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Tehri Garhwal: टिहरी के भंडैण्डी गांव में पांडव नृत्य का आयोजन, विदेशों से भाग लेने आते हैं युवा।

15-09-2024 03:04 PM

टिहरी:- 

     पहाड़ों में आज भी लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाने में जुटे हुए है इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है टिहरी गढ़वाल के भडेडी गांव में,जहा वर्षो से चली आ रही पांडव नृत्य परंपरा का आयोजन होता है और खास बात है की विदेश में जाकर बस गए लोग इसके आयोजन गांव पहुंचे है तो इसका साक्ष्य बनने के लिए भी लोग दूर दराज से पहुंचे है और अपने देवी देवताओं का आशीर्वाद लेते है।

     टिहरी जनपद का घनसाली क्षेत्र एक तरफ पलायन की मार झेल रहा है वहीं मिनी विदेश के नाम से जाना जाने वाला हर गांव आज भी अपनी पौराणिक संस्कृति को जिंदा रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, टिहरी के पैड़ा भंडैण्डी में वर्षों से चली आ रही परंपरा पांडव नृत्य का आयोजन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया गया। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रवासी ग्रामीण विपेश भंडारी व लखन भंडारी ने बताया कि चूलागढ़ की प्रसिद्ध भगवती राजराजेश्वरी की थात पर भंडैण्डी गांव में पुरखों से चली आ रही पांडव नृत्य की परंपरा को आज के आधुनिक समाज में ग्रामीणों ने जिंदा रखा है, गांव के अधिकांश युवा दूर विदेशों में नौकरी करते है जबकि पांडव नृत्य दौरान सभी युवा गांव पहुंच जाते हैं, वहीं उन्होंने बताया कि पांडव नृत्य का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की खुशहाली और फसल की अच्छी पैदावार के लिए इस तरह इस पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है जहां पर तमाम ग्रामीण सात गांवों के सभी देवी देवताओं के साथ नृत्य खेल के साथ आशीर्वाद लेते हैं।

   पांडव नृत्य कार्यक्रम में पहुंचे भिलंगना प्रधान संगठन के अध्यक्ष दिनेश भजनियाल ने बताया कि भिलंगना की आरगढ़ घाटी सदियों से धार्मिक कार्यक्रमों में आगे रहती है, यहां के हर गांव में कुछ न कुछ धार्मिक आयोजन होता रहता है जबकि पैड़ा भंडैण्डी के प्रवासी और अप्रवासी ग्रामीणों द्वारा इस भव्य धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जो सराहनीय कदम है, वहीं उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग देवभूमि के नाम से जाने जाते हैं जबकि पहाड़ी जनपदों में पलायन भी अपने चरम पर है फिर भंडैण्डी के गांव के ग्रामीणों द्वारा अपनी पौराणिक संस्कृति को जीवित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

    देव भूमी के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखंड का पहाड़ी क्षेत्र विकास के ना होने से पलायन की गहरी मार झेल रहा है वहीं दूर विदेशों तक पलायन कर चुके प्रवासी ग्रामीण अपनी संस्कृति और रीति रिवाजों को बचाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पांडव नृत्य आयोजन समिति के अध्यक्ष विपेश भंडारी व राजेंद्र चंद रमोला जर्मनी से और गौतम भंडारी दुबई से पांडव नृत्य में गांव पहुंचे हैं। इस दौरान उपाध्यक्ष योगेन्द्र, हरि भंडारी, कोषाध्यक्ष अमीन पाल, सोहन सिंह, देवेंद्र, अमन,जसवीर भंडारी, अनिल चंद्र रमोला विजय चंद्र, संजय चंद, यशवंत चंद, अजय पाल सिंह भंडारी, नितिन सिंह, राजीव सिंह, विजयपाल सिंह भंडारी, अमित सिंह, लोकेंद्र भंडारी, अंकित भंडारी, अनूप सिंह भंडारी, सुरेंद्र सिंह, ओम चंद रमोला आदि लोगों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।


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