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SIT की जांच पर उठ रहे सवाल, 3 साल से निलंबित कर्मचारी की पत्नी जगह-जगह लगा रही गुहार, सही जांच करे सरकार।

04-09-2022 04:57 PM

नई टिहरी:- 

     छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में सजा भुगत चुके समाज कल्याण विभाग टिहरी गढ़वाल के तत्कालीन कैंप प्रभारी जीत मणि भट्ट को उनके नई टिहरी स्थित आवास से ही गिरफ्तार किया गया था। जीतमणी भट्ट को कोर्ट में पेश कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया.

नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर टिहरी गढ़वाल के एसएसपी के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी की जांच में टिहरी जिले में भी छात्रवृत्ति घोटाले की बात सामने आई थी. जिसके बाद एसएसपी के निर्देश पर एसआईटी सदस्य उप निरीक्षक आशीष कुमार ने मुनिकीरेती थाने में एक अक्टूबर को मामला दर्ज किया था। 

   अब मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया है जब 9 माह पूर्व जीतमणी भट्ट की पत्नी विमला भट्ट ने मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाते हुए पत्र भेजा है कि मेरे पति का इन मामलों से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था ना ही मेरे पति इन सब कार्यों के लिए उपयुक्त अधिकारी थे ना ही उनका ये कार्यक्षेत्र था। विमला भट्ट ने हमारे पोर्टल के माध्यम से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि मेरे पति चमियाला स्थित विकालंग कार्यलय का कार्य देखते थे जबकि तत्कालीन समय में मेरे पति को नई टिहरी समाज कल्याण विभाग कार्यालय का कैंप प्रभारी बनाया गया । 

उन्होंने 9 माह पूर्व मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि वर्ष 2014-15 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति पिछड़ी जाति तकनीकी और अन्य व्यवसायिक कोर्स के छात्रों को प्रदत छात्रवृत्ति के संबंध में शासन स्तर से गठित एसआईटी की जांच मैं कतिपय कर्मियों के विरुद्ध न्यायिक कार्यवाही गतिमान है जिसमें मेरे पति जीत मणि भट्ट पर प्रशिक्षक दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र चमियाला टिहरी गढ़वाल, को स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज कॉलेज ऋषिकेश की छात्रवृत्ति वितरण में गलत एवं षड्यंत्र के साथ सम्मिलित कर फसाया गया जिसमें विभागीय कर्मी और अधिकारी सम्मिलित है।

विमला भट्ट द्वारा पूर्व में भेजे गए पत्र को संज्ञान में लेते हुए कहा कि मैंने मुख्यमंत्री जी से समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति ऑनलाइन के क्रियान्वयन हेतु शासनादेश संख्या 2077/17-4/2014 के व्यवस्था निर्धारित की गई थी जिसमें ऑनलाइन छात्रवृत्ति हेतु बनाए गए सॉफ्टवेयर में उपलब्ध छात्रवृत्ति आवेदन पत्र का विवरण डाटा पात्र छात्र द्वारा वंचित अभिलेखों सहित ऑनलाइन स्वयं फीड किया जाएगा जिसके लिए उसे एक यूजर आईडी और पासवर्ड एस एम एस ईमेल अलर्ट के माध्यम से प्राप्त होगा ऑनलाइन प्राप्त समस्त आवेदनों को संबंधित शिक्षण संस्था के प्रमुख द्वारा जांच उपरांत जिला समाज कल्याण अधिकारी अधिकारी को प्रेषित किया जाएगा इसमें समाज कल्याण अधिकारी द्वारा पाई गई त्रुटियों को निराकरण संबंधित छात्र से करवाया जाना था तथा संबंधित छात्र द्वारा गलतियों को दुरुस्त कर पुनः संबंधित प्रशिक्षण संस्थान के प्रमुख के माध्यम से जिला समाज कल्याण अधिकारी को छात्रवृति आवेदन आन लाइन भेजा जाना था।

