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शिक्षाविद् एवं महान समाजसेवी डॉ. वाचस्पति मैठाणी की आठवीं पुण्यतिथि किया याद।

16-04-2025 10:02 PM

घनसाली: भिलंगना ब्लॉक के बालगंगा महाविद्यालय सेंदुल केमर के प्रबंधक प्रशांत जोशी ने शिक्षाविद् डॉ वाचस्पति मैठाणी को उनकी आठवीं पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें आद किया। प्रशांत जोशी ने बताया कि दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते प्रेरणादायक इतिहास रचने वाले पूर्व संस्कृत शिक्षा निदेशक शिक्षाविद एवं गांधीवादी विचारों से सरोकार रखने वाले प्रसिद्ध सर्वोदय सामाजिक कार्यकर्ता स्वर्गीय डॉक्टर वाचस्पति मैठाणी जी को शिक्षक दिवस 1999 में महामहिम राष्ट्रपति के आर नारायण जी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर एवं पुनः 2016 में महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा संस्कृत शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर सम्मानित किया गया।

 प्रसिद्ध गांधीवादी एवं चिपको आंदोलन के प्रणेता श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी की संस्था "पर्वतीय नवजीवन मंडल आश्रम सिल्यारा टिहरी गढ़वाल में नई तालीम प्राप्त करने के लिए प्रवेश लिया तथा कताई बुनाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही ग्रामीण स्वच्छता, अस्पृश्यता उन्मूलन, सुत्रयज्ञ, सर्वधर्म समभाव, नशाबंदी का प्रचार प्रसार, पर्यावरण संरक्षण एवं बाल विवाह का विरोध किया। "गढ़वाल की प्रमुख देवताओं की सामाजिक सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि" शोध प्रबंधन पर उन्होंने D. Phil की उपाधि हासिल की। पढ़ाई के साथ-साथ डॉ मैठाणी जी क्षेत्र में शिक्षा के उन्नयन के लिए भी सक्रिय रहे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अति पिछड़े टिहरी गढ़वाल जैसे जनपद में प्राथमिक शिक्षा से लेकर डिग्री कॉलेज स्तर तक की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की। वर्ष 1973 में बालगंगा जूनियर हाई स्कूल, केमर टिहरी गढ़वाल की स्थापना की जो वर्ष 1985 में इंटरमीडिएट कॉलेज बना।

क्षेत्रीय जनता के सहयोग से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में उन्होंने वर्ष 1991 में बालगंगा महाविद्यालय सेंदुल केमर, टिहरी गढ़वाल की स्थापना की जिससे कि आज भिलंगना एवं बालगंगा घाटी के हजारों छात्र-छात्राएं लाभान्वित होकर देश व विदेश में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है ।

पर्वतीय क्षेत्र के जननायक श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी द्वारा वर्ष 1971 में पूर्ण शराबबंदी आंदोलन में सक्रिय रूप से डॉ मैठाणी जी ने भाग लिया जिसमें वे 16 दिनों तक जेल में रहे। पर्यावरण के क्षेत्र में श्री बहुगुणा द्वारा चलाए गए चिपको आंदोलन में डॉ मैठाणी जी का सक्रिय योगदान रहा ।

डॉ मैठाणी जी ने विद्यालयी शिक्षा निदेशालय में संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद पर कार्यरत रहते हुए प्रदेश के सभी विद्यालयों में 25 जुलाई को श्री देव सुमन निर्वाण दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण अभियान चलाकर प्रतिवर्ष विद्यार्थियों द्वारा वृक्षारोपण करवाया। 

डॉ मैठाणी जी द्वारा लिखित "गढ़वाल हिमालय की देव संस्कृति" नामक पुस्तक का विमोचन महामहिम उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत द्वारा 10 जनवरी सन 2005 को नई दिल्ली में किया गया एवं उत्तराखंड के महामहिम राज्यपाल श्री सुदर्शन अग्रवाल जी द्वारा इस पुस्तक की विस्तृत समीक्षा कर सराहना की गई। पुस्तक का विमर्श प्रमुख साहित्यकार प्रो गंगा प्रसाद विमल, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, लीलाधर जगूड़ी, निदेशक शिक्षा पुष्पा मानस, डॉ भगवती प्रसाद मैठाणी के द्वारा किया गया। विद्यालयी शिक्षा निदेशालय में संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद पर कार्यरत रहने पर डॉ मैठाणी जी को संस्कृत विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों, अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों से संबंधित कार्यों के साथ ही विधाई कार्यों का जिम्मा भी सौंपा गया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 

संस्कृत भाषा के प्रति गहरी निष्ठा होने के कारण उत्तराखंड सरकार द्वारा उनको संस्कृत शिक्षा निदेशक का जिम्मा सौंपा गया। अपने तीन - चार वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने संस्कृत शिक्षा विभाग की स्थापना करने और संस्कृत को द्वितीय राजभाषा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही उन्होंने संस्कृत शिक्षा परिषद के गठन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने कार्यकाल में उन्होंने संस्कृत विद्यालयों के अध्यापकों को उच्च वेतनमान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

वहीं उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने देवप्रयाग में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया। साथ ही सेंदुल टिहरी गढ़वाल में महिला स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय व उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में विश्व के प्रथम प्राथमिक संस्कृत विद्यालय की स्थापना भी की।

डॉ वाचस्पति मैठाणी जी द्वारा गढ़वाल हिमालय की देव संस्कृति एक सामाजिक अध्ययन, रामायणाश्रित ग्रंथों का सामान्य परिचय एवं भावी साहित्यिक संभावनाएं, कलिदासस्य साहित्ये प्रकृतिवनौषधश्च, डॉ. इन्दु टिकेकर पावन स्मरण- व्यक्तित्व एवं कृतित्व ग्रन्थों का प्रकाशन एवं 33 अन्य संस्कृत पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन किया गया।

"स्व. डॉ. वाचस्पति मैठाणी स्मृति मंच" इस महापुरुष को बारंबार कोटि कोटि नमन करता है।

               


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