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रिपोर्ट:- पंकज भट्ट, टिहरी
विश्व प्रसिद्ध चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री से उत्तराखंड की देश दुनिया में पहचान है। लेकिन यहां महासर ताल सहित कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों की नजरों से दूर हैं। इन पर्यटन स्थलों की खूबसूरती देखते ही बनती है। वहीं, तीर्थाटन के साथ ही अब सरकार का साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर है। साहसिक पर्यटन को रोजगार से जोड़कर नए स्थलों को विकसित करने पर काम किया जा रहा है। लेकिन महासर ताल आज भी सरकार के विकास की पहुंचने की उम्मीद लगाए बैठा है ।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटक सुविधाओं के विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारने की चुनौती है। प्रदेश में महासर ताल जैसे कई ऐसे गुमनाम पर्यटक स्थल जो सुविधाओं के अभाव में देश दुनिया से आने वाले पर्यटकों की पहुंच से दूर हैं। उत्तराखंड में पर्यटन को नई पहचान देने के लिए सरकार ने 13 जिलों में थीम आधारित 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की योजना शुरू की है।
इन्ही पर्यटन स्थलों में एक है महासर ताल जो टिहरी जनपद के बालगंगा तहसील के बूढ़ाकेदार से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मखमली बुग्याल के बीच एक सुन्दर तालाब है जहां पर बूढ़ाकेदार के 22 गांव का प्रसिद्द महासर नाग देवता का मंदिर भी स्थापित है।
स्थानीय ग्रामीण भूपेंद्र सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि महासर नाग का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड मौजूद है जबकि महासर नाग थार्ति कठुड़ पट्टी के आराध्य देव हैं । यहां पर ग्रामीण सूखे के दौरान वर्षा और क्षेत्र की खुशहाली सहित खेतों में अच्छी पैदावार के लिए पूजा अर्चना करते हैं, वहीं उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में 13 डेस्टिनेशन की बात करती है तो सरकार को महासर ताल और सहस्रताल को भी तीर्थाटन और पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाना चाहिए, जिससे देश दुनिया के पर्यटन यहां रुकेंगे और यहां के स्थानीय लोगों को बेरोज़गारी और पलायन पर अंकुश लगेगा।
वहीं ग्रामीण व महासर नाग पुरोहित मंदिर अनिल भट्ट ने बताया कि श्री राम किशोर दास जी दिव्यतीर्थ महासर ताल सेवा समिति तितरोणा द्वारा यहां पर प्रतिवर्ष गंगा दशहरा के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जबकि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव पर मंदिर सेवा समिति द्वारा प्रतिवर्ष धार्मिक कार्यों का आयोजन किया जाता है। अनिल भट्ट ने बताया कि महासर ताल में जिस जगह से पानी का रिसाव होता है वहां पर दीवार क्षतिग्रस्त हो गई है जिस कारण आने वाले समय में ये रिसाव किसी बड़ी आपदा को न्योता दे रहा है, सरकार और प्रशासन को इस और गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। वहीं उन्होंने सरकार से मांगा करते हुए कहा कि यहां पर कई यात्री आते हैं लेकिन रुकने की उचित व्यवस्था ना होने से यहां कोई नहीं ठहरता है इस लिए यहां पर टीनसेड का निर्माण होना अतिआवश्यक है। साथ ही महासर ताल को सड़क मार्ग से जोड़ने की भी मांग की ।
तितरोणा के प्रधान जितेन्द्र सिंह गुसाईं ने मीडिया का धन्यवाद करते हुए कहा कि जिस स्थान पर सरकार आज तक नहीं पहुंच पाई इस सुदूर और सीमांत जगह पहुंचने पर मीडिया का धन्यवाद करते हैं वहीं उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि महासर नाग देवता को टिहरी नरेश से भी राजमान्य की मान्यता मिल रखी है वहीं उन्होंने बताया कि इस खूबसूरत स्थान पर मूलभूत सुविधाओं का आभाव है, जिस कारण यहां पर पर्यटकों की संख्या कमी आ रही है, जसे सरकार को गंभीरता से लेते हुए यहां पर तमाम मूलभूत सुविधाओं की कमी को दूर कर इस स्थान को पर्यटन के नक्शे में उचित स्थान मिल सके और यहां के लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके।
महासर ताल टिहरी जनपद के घनसाली विधानसभा स्थित बूढ़ाकेदार के घंडियाल सौड़ से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां स्थान प्राक्रतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, यहां पर अगर जरूरत है तो सरकार के विकास की , यहां से प्रति वर्ष हजारों पर्यटक प्रसिद्ध सहस्रताल और खतलिंग ग्लेशियर की यात्रा करते हैं । यहां पर ठहरने के लिए वन विभाग का एक मात्र अतिथि गृह बन रखा है जो वर्षों से क्षतिग्रस्त हो रखा है। इसी ताल को महाराज ताल जबकि इसके ठीक नजदीकी पर महारानी ताल भी स्तिथ है । टिहरी से पंकज भट्ट की स्पेशल रिपोर्ट।
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