विमला भट्ट ने बताया कि मेरे पति समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित संस्था राजकीय दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र चमियाला टेहरी गढ़वाल के प्रशिक्षक के पद पर कार्यरत थे समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर की दूरी पर है नरेंद्र नगर में संचालित था उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार विभाग द्वारा मेरे पति को नई टिहरी में विभाग का कैंप कार्यालय प्रमुख बनाया गया जिसमें मेरे पति जीत मणि भट्ट प्रशिक्षक राजकीय दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र चमियाला को कैंप कार्यालय का प्रभार सौंपा गया समाज कल्याण अधिकारी का मुख्य कार्यालय नरेंद्र नगर में स्थित होने से छात्रवृत्ति से संबंधित कार्य नरेंद्र नगर कार्यालय से संपादित किए जाते थे, जबकि कैंप कार्यालय नई टिहरी में तैनात कर्मिक इस कार्य से कोई लेन-देन नहीं था। आनलाईन छात्रवृति सत्यापन का कार्य विभाग में कार्यरत सहायक समाज कल्याण अघिकारियों द्वारा किया जाना था लेकिन इनके द्वारा यह कार्य कूटरचित साजिश के तहत मेरे पति को सत्यापन हेतु आदेशित किया गया। उल्लेखनीय है कि इसी प्रकरण में मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन देहरादून द्वारा अपने पत्रांक 256 /17-4/2015 दिनांक 16 - 02 -2015 के अंतर्गत आवेदन पत्रों की जांच उप जिला अधिकारी, तहसीलदार खंड विकास अधिकारी एवं अन्य जनपद जनपद स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से कराए जाने हेतु जिलाधिकारी महोदय को निर्देशित किया गया था जिसके क्रम में जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल द्वारा मेरी पति द्वारा किस जांच की ठीक 5 दिन की उपरांत उप जिलाधिकारी एवं अन्य अधिकारियों से जांच कराई गई जिसमें स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज ढालवाला ऋषिकेश के छात्रों की जांच मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र नगर द्वारा संपादित की गई तथा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल द्वारा उक्त जांच रिपोर्ट अपने पत्रांक 961 दिनांक 26-02 -2015 को मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन देहरादून को भेजी गई

विमला भट्ट ने अवगत कराया की उक्त कार्यवाही के उपरांत शासन के पत्रांक 629 दिनांक 26 -03-2015 के अंतर्गत यह निर्देश प्राप्त हुए की वित्तीय वर्ष 2014 -15 में जिन- जिन शिक्षण संस्थाओं की छात्रवृत्ति की जांच जिलाधिकारी द्वारा की जा चुकी है और जाॅच में कोई आपत्तिजनक तथ्य इंगित नहीं है अध्ययनरत अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत कुलदेय राशि का 50% उन छात्रों को भुगतान किए जय जिनके आवेदन पत्र पहले प्राप्त हुए हैं सुनिश्चित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर धन राशि का ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित किया गया जबकि उक्त के संम्बन्ध में निदेशक समाज कल्याण विभाग द्वारा अपने पत्रांक 7834 दिनांक 26 मार्च 2015 समस्त जिला समाज कल्याण अधिकारी उत्तराखंड को शासनादेश में दृष्टि निर्देशानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए गए।

विमला भट्ट ने बताया कि मेरे पति को एक सुनियोजित तरीके से फंसाया गया, तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय द्वारा मेरे पति को दूरभाष निर्देश दिया गया कि जिलाधिकारी कार्यालय में कोई जांच रिपोर्ट है, जिसकी प्राप्त कर कार्यालय को यथाशीघ्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। जबकि मेरे पति को इस तरह का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ था। मेरे पति द्वारा दिनांक 8 अप्रैल 2015 को जिलाधिकारी कार्यालय में उपस्थित होकर उनके द्वारा उक्त जांच रिपोर्ट प्राप्त की गई जांच रिपोर्ट 9 अप्रैल 2015 अपनी निजी ईमेल आईडी से समाज विभाग की मेल आईडी पर उपलब्ध कराई गई। साथ ही उक्त जाॅच जो जिलाधिकारी कार्यालय से प्राप्त की गयी थी आफलाइन संबंधित पटल सहायक को आवश्यक कार्यवाही हेतु सौंपी गयी जिसमें तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी को शासनादेश 629 दिनांक 26 मार्च 2015 के अनुसार छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाना था।

