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घनसाली, टिहरी गढ़वाल:-
टेंबरु को हम कई प्रकार के औषधीय में प्रयोग करते हैं, इसी टेंबरु का सही प्रयोग के लिए कवि विष्णु प्रसाद सेमवाल ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में पीएम मोदी से निवेदन करते हुए लिखा, मान्यवर यह सर्वविदित है कि आप देवभूमि उत्तराखंड के चारधाम उत्थान करने तथा इन देवस्थानो के बिकास के साथ साथ उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों तथा समस्त ग्रामांचल के आर्थिक उन्नति के लिए पूर्ण रूप से प्रयासरत हैं आपकी इस सद्भावना से समस्त उत्तराखंड वासी बिज्ञ हैं,मान्यवर जी आप एक कुशल राजनेता के साथ सफल धार्मिक, आध्यात्मिक, और योगिक बिभूति भी है यही कारण है कि आज हमारे पुराने देवस्थान आज नव चेतना के रूप में आध्यात्मिक आत्मशांति के केंद्र बन रहें इस क्रम मैं आपसे एक विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि उत्तराखंड चारधाम और गंगा यमुना जी आस्था केंद्र बिंदु हैं सम्पूर्ण हिन्दू सनातन धर्म संस्कृति के लोग हमारे चारों धाम के अलावा पंच बद्री पंचकेदार और हजारों देवी देवता के दर्शनार्थ आते हैं हर आने वाला तीर्थ यात्री चाहता है कि मैं इन तीर्थ स्थानों से कोई दीर्घकालीन प्रसादी रुप में कोई श्रद्धा स्मृति चिन्ह देकर जांऊ किंतु आज हम चारधाम मन्दिर समिति अथवा पंण्डापुरोहित कोई एक श्रद्धाचिह्न तय नहीं कर पाये इस सन्दर्भ में कुछ धार्मिक आध्यात्मिक और सन्तों के समक्ष देवचिह्न प्रसाद और आयुर्वेदिक प्रामाणिक बस्तु स्वीकारोक्ति तिम्बरु (तेजबल) औषधीय एवं धार्मिक महत्व की है यदि इसका कृषिकरण पूरे उत्तराखंड के समस्त क्षेत्रों में बैज्ञानिक आधारित करवाया जाय तो तिम्बरु, टिंबरु (तेजबल) से निम्नांकित गुणधर्म तिबंरू से प्राप्त हो सकता है कि:
1. तिम्बरू को तेजमल सोटा भी कहा जाता है यह उत्तराखंड में देवी देवताओं का अस्त्र शस्त्र माना जाता है नैपाली चिमटा और टिमरू का सोट्टा यहां के देवजागर में ऊर्जा और आस्था के मुख्य कथानक है इसी कारण टिंबरू में नृसिंह बाबा और भैरूबाबा का दर्शन श्रद्धालु लोग देखते हैं।
2. टिंबरू दण्ड धारण करना अनादि काल से हमारे सन्त महात्माओं का मुख्य सहारा था टिंबरुदण्ड इसलिए रहा कि तिम्बरू उच्च एवं निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करता है जब सन्त महात्मा जब हिमालय क्षेत्र में यात्रा करते तो रक्तचाप अनियंत्रित होने पर टिंबरु का स्पर्श औषधि का काम करता है यही कारण है कि सन्त महात्माओं का यह सहयोगी और उपयोगी माना जाता है।
3. टिबंरु को आयुर्वेदिक ग्रंथों एवं तांत्रिक क्रियाओं, और ज्योतिष कर्मकाण्ड में वास्तुदोष निवारक माना गया है जिस घर में तेजमल सोटा होगा वहां वास्तुदोष अपना प्रभाव नहीं दिखाता।
4. टिंबरु मुंह में पड़े छालों में दांत दर्द में दांतुन करने सबसे उत्तम औषधि है हमारे पूर्वजों का मुंह संबंधित रोगनिदान तिंबरु ,पत्ती और छाल से किया जाता था।
5. टिंबरु का बीज पाचक और गैस नाशक है इस लिए हमारे पूर्वज इसको मसाला और चाय में उपयोग करते।
6. टिंबरु की जंगली जानवरों से बचाव के रूप में सघन जैविक बाड की जा सकती है इसबाड से आर्थिक आमदनी भी होगी और फसल सुरक्षा भी।
7. टिबंरु का कृषि करण यदि सरकार रोजगार सृजन के रूप में इसे कृषि उद्योग मानते हुए इसके संरक्षण, संबर्धन और आदर्श बिदोहन का प्रशिक्षण सरकार अगर काश्तकारों को प्रशिक्षण देते हैं तो रोजगार सृजन होगा।
8,जब हरिद्वार में कुंभ मेला उत्तरकाशी में माघ मेला तथा अनेक देवस्थानों में प्रसिद्ध मेले लगते हैं किन्तु उन्हें देने के लिए हमारे पास कुछ नहीं होता यदि तिंबरु की एक छोटी सी देवप्रसादी हम इन तीर्थ स्थलों में देते हैं तो हजारों लोगों का रोजगार सृजन किया जा सकता है।
9. यदि बैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में टिंबरु उत्पादन की बिधि बिकसित करवाई जाय तो यह उत्तराखण्ड के जनजीवन में आर्थिक प्रगति भी होगी और पलायन पर भी काफी रोक लगेगा।
बिष्णु प्रसाद सेमवाल अध्यक्ष ग्रामोदय सहकारी समिति लि. भिगुन टिहरी गढ़वाल
नई टिहरी - अखिल भारतीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमेठी के सांसद राहुल गांधी जी को लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त होने पर कांग्रेस जनों में खुशी की लहर है।जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राण...