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Tehri: मंगशीर बग्वाल की तैयारियों में जुटे ग्रामीण, सज गया बाबा का दरबार क्षेत्र में तीन दिनों तक मनेगा बलिराज।

23-11-2024 08:26 AM

घनसाली- भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर बग्वाल को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।मुख्य दीपावली के ठीक एक माह बाद 30 नवंबर को टिहरी जिले के थाती कठूड़ के लोग मंगशीर की दीपवाली (बग्वाल) मनाएंगे। दीपावली के अगले दिन एक दिसंबर को गुरु कैलापीर मंदिर समिति की ओर से बूढ़ाकेदार में तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाएगा।

बूढ़ाकेदार क्षेत्र के थाती कठूड़ पट्टी के लोग मंगशीर माह की बग्वाल बड़े उत्साह से मनाते क्षेत्र के लोग इन दिनों अपने घरों को सजाने और संवारे के काम में लगे हैं। देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में नौकरी पेशा वाले वाले लोग मंगशीर की बग्वाल पर अपने घर लौटते हैं।

बग्वाल पर क्षेत्र की ध्याणियां अपने मायके आती हैं। नाते रिस्तदारों को भी आमंत्रित किया

जाता है। रात को क्षेत्र के लोग अपने आराध्य देवता बूढ़ाकेदार मंदिर और

आसपास के सेरों (सिंचित खेतों) में सामूहिक रूप से भैले खेलते हैं। दीपावली के अगले दिन क्षेत्र के लोग और गुरु कैलापीर देवता के दर्शन पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेते हैं। हैं।

कई जोड़ी ढोल दमाऊं और रणसिंग की ताल और धुन पर गुरु कैलापीर के निशान को मंदिर से बाहर लाया जाता है। देवता के पश्वा देवता के निशान को लेकर

सेरों में दौड़ लगाते हैं। देवता के निशान के पीछे बड़ी संख्या लोग भी दौड़ लगाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि देवता के निशान के साथ सेरों में दौड़ लगाने से अच्छी फसल की पैदावार होती है।

गुरु कैलापीर मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नेगी, विनोद सेमवाल, सुशील सेमवाल, धीरेंद्र नौटियाल ने बताया कि मंगशीर की दीपवाली पर्व को लेकर लोग अपने घरों में रंगाई-पुताई के काम में जुटे हैं। इस बार एक दिसंबर से शुरू।

स्थानीय निवासी गोपेश्वर जोशी और राम प्रसाद सेमवाल ने बताया कि थाती कठूड़, गाजणा कठूड़ और नाल्ड कठूड़ प‌ट्टी में मंगशीर की दीपावली मनाने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि गुरु कैलापीर देवता हिमाचल प्रदेश से गढ़वाल भ्रमण पर आए थे। बाबा बूढ़ाकेदार की भरती उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने यहीं रुकने का फैसला लिया। देवता के फैसले से क्षेत्र लोग खुशी से झूम उठे थे। उस समय लोगों ने गुरु कैलापीर के रुकने की खुशी में अपने घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाएं और रात को दीपोत्सव किया। तब से इस क्षेत्र के तीनों पट्टियों के लोग मंगशीर की बग्वाल मनाते आ रहे हैं।

होने वाले तीन दिवसीय मेले में स्कूल छात्र-छात्राओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिता के अलावा लोक गायक प्रस्तुत्ति


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