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नवरात्र के अवसर पर राजराजेश्वरी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़, चूलागढ़ पहुंची जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण।

04-10-2022 01:02 AM

पंकज भट्ट, टिहरी:- 

    उत्तराखंड की पावन भूमि पर ढेर सारे पावन मंदिर और स्थल हैं जहां पहुंचते ही असीम शांति का अनुभव होता है। मां दुर्गा के शक्तिपीठों के अलावा उत्तराखंड में मां के इन मंदिरों का भी खास महत्व है। यहां हजारों साल से मां की पूजा-उपासना हो रही है… 

    हिमालय का गढ़वाल क्षेत्र देव भूमि के नाम से विख्यात है। यह भूमि अनादिकाल से देवी देवताओं की निवास स्थली और अवतारों की लीला भूमि रही है। यहां पर प्रसिद्ध ऋषियों ने ज्ञान विज्ञान की ज्योति जलाई और समस्त वेद, पुराणों, शास्त्रों की रचना की । 

    माँ राज राजेश्वरी का पावन शक्तिपीठ इसी हिमालय पर्वत पर स्थित है। श्रीमुख पर्वत, बालखिल्य पर्वत, वारणावत पर्वत और श्रीक्षेत्र के अंतर्गत माँ राज राजेश्वरी के परमधाम का वर्णन मिलता है।

    माँ राजराजेश्वरी का मंदिर बालखिल्य पर्वत की सीमा में मणि द्वीप आश्रम में स्थित है जो कि बासर, केमर, भिलंग एवं गोनगढ़ के केन्द्रस्थल में चमियाला से 15 कि. मि. और मांदरा से 2 कि. मि. दूरी पर रमणीक पर्वत पर स्थित है।

    मंदिर के मुख्य पुजारी (रावल) श्री देवेश्वर प्रसाद नौटियाल जी ने बात करते हुए कहा कि .... माँ राज राजेश्वरी के बारे में आख्यान मिलता है कि देवासुर संग्राम के समय आकाश मार्ग से गमन करते समय माँ दुर्गा का खड्ग ( अज्ञात धातु से बना एक "शक्ति शस्त्र" तलवार जैसा हथियार) चुलागढ की पहाड़ी पर गिरा था । भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार यह शक्ति शस्त्र लाखों वर्ष पुराना है जो कि मंदिर के गर्भगृह में विद्यमान है। और टिहरी रियासत के दौरान यहां पर एक पत्थर मिला था जिसकी पुष्टि संवत् 909 से संबंध थी। 

    माँ राज राजेश्वरी दस "महाविद्या" में से एक त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप हैं। माता राज राजेश्वरी टिहरी रियासत के राज वंश द्वारा पूजी जाती थी । कनक वंश के राजा सत्यसिंध (छत्रपति)ने 14 वीं शताब्दी में मां राजराजेश्वरी मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।    स्कंदपुराण में यह उल्लेख मिलता है कि एक बार जब पृथ्वी पर अवश्रण हुआ तो ब्रह्मा जी ने इसी देव भूमि में आकर माँ राज राजेश्वरी का स्तवन किया। स्कन्दपुराण में निम्न उल्लेख है:-

  शिवां सरस्वती लक्ष्मी, सिद्धि बुद्धि महोत्सवा।   केदारवास सुंभंगा बद्रीवास सुप्रियम।।              राज राजेश्वरी देवी सृष्टि संहार कारिणीम ।                           माया मायास्थितां वामा, वाम शक्ति मनोहराम।।(स्कन्दपुराण, केदारखण्ड अध्याय 110)

    राजा सत्यसिन्ध (छत्रपति ) की राजधानी छतियारा थी जो कि चूलागढ़ से मात्र 6 कि.मि. पर स्थित है। राजा सत्यसिन्ध ने चूलागढ़ में माँ राज राजेश्वरी की उपासना की जिसकी राजधानी के ध्वंसावशेष आज भी छतियारा के नजदीक देखने को मिलते हैं। पंवार वंशीय शासक अजयपाल का यहां गढ़ होने का प्रमाण मिलता है। चूलागढ़ पर्वत से खैट पर्वत, यज्ञकुट पर्वत, भैरवचटी पर्वत, हटकुणी तथा भृगु पर्वत का निकटता से दृष्यावलोकन किया जा सकता है। माँ राज राजेश्वरी मंदिर से थोड़ी दूरी पर "गज का चबूतरा" नामक स्थल है जहां पर राजा की कचहरी लगती थी। इसके नजदीक ही राजमहल और सामंतों के निवास थे। जिनके ध्वंशावशेष यहां विखरे पड़े हैं। गढ़पति ने पानी की व्यवस्था एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर से दो किलोमीटर लंबी सुरंग जमीन के अंदर खुदवाई थी जो मंदिर के नीचे वहने वाली बालगंगा तक जाती थी। इसमे जगह जगह पत्थर के दीपक विद्यमान थे जिनसे रोशनी की जाती थी। सुरंग में जाने के लिए पत्थर की सीढ़ियां बनी हुई थी। अभी यह सुरंग बंद पड़ी हुई है।

