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नई टिहरी:- वर्तमान समय पर हो रहे वातावरणीय परिवर्तन को मध्यनजर रखते हुए एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
सोमवार को हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामीरामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल के समाजशास्त्र विभाग द्वारा प्रो० ए. ए. बौड़ाई निदेशक स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल, टिहरी गढ़वाल, के संरक्षण एवं प्रो० गीताली पड़ियार विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्षता में "पर्यावरणीय सुरक्षाः उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र पर सामाजिक-आर्थिक प्रभाव" विषय पर ऑनलाइन माध्यम द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें भारत के अलग-अलग राज्यों के अलावा जर्मनी और नेपाल से भी कई शैक्षणिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रो० गीताली पड़ियार विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग द्वारा सभी सम्मानित अतिथियों का अभिनंदन करते हुए संगोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को मुख्य वक्ताओं का परिचय देते हुए किया गया। इसके पश्चात परिसर निर्देशक प्रो० ए. ए. बौड़ाई द्वारा सभी मुख्य वक्ताओं और प्रतिभागियों को का अभिनंदन करते हुए संगोष्ठी आयोजक समाजशास्त्र विभाग को संगोष्ठी के सफल संचालन कि शुभकामनाएँ दी गयी।
इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ताओं के रूप में पर्यावरण के क्षेत्र में राष्ट्रीय छवी रखने वाले मैती आंदोलन के प्रणेता पदमश्री से सम्मानित श्री कल्याण सिंह रावत जी, प्रेम यूथ फाउण्डेशन के संस्थापक प्रो० प्रेम कुमार जी, श्री अविनाश कुमार सिंह जिला युवा अधिकारी मिजोरम, पर्यावरणविद श्री चन्दन सिंह नयाल जी, डॉ० राजीव कुमार सहायक प्रोफेसर श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटरा जम्मू कश्मीर, ऐडवोकेट अनुज दिवेदी सर्वोउच्च न्यायलय नई दिल्ली, उद्यमी ऐवम पर्यावरणविद आयुष वर्मा आदि वक्ताओं ने पर्यावरण के क्षेत्र में स्वयं के द्वारा की गई विशिष्ट पहलों के साथ ही वर्तमान आवश्यकता पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
जिसमें श्री कल्याण सिंह रावत जी ने मूल रूप से उत्तराखण्ड की जैव विविधता को होने वाले नुकसान और पानी के संकट से आगाह करते हुए बताया कि हमें हिमालय नीति बनाने के साथ ही जैविक खेती और चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ पौधों को विकसित करने पर ध्यान देने की अत्यन्त आवश्यकता है, वहीं श्री प्रेम कुमार जी ने प्राकृतिक उत्पादों में माइक्रो प्लास्टि की बढ़ती सक्रियता पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि धरती की हरियाली में जीवन की खुशहाली वाले मंत्र को आत्मसात कर जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्कता है और श्री चन्दन सिंह नयाल जी ने चाल-खाल को विकसित कर जल संरक्षण कर प्रकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल देने को कहा। इसके साथ ही वक्ता श्री अविनाश कुमार सिंह, डॉ० राजीव कुमार, श्री अनुज द्विवेदी और श्री आयुष वर्मा ने कहा कि ग्रामीण विकास और सतत विकास में स्थानीय संस्कृति और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। युवा, अपनी ऊर्जा, ज्ञान, और नवाचार के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति दे सकते हैं। साथ ही, वे स्थानीय संस्कृति को बनाए रखने और उसे आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कार्यक्रम का सफल आयोजन कार्यक्रम समिति के सदस्य डॉ. रविन्द्र कुमार स्नेही और सगुप्ता परवीन तथा संचालन स्वामी रामतीर्थ परिसर, टिहरी के समाजशास्त्र विभाग की शोध छात्रा सोनम ठाकुर तथा सृष्टि के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के समापन पर संगोष्ठी संयोजक, डॉ. आराधना बँधानी ने कार्यक्रम के आयोजन में शामिल सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों के बहुमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया। तथा संगोष्ठी में हुई चर्चाओं और अभिनव विचारों के आदान-प्रदान पर प्रकाश डाला। डॉ. बँधानी ने कहा कि यह संवाद और चर्चाएँ केवल शब्दों तक सीमित न रह जाएँ, बल्कि यह हमारे जीवन में उभर कर आयें ताकि हम सभी मिलकर हिमालयी क्षेत्रों के पर्यावरणीय और सामाजिक भविष्य को सुरक्षित और समृद्ध बना सकें।
सैनिक सम्मान में श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष आयोजित करेगा विभिन्न कार्यक्रम- प्रो0 एन0 के0 जोशी, कुलपति।चंबा:- श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल में भारत की स...