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संजय रतूड़ी उत्तरकाशी। जनपद के बड़कोट तहसील अंतर्गत बाबा बौखनाग प्रांगण, उपराड़ी गांव में बेलवाल परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भक्तिभाव से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। सोमवार को जब कथा प्रवचन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रसंग का वाचन हुआ, तो पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा। श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन के साथ झूमकर उल्लास मनाया।
कथावाचक राष्ट्रीय संत डॉ. दुर्गेश आचार्य जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि मनुष्य के जीवन में सुख-दुःख प्रभु की कृपा से ही आते हैं। जब श्रीकृष्ण जन्मे, तो जेल के ताले स्वयं खुल गए, पहरेदार गहरी निद्रा में सो गए, और वासुदेव-देवकी बंधनों से मुक्त हो गए। यह प्रमाण है कि ईश्वर की कृपा से असंभव भी संभव हो सकता है।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर "नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की" जैसे भजनों की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया। कथा के दौरान व्यास जी ने बताया कि वासुदेव ने नवजात श्रीकृष्ण को यमुना पार गोकुल पहुंचाया और वहां से यशोदा के यहां जन्मी शक्ति रूपा कन्या को लेकर लौट आए। जब कंस ने उस कन्या को पकड़कर जमीन पर पटकना चाहा, तो वह शक्ति रूप में प्रकट होकर आकाशवाणी करने लगी— "कंस! तेरा वध करने वाला जन्म ले चुका है।" यह सुनकर कंस भयभीत होकर अपने महल को लौट गया।
इस दिव्य आयोजन में मंडप आचार्य पंडित हरिशंकर सेमवाल, कृष्णा नंद मिश्रा, यमुनोत्री धाम के रावल सुरेश उनियाल, सुरेश नौटियाल, आचार्य भास्कर समेत अनेक विद्वान आचार्य उपस्थित रहे। आयोजन समिति में बालकृष्ण बेलवाल, शांति प्रसाद बेलवाल, कमला राम बेलवाल, मुंशी राम प्रेम बंधानी सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और कथा का रसपान किया।
भक्तों के उत्साह और श्रद्धा से सराबोर यह आयोजन श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम का अद्भुत प्रमाण बना।
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