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Tehri News- प्रधान संगठन जिलाध्यक्ष राणा ने सीएम को भेजा पत्र कर डाली ये मांगें।

23-06-2023 10:27 AM

टिहरी:- 

टिहरी गढ़वाल जिला प्रधान संगठन के जिला अध्यक्ष रविन्द्र सिंह राणा ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड को पत्र भेजकर उत्तराखंड प्रदेश में पलायन रोकथाम एवं उत्तराखंडियों को सशक्त करने हेतु "एक परिवार से एक नौकरी देने" भू कानून में सुधार, राज्य में सरकारी नौकरियों हेतु मूल निवासी आधार 1950 व 80 प्रतिशत नौकरियां केवल उत्तराखंडी मूल निवासियों को दिए जाने जैसी मांग सरकार से की है। और कहा की सिक्किम राज्य में ऐसी व्यवस्था पूर्व से हो विद्यमान है, हमारी सरकार को भी राज्यवासियों के हित में यही व्यवस्था शीघ्र उत्तराखंड में भी लागू करनी चाहिए।

 जिला प्रधान संगठन जनपद टिहरी गढ़वाल के जिलाध्यक्ष राणा ने कहा की हम मुख्यमंत्री जी का ध्यान उत्तराखंड की पलायन आयोग एवं NIRD की रिपोर्ट की ओर खींचना चाहते हैं। इन दोनों रिपोर्ट में उत्तराखंड में पलायन का सबसे प्रमुख कारण (50% से अधिक) रोजगार का ना मिलना है। उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्षों से चलाई जा रही स्वरोजगार की योजनाओं से पलायन, बेरोजगारी और गरीबी की समस्याओं में कोई कमी नहीं आयी है। सिक्किम राज्य में हर परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिलती है जिससे वहां के निवासियों के जीवन में एक अभूतपूर्व सकारात्मक परिवर्तन आया है। उत्तराखंड में भी यही नीति लागू होनी चाहिए, पैसा चाहे कम भी मिले।

इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2018 में भू-कानून में किया गया बदलाव भी उत्तराखंडी जनता के हित में नहीं है और उत्तराखंड के बाद नए बने राज्यों में भी मूल निवासी का आधार वर्ष सन 1950 है जबकि हमारे उत्तराखंड में ये वर्ष सन 2000 है।

    1. मूल निवासी आधार वर्ष अन्य राज्यों की तरह ही सन 1950 किया जाए और मूल निवासियों के हितों की रक्षा हेतु इनको सभी संस्थानों में प्राथमिकता दी जाए और इसके आधार पर 80% आरक्षण केवल उत्तराखंडी मूल निवासियों को मिले।

2. सिक्किम जैसी "एक परिवार से एक नौकरी" योजना को लागू किया जाए, और इसका लाभ केवल मूल निवासियों को मिले ना कि स्थायी निवासियों को। यदि 10,000 रूपये प्रति कर्मचारी/परिवार को मासिक दिया जाता है तो उत्तराखंड सरकार के 57000 करोड़ के बजट में यह आसानी से यह संभव है। इसके लिए सरकार आँचल डेरी के मॉडल पर ही मशरूम, औषधीय पौधों, इत्यादि को स्वयं एक सरकारी कंपनी के माध्यम से कर सकती है। टिम्बर के कारखाने उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में ही लगाए जा सकते हैं। इसी प्रकार अन्य कई स्वरोजगार की योजनाओं को सरकार अपने अंतर्गत लेकर सरकारी कंपनी बनाकर किसी भी उद्योग को आरम्भ कर सकती है जहाँ मूल निवासियों को रोजगार मिले। इसके विपणन, बिक्री और मार्केटिंग की जिम्मेदारी सरकारी कंपनी के प्रोफेशनल उठाएंगे ताकि एक सुनियोजित तरीके से कार्य हो सके।

3. हिमांचल प्रदेश में जिस प्रकार का भू-कानून है, ठीक उसी प्रकार का भू-कानून उत्तराखंड में भी लागू किया जाए। जिस शक्ति का प्रयोग करके गत वर्ष 2018 में भू-कानून में परिवर्तन किया गया था, उसी शक्ति का प्रयोग करके हिमांचल प्रदेश जैसा भू-कानून लागू करना सरकार के लिए एक आसान कार्य है। इस भू-कानून का आधार भी मूल-निवासी वर्ष 1950 ही होना चाहिए। जैसा कि ज्ञातव्य है की उपरोक्त सभी मांगें पूर्णतया संवैधानिक हैं और पहले से ही अन्य राज्यों में कार्यान्वित हैं, उत्तराखंड राज्य में इनको बिना अधिक प्रयास के तुरंत लागू किया जा सकता है।


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