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Tehri Garhwal: तीन साल से आनंद कर रहे हैं कड़ी मेहनत, अब सेब बागवानी के लिए जाना जाएगा टिहरी उत्तरकाशी का हरुड़़ सौड़।

23-09-2023 09:52 AM

टिहरी:- 

    रिपोर्ट: पंकज भट्ट - उत्तराखंड में पलायन ऐसा विषय जिसका अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। सरकार ने कुछ कदम अवश्य बढ़ाए लेकिन बदली परिस्थितियों में लंबा रास्ता तय करना बाकी है। वर्तमान धामी सरकार ने इसके लिए कसरत शुरू कर दी है। गांवों के विकास और वहां रोजगार-स्वरोजगार के दृष्टिगत एकीकृत कार्ययोजना का खाका खींचा जा रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इसके लिए जल्द कदम उठाने के साथ ही अगले 10 वर्ष तक गांवों पर ही ध्यान केंद्रित करेगी। आखिर, प्रश्न गांवों को खाली होने से रोकने का जो है।  वहीं खाली होते गांवों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बेरोजगारी को मात देकर स्वरोजगार की और अपने कदम बढ़ा रहे हैं, इन लोगों में एक हैं टिहरी के आनंद सिंह राणा। क्या कुछ कर रहे हैं खास, देखिए पूरी रिपोर्ट।

    उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में पलायन कोई नई समस्या नहीं है वहीं पिछले कोरोना काल से काफी लोगों ने स्वरोजगार में भी अपनी किस्मत खूब आज़माई जिसमें अधिकांश लोग सफल भी हुए हैं, इन सब के बीच है टिहरी के आनंद सिंह राणा जो टिहरी और उत्तरकाशी जनपद की बीच सीमा पर स्थित हरुड़़ सौड़ में पिछले तीन वर्षों से बागवानी की तरफ अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और आने वाले दिनों में सफलता भी उनके हाथ लगने वाली है। आनंद सिंह ने भी लोगों से अपील करते हुए कहा कि यहां के युवाओं को पलायन करने कि वजह अपनी बंजर भूमि पर कुछ बागवानी व कृषि करनी चाहिए, जिससे हमें स्वरोजगार भी मिलेगा और भूमि भी आबाद रहेगी। वहीं उन्होंने बताया कि मैने 50 नाली जमीन पर गाला प्रजाति के  एक हजार से अधिक सेब के पौधे लगा रखें है जबकि आने वाले समय में कीवी के पौधे और लेमेंडर ग्लास आदि लगाने की सोच रहा हूं।

    वहीं भ्रमण पर पहुंचे टिहरी ग्राम्य विकास के जिला संयोजक हरीश बसलियाल ने बताया कि हरुड़ सौड़ अपने आप में एक खूबसूरत स्थान है जो पर्यटन की दृष्टि से भी काफी सुंदर है, वहीं उन्होंने बताया कि तीन हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित हरुड़़ सौड़ सेब के साथ साथ औषधिय पौधों सहित लेमेंडर व कीवी के लिए महत्वपूर्ण है।

    आपको बता दें टिहरी और उत्तरकाशी जनपद के बीच सीमा पर स्थित सेम नागराज से कुछ ही दूरी पर स्थित हरुड़़ सौड़ प्राकृतिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है, जहां पर पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं, जबकि अधिक ऊंचाई होने के कारण यहां पर सेब की बागवानी के लिए भी पर्याप्त वातावरण है, अगर कमी है तो इन ठंडे और खूबसूरत उपजाऊ स्थानों को संवारने की । टिहरी से पंकज भट्ट की स्पेशल रिपोर्ट।


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