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घनसाली टिहरी:
टिहरी जनपद की घनसाली विधानसभा सीट इस बार असमंजस की स्थिति में बनी है । मतदान 14 फरवरी को हो गया लेकिन तमाम राजनैतिज्ञ और गणितज्ञ अभी भी घनसाली विधानसभा से एक तरफा रुझान बताने में असमर्थ हैं। जहां एक तरफ बीजेपी कांग्रेस सहित निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी जीत का दांव ठोक रहे हैं वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मौन रहना स्पष्ट बता रहा है की कोई भी किसी को 10 मार्च से पहले घनसाली का विधायक घोषित नहीं कर सकता । अगर बात करें चुनाव की तो इस विधानसभा सीट से पहले 9 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था, उसके बाद दिनेश लाल ने कांग्रेस पक्ष में और सोहन लाल खंडेवाल ने बीजेपी के पक्ष में अपना नामांकन पत्र वापस किया। सोहन लाल खंडेवाल तो नाम वापसी के बाद प्रदेश की अन्य विधानसभाओं में कहीं बीजेपी के प्रचार प्रसार में नजर आए लेकिन, दिनेश लाल तन मन से कांग्रेस पार्टी के लिए घनसाली विधानसभा में कांग्रेस के पक्ष में डटे रहे।
वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भीमलाल आर्य, दर्शन लाल और शुरवीर लाल मैदान पर टिके रहे । बात अगर भीम लाल आर्य की करें तो भीमलाल आर्य 2012 में घनसाली विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर रिकॉर्ड मतों से विधानसभा पहुंचे थे उसके बाद 2017 में कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे नंबर पर रहे । लेकिन इस बार क्षेत्रीय जनता ने भीमलाल आर्य को बढ़ चढ़कर अपना समर्थन दिया है और पूर्व में किए विकास कार्यों को मध्यनजर रखा, जिस कारण कुछ विश्लेषकों का मानना है इस बार भीमलाल पुनः विधानसभा पहुंच सकते हैं। वहीं बात अगर दर्शन लाल आर्य की करें तो दर्शन लाल आर्य को राजनीति के क्षेत्र में बहुत अधिक अनुभव तो नहीं है लेकिन कोरोना काल के दौरान क्षेत्र में गरीबों की मदद करने में दर्शन लाल सबसे आगे रहे, यही कारण है कि क्षेत्रीय जनता ने इस चुनाव में उन्हें भी खूब बढ़ चढ़कर मतदान किया है। जबकि घनसाली विधानसभा में अनु. जाति के सबसे पुराने कांग्रेसी नेता और निर्दलीय प्रत्याशी शुरवीर लाल इस बार चुनाव में तो उतरे हैं लेकिन क्षेत्रीय जनता ने इनके प्रति बहुत अधिक संवेदना नहीं दिखाई जिस कारण ये जीत की रेस में भी शामिल नहीं है।
जबकि उत्तराखंड क्रांति दल के कमल दास और आम आदमी पार्टी के विजय दास भी जनता के बीच अपनी पहचान बनाने में बहुत अधिक सफल नहीं हो सके । उक्रांद नेता कमल दास से घनसाली की जनता काफी हद तक परिचित भी है लेकिन हाल में राजनीति में आए आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी विजय दास को तो घनसाली की 95 प्रतिशत जनता जानती भी नहीं है। अगर बात राष्ट्रीय पार्टियों की करें तो भारतीय जनता पार्टी से निवर्तमान विधायक शक्ति लाल शाह जबकि कांग्रेस से पूर्व प्रमुख धनी लाल शाह मैदान पर थे। शक्ति लाल शाह बहुत ही सौम्य स्वभाव के लिए पूरे प्रदेश में जाने जाते हैं। वहीं शक्ति लाल शाह ने पूरे प्रदेश में सबसे अधिक सड़कें घनसाली विधानसभा में बनाने का रिकार्ड भी अपने नाम किया है, विधानसभा क्षेत्र के तमाम सुदूर गांव में सड़क पहुंचाने में सफल रहे , जबकि पूरे देश में अभी भी मोदी लहर होने के कारण कुछ राजनीतिज्ञ मानते हैं कि अभी भी महिलाओं द्वारा मोदी के नाम पर बीजेपी के पक्ष में मतदान किया गया है और घनसाली से पुनः शक्ति लाल शाह विधायक बन सकते हैं।
वहीं कांग्रेस नेता पूर्व प्रमुख धनी लाल शाह इस विधानसभा चुनाव में सबसे शिक्षित उम्मीदवार होने के नाते आर्थिक स्थिति में सबसे कमजोर भी माने जाते हैं। जबकि धनी लाल शाह अभी तक चार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं जिस कारण इस बार इनके ऊपर जनता की काफी संवेदना देखने को मिली, यही कारण है कि कुछ राजनीतिक विश्लेषक इस बार घनसाली विधानसभा से धनी लाल शाह को घनसाली का विधायक मान रहे हैं। लेख जारी....
अगले संस्करण में।
घनसाली- भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में मंगशीर बग्वाल को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।मुख्य दीपावली के ठीक एक माह बाद 30 नवंबर को टिहरी जिले के थाती कठूड़ के लोग मंगशीर की दीपवाली (बग्वाल) मनाएंगे। दीपाव...