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ऋषिकेश:
ऋषिकेश के गुमानीवाला स्थिति कैनल रोड़ गली नंबर 6 में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा पुराण सुनने के लिए आये श्रद्धालुओं की भीड़ ने कथा में चार चांद लगा दिए। गुमानीवाल में स्व० विद्यानंद नौटियाल की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के वक्ता भजराम शास्त्री ने कहा कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है।
20 अप्रैल से 26 अप्रैल तक चलने वाले संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार को पं.भजराम शास्री ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है ।
भागवत कथा का दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होता
कथा में पंडित भजराम शास्त्री ने कहा श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है। वहीं शनिवार को श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा भी सुनाई और जन्मोत्सव भी मनाया, जबकि कथा श्रवण करने आये श्रद्धालु भी भजनों में खूब झूमे। जबकि कथा सुनने आये श्रद्धालुओं ने कथा वाचक पं. भजराम शास्त्री और आचार्य जीतराम नौटियाल की भी खूब सराहना की।
इस कथा का आयोजन टिहरी जनपद के मान्दरा गांव मूल निवासी अध्यापक राजेंद्र नौटियाल, लाखीराम नौटियाल के द्वारा अपने स्व० पिता विद्यानंद नौटियाल की पुण्य स्मृति में किया जा रहा है जिन्होंने दूसरे कोरोना काल कोविड ने जान ले ली थी और अपनी आखिरी सांसें एम्स ऋषिकेश में ली थी।
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