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टिहरी के शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़।

19-02-2023 04:16 AM

टिहरी:- 

रिपोर्ट- पंकज भट्ट: देश प्रदेश में आज महाशिवरात्रि की धूम मची है वहीं टिहरी जनपद के शिव मंदिरों में भी आज श्रद्धालुओं की खूब भीड़ देखने को मिली है, बूढ़ा केदार, बेलेश्वर और देवलेश्वर में क्या है खास देखिए पूरी रिपोर्ट।

    बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है। दो नदियों बालगंगा व धर्म गंगा के मध्य यह धाम स्थित है। यहां पर दोनों नदियों का संगम भी है। पूर्व में केदारनाथ पैदल यात्रा का यह मुख्य पड़ाव था उस समय बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी। बूढ़ाकेदारनाथ के नाम से ही इस गांव का नाम भी बूढ़ाकेदार पड़ा जो धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

    बूढ़ाकेदारनाथ धाम की नींव आदि गुरू शंकराचार्य ने रखी थी। मंदिर के अंदर पत्थर की शिला है, जिसमें पांडवों की आकृतियां उभरी हैं। बताया जाता है कि गोत्र हत्या से मुक्ति पाने के लिए पांडव इस स्थान से स्वर्गारोहण के लिए निकलते थे तो यहां पर भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे, जिसके बाद इस स्थान का नाम बूढ़ाकेदार पड़ा। इस मंदिर के पुजारी नाथ जाति के लोग होते हैं। इसी स्थान से प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल सहस्रताल पहुंचा जाता है।

    श्रावण मास में पैदल कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त बूढ़ाकेदार के दर्शन करते हैं। बूढ़ाकेदार के दर्शन के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह काफी प्राचीन केदार में एक माना जाता है। वर्तमान में केदारनाथ की पैदल कांवड़ यात्रा यहीं से होकर निकलती है। यहां पर बूढ़ाकेदार का प्राचीन मंदिर था, जिसे अब भव्य रूप दिया है। क्षेत्र ही नहीं दूर-दराज क्षेत्र के लोगों की इस धाम के प्रति अटूट आस्था है।

    वहीं टिहरी जनपद के ही भिलंगना प्रखंड के केमर घाटी में बिलेश्वर के पास स्थित बेलेश्वर महादेव मंदिर पौराणिक मंदिर सभी देवालयों में एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। जहां पर शिवरात्रि के अलावा अन्य दिन पर भी शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। क्षेत्र के लोगों की चंदे की राशि से बना करोड़ों रुपये की लागत से यह मंदिर घनसाली-चमियाला मोटर मार्ग से सटा होने के कारण यहां पर बाहर से आने यात्रियों के लिए भी यह मंदिर श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। सड़क मार्ग से सटे होने के कारण यहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

    प्राचीन काल से बताते है कि जब त्रेतायुग में पांच पांडव हरिद्वार से हिमालय के लिए प्रस्थान कर रहे थे तो मध्य रात्रि के समय पांचों भाई पांडव और द्रोपती उक्त स्थान पर रुक गए थे। उस समय वहां पर एक छोटासा शिव मंदिर स्थित था। विश्राम के दौरान भगवान शंकर ने यहां पर युधिष्ठिर को भेल जाति के एक विचित्र मनुष्य के रूप में दर्शन दिये थे और हिमालय प्रस्थान करने से पूर्व क्षेत्र के बूढ़ाकेदार स्थिति एक और शिव मंदिर में रुकने की सलाह दी थी तब से इस जगह का नाम पहले भेलेश्वर और अब बेलेश्वर के नाम से जाना जाता है। 

    जिस का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। इस शिव मंदिर मे शिवलिंग भी केदारनाथ शिवलिंग की आकृति का है। पहले यह मंदिर काफी प्राचीन था, लेकिन अब इस मंदिर को भव्य बनाया गया है। यहां पर क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों की अटूट अस्‍था है। चारधाम यात्रा के दौरान बाहर से आने वाले यात्री भी यहां पहुंचते हैं।

    टिहरी जनपद के ही आरगढ़ घाटी स्थित देवलेश्वर महादेव में भक्तों की खूब भीड़ देखने को मिली , यहां पर शिव महापुराण और श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है, जबकि आज महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव पार्वती का विवाह कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। वहीं कार्यक्रम में पहुंचे क्षेत्रीय विधायक शक्ति लाल शाह ने क्षेत्रीय जनता की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि यहां के लोगों में काफी उत्सुकता देखने को मिली है इसी तरह के आयोजनों से हमारी संस्कृति जिंदा है । वहीं उन्होंने मंदिर प्रांगण के सुधारिकरण में सहयोग करने की बात कही है।


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