भुगतान 100% इनके द्वारा 5मई 2015 को किया गया ।विमला भट्ट ने बताया कि शासनादेश संख्या 629 में दिए गए निर्देशों के अनुरूप उन संस्थानों के छात्र छात्राओं को उस वित्तीय वर्ष में 50% छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाना था जिस के संबंध में जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में कोई आपत्तिजनक तथ्य नहीं था जो विभाग द्वारा नहीं किया गया। जिस कारण शासन के आदेशों की घोर अवहेलना कर शासनादेशों के विपरीत संज्ञान में होने के बावजूद 100% ,भुगतान किया गया ।समाज कल्याण विभाग नरेंद्र नगर द्वारा सहायक समाज कल्याण अधिकारी के स्थान पर मेरे पति को एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत नरेंद्र नगर कार्यलय से 75 किलोमीटर की दूरी पर नई टिहरी के कार्यलय से इस प्रकरण में छात्रों के आवेदन पत्र जो कि मेरे पति द्वारा कृत जांच से 2 माह पूर्व तैयार कर ऑनलाइन किए जा चुके थे मेरे पति को कूट रचित कूट रचित दस्तावेज तैयार किए जाने का दोषी मानते हुए उनके विरोध न्यायिक कार्यवाही की गई मेरा मेरे पति का छात्रवृत्ति कार्यों से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा एक सुनियोजित ढंग से अनैतिक कृतियों को छिपाने का प्रयास किया गया जिसके लिए आहरण वितरण अधिकारी जिसके द्वारा जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराए जाने का पत्र प्रेषित करते हुए जांच रिपोर्ट काले से प्राप्त होने पर शासनादेश के विपरीत जाकर छात्रों को भुगतान की कार्यवाही सुनिश्चित की गई जबकि संबंधित पटल सहायक सहित पूर्णता जिम्मेदार है मेरे पति वर्तमान में विभागीय कार्यवाही एवं न्यायिक कार्यवाही से उत्पीड़ित है तथा विभाग के कर्मियों द्वारा विभागीय कार्यवाही में मेरे पति को प्रदत्त आरोप पत्र के जवाब है तू सूचना की पहुंच से दूर रखते हुए अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए जिससे फल स्वरूप मेरे पति द्वारा जांच अधिकारी को अपना तथ्यात्मक पक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका।    इसके इतर विभाग अपने बचाव में मेरे पति से अभिलेखों सूचनाओं को छिपा रहा है जिससे स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया में आज भी ऐसे कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित हैं जो उक्त समय से इस कार्य में सम्मिलित थे ।

विमला भट्ट ने बताया कि विभागीय जांच द्वारा मेरे पति को निर्दोष साबित माना गया था । असली जांच में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था कि शासनादेश 629 26 मार्च 2015 के अनुपालन में इन अधिकारियों द्वारा किया गया जिसकी उच्चस्तरीय जांच की चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि जांच की काफी सारी जानकारियां छुपाई गई , कुछ जानकारियां मेरे पति को तब प्राप्त हुई सुचना के अधिकार के सूचना मांगी गई जिसे 10 माह से छुपा रखा था।

वहीं उन्होंने बताया कि विगत वर्ष 2 दिसंबर को इस मामले में मुख्यमंत्री के अनु सचिव देवेंद्र सिंह चौहान ने एक पत्र प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग को जारी किया था लेकिन जब से आज तक इसमें कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

 


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