डोडिताल में भी मिलता है जहां भगवान गणेश की जन्म स्थली है पर आज हम बात कर रहे हैं नाग लोक की यानी वासुकी नाग जिसे नागों का राजा कहा जाता है पुराणों के अनुसार भगवान शंकर ने वासुकी नाग की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें धरती पर राज करने के लिए एक हिस्सा दिया था आज हम दिखाते हैं आपको वह स्थान जहां नाग पंचमी को साक्षात् दर्शन देते हैं वासुकी नाग।

जनपद उत्तरकाशी की केलसू घाटी में आजकल मेलों की धूम है यहां के आराध्य देव वासुकी नाग देवता हर गांव में पूजे जा रहे हैं महिला पुरुष ताल से ताल मिला कर रांसो नृत्य कर रहे हैं हर घर में पकवान बन रहे हैं गांव में आने वाले हर इंसान की खातिरदारी में ग्रामीण जुटे हैं 

आज नाग पंचमी के दिन यहां भगवान वासुकी नाग देवता की पूजा हो रही है ग्रामीण देवता को प्रसन्न करने के लिए पूजा कर रहे हैं दिनभर में सिलसिला जारी रहता है और आखिरी में प्रकट होते हैं वासुकी नाग देवता

भगवान भोलेनाथ की इस भूमि में हर गांव में नागों की पूजा होती है 

और नागराजा देवडोली पर अवतरित होकर भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं यहां शादी से लेकर हर फैसला देवता पर छोड़ा जाता है और देवता लड़के और लड़की की कुण्डली मिलान करता है साथ ही गांव में लड़ाई झगडे होने पर दोनों पक्ष देवता के पास जाते हैं और देवता एक जज के रूप में फैसला करते हैं आज नागपंचमी के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ लगती है और महिला पुरुष दोनों तांदी नृत्य कर देवता का स्वागत करते हैं यही नहीं यहां देवता के सामने लोग अपनी समस्याओं को रखते हैं और देवता उनका समाधान निकालता है।


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