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टिहरी:-
एंकर-टिहरी जिले में प्रतापनगर विधानसभा के कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने टिहरी झील से प्रभावित रोलाकोट, भलड़ियाना आदि गांवों के विस्थापन की मांग को लेकर पुनर्वास कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए है और जोशीमठ जैसी हालात हो सकते हैं टिहरी झील के प्रभावित रौलाकोट भलड़ियाना गांव के, शासन प्रशासन को तत्काल शेष छुटे परिवारों का करे विस्थापन।
प्रताप नगर से कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि 29 अक्टूबर 2005 को जब टिहरी झील अंतिम सुरंग बंद की गई और भागीरथी भिलंगना नदी को रोक दिया गया तब टिहरी बांध की झील का निर्माण हुआ और जैसे-जैसे झील का जलस्तर बढ़ता गया तो ग्राम रौलाकोट भलड़ियाना, पीपला उठंडा नंद गांव उठड आदि के ऊपरी भाग में अस्थिरता उत्पन्न होने लगी गांव के भूमि भवनों में बड़ी बड़ी दरारें पड़ गई, और कुछ कुछ भवन ऐसे हैं जो कभी भी जमींदोज हो सकते हैं और किसी की जान माल का नुकसान हो सकता है परंतु अभी तक इनका कोई विस्थापन नहीं किया गया, वही विधायक ने कहा कि फिर टिहरी झील से सबसे ज्यादा रौलाकोट गांव के परिवार है और इन गांव में 75% परिवार पूर्व में ही पुनर्वास हो चुके हैं शेष 25% परिवार जिनकी संख्या मात्र 17 परिवार है उनका विस्थापन होना शेष है और इनका विस्थापन क्या जाना जरूरी है भलड़ियाना गाव के 6 परिवार का विस्थापित किया जाय।
वही एडवोकेट कॉंग्रेस नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार व टीएचडीसी ने आरएल 835 मीटर से ऊपर की गावो के लिए एक संपार्श्विक क्षतिपूर्ति नीति बनाने के निर्देश दिए थे, और वर्तमान में टिहरी बांध जलाशय परिधि पर आरएल 835 मीटर से ऊपर संपार्श्विक क्षतिपूर्ति से गावो के परिवारों के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना का कार्य संपार्श्विक क्षति नीति 2013 व 2021 के3 अंतर्गत गतिमान है भूमि की अनुउपलब्धता के कारण इन ग्रामो के पूर्ण पूर्ण प्रभावित परिवारों को 2 एकड़ कृषि भूमि 200 वर्ग मीटर आवासीय भूमि के बदले 74 लाख नगद प्रति कर दिया जा रहा है तथा आंशिक प्रभावित परिवारों को पूर्व पुनर्वास नीति 1998 के भाषण उनकी क्षतिग्रस्त भूमि के बदले भूमि का नगद प्रति कर ही दिया जा रहा है साथी पुनर्वास नीति 1998 के अनुसार वह गांव जहां 75% अथवा उससे अधिक परिवारों को पूर्ण रूप से प्रभावित माना जाता है वह शेष आंशिक रूप से प्रभावित परिवारों को पूर्ण रूप से प्रभावित माना जाएगा वो सकते हैं कि वह अपने संपूर्ण जमीन के एवज में पूर्णता प्रभावित परिवारों पर लागू मानदंडों के अनुसार नगद प्रतिपूर्ति के भुगतान के पात्र हैं तथा उन्हें भूमि आवंटन के पात्र नहीं होंगे ऐसे पूर्ण डूब क्षेत्र के ग्राम जिनकी 75% भूमि डूब क्षेत्र में जा चुके हैं उनके अवशेष 25% परिवारों को भी अन्य विस्थापितों की भांति नगद प्रतिकार के वजह कृषि एवं आवासीय भूखंड तथा उनकी परिसंपत्तियों का भुगतान किया जाए ऐसे ग्राम की संख्या बहुत कम है और वह ग्राम लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
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