    मंदिर में पूजा दो रावल (पुजारी) द्वारा की जा रही है, जो मान्दरा गांव के नौटियाल वंशीय परिवारों के हैं। रावल की सहायता के लिए महाराजा टिहरी ने केपार्स एवं गडारा के चौहान परिवारों को गजवाण गांव में जमीन गूंठ में दान दी हुई है।जो कि भगवती के नाम से आज भी विद्यमान है। मंदिर में नवरात्रों में सेवा कार्य केपार्स और गडारा गांवों के चौहान परिवारों द्वारा किया जाता है।

    मंदिर में नवरात्रि, पूजन एवं जात के दौरान छतियारा के गड़वे (माता के दास) द्वारा ढोल, दमांऊ बजाया जाता है। इन्हें भी महाराजा द्वारा भरण पोषण हेतु जमीन दान दी हुई है। वहीं प्रत्येक नवरात्र में मंदिर से टिहरी नरेश के लिए हरियाली भी भेजी जाती थी।  

    वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम जनता का कहना है प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग इस मंदिर की अनदेखी कर रहा है। स्थानीय लोगों ने कहा कि मंदिर से बालगंगा नदी तक जो सुरंग थी जो 1991 के भूकंप में ध्वस्त हो गई थी जिसे सरकार आज तक नहीं पाई  खोले जिस से यहां पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और क्षेत्र से बढ़ रहे पलायन पर अंकुश लगेगी।

    वहीं प्राचीन सिद्धपीठ राजराजेश्वरी मंदिर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं की खूब भीड़ देखने को मिल रही है सोमवार अष्टमी के दिन जनपद की जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण भी मां के दरबार पहुंचकर पूजा अर्चना की और मां राजराजेश्वरी से समस्त देश प्रदेश और जनपद वासियों की सुख समृद्धि की कामना की और नवरात्र दशहरा की शुभकामनाएं दी। आज दूसरी बार मंदिर पहुंची जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण का मंदिर समिति ने मंदिर परिसर में लगी सोलर लाइट के लिए धन्यवाद जताया और अन्य विकास कार्यों के लिए भी श्रीमती अध्यक्षा को अवगत कराया। जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण ने कहा कि टिहरी राज वंश की आराध्य देवी मां राजराजेश्वरी हमारी भी कुलदेवी है और जो भी भक्त यहां पर श्रद्धा से आता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। इस प्राचीन सिद्धपीठ पर कुछ अच्छे कार्य करने क्षेत्रीय जनता के साथ मेरी भी इच्छा है कि यहां का समग्र विकास हो । वहीं मंदिर में सड़क पहुंचाने पर क्षेत्रीय विधायक शक्ति लाल शाह का भी धन्यवाद किया और कहा कि यहां पर हजारों लोगों का अटूट विश्वास है जबकि श्रद्धालुओं को पहले कही किलोमीटर पैदल आना पड़ता था लेकिन अब हमारी सरकार की विकास परस्त सोच और क्षेत्रीय विधायक के परिश्रम से आज मंदिर तक सड़क पहुंच गई है। 

    वहीं जिला पंचायत सदस्य धनपाल नेगी श्रीमती सजवाण से सौंदर्यीकरण और प्रवेश मार्ग पर प्रवेशद्वार बनाने और सड़क से मंदिर तक पैदल रैलिंग युक्त मार्ग का प्रस्ताव रखा। वहीं स्थानीय प्रतिनिधियों ने मंदिर परिसर में टहल निर्माण और अन्य क्षतिग्रस्त भवनों सहित पेयजल किल्लत को दुरुस्त करने की मांग की ।

    आपको बता दें माँ राज राजेश्वरी मंदिर में प्रत्येक नवरात्रों में पूजा अर्चना की जाती है। तथा दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं और अपनी मनौती मांगते हैं और माँ का आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर में माँ राज राजेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के द्वारा नित्य धूप दीप, साफ सफाई तथा रखरखाव का प्रवन्ध किया गया है। मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की पूर्ण व्यवस्था है। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य धनपाल नेगी, रघुवीर सजवाण, मंदिर समिति के अध्यक्ष नीलम भट्ट, रावल देवेश्वर प्रसाद नौटियाल, जसराम, पूर्व प्रधान मोहन लाल भट्ट, अब्बल सिंह रावत, सूरत सिंह चौहान, विजय रावत, शिव सिंह असवाल, विक्रम असवाल, देव सिंह कंडारी, अमन दीप, रमन रतूड़ी, भगत सिंह चौहान, रघुवीर लाल आदि लोग मौजूद रहे


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