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माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम्।
सभुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति।।
मकर संक्रांति का समय है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसका ज्योतिषीय प्रभाव मुख्य रूप से भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर होता है।
आध्यात्मिक प्रभाव: मकर संक्रांति को एक पौराणिक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है जब देवता सूर्य अपने पुत्र शनि के साथ मिलते हैं। इसे सूर्य के उत्तरायण के रूप में भी देखा जाता है और यह सद्गुण और सत्कर्मों का संकेत होता है।
भौतिक प्रभाव: ज्योतिष में मकर राशि को शनि का स्वक्षेत्र माना जाता है, और सूर्य इसे प्रवेश करके शनि के साथ मिलता है। यह दृढ़ता, संघटन, और समर्पण का समय होता है।
उत्सव और पूजा: मकर संक्रांति को भारतीय उत्सवों का हिस्सा माना जाता है और लोग इस दिन गंगा स्नान आदि करते हैं। पूजा, दान, और धार्मिक क्रियाएं इस समय में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं।
इस प्रकार, मकर संक्रांति का ज्योतिषीय प्रभाव आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेशों के साथ संबंधित होता है, और यह विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालता है।
ज्योतिष में मकर संक्रांति के समय कुछ विशेष उपायों को महत्वपूर्ण माना जाता है जो व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक स्तर पर समृद्धि और शांति की प्राप्ति में मदद कर सकते हैं। ये उपाय व्यक्ति के आत्मा और दैहिक क्षेत्रों की उन्नति के लिए हो सकते हैं:
सूर्य पूजा: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना महत्वपूर्ण है। यह आपको ऊर्जा, शक्ति, और सकारात्मकता प्रदान कर सकता है।
दान और सेवा: इस समय पर दान देना और सेवा करना भी शुभ माना जाता है। गरीबों को आहार या वस्त्र दान करना अच्छा होता है।
व्रत और तीर्थ यात्रा: विशेष रूप से मकर संक्रांति के दिन व्रत रखना और तीर्थ यात्रा करना अच्छा माना जाता है।
ध्यान और प्राणायाम: आध्यात्मिक उन्नति के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करना भी सुझावित है।
पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन गंगा स्नान, पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है।
ये उपाय व्यक्ति की भलाइयों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि ये उपाय व्यक्ति की नियति पर भी निर्भर करते हैं और ज्योतिष के विशेष परिप्रेक्ष्य में होने चाहिए।
आचार्य नवीन भट्ट, ऋषिकेश
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