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नई दिल्ली
विगत वर्षों से बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन करने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने आज बीजेपी का दामन थाम लिया है। कल तक ही बीजेपी सरकार की हर जनहित कार्यों को बुरा साबित करने में कोई कसर ना छोड़ने वाले हार्दिक पटेल का भी अब मोदी मैजिक ही पसंद आया और बीजेपी ज्वाइन कर ली। विश्लेषकों का मानना है यहा हार्दिक की सोची समझी रणनीति है, क्योंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए अब बहुत अधिक समय नहीं बचा है जबकि हार्दिक ने १८ मई को कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। जिसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई थी कि हार्दिक के पास बीजेपी के सिवा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है और अगर सत्ता में रहना है सिर्फ एक ही विकल्प है भाजपा।
आपको बता दें हार्दिक पटेल गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर जारी आरक्षण आंदोलन के युवा नेता हैं। ओबीसी दर्जे में पटेल समुदाय को जोड़कर सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण चाहते हैं।गुजरात मे दंगो मे लिप्त होने के कारण 2 साल की सजा मिली है।
गांधीनगर में गुजरात प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में हार्दिक पटेल ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. इससे पहले बीजेपी में शामिल होने की खबर हार्दिक ने एक ट्वीट के जरिए दी. हार्दिक ने गुरुवार सुबह ट्वीट करके कहा कि वह राष्ट्र सेवा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपाही बनकर काम करेंगे. हार्दिक ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. हार्दिक बीते 7 सालों से खासकर 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के मुखर आलोचक रहे थे.
अब हार्दिक पटेल ने ट्वीट करते हुए लिखा, राष्ट्रहित, प्रदेशहित, जनहित और समाज हित की भावनाओं के साथ आज से नया अध्याय शुरू करने जा रहा हूं. भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्र सेवा के भगीरथ कार्य में छोटा सा सिपाही बनकर काम करूंगा.
कांग्रेस छोड़ने पर बोले हार्दिक
हार्दिक ने इसके लिए सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भी लिखी थी जिसमें उन्होंने कांग्रेस की जमकर आलोचना भी की. हार्दिक ने लिखा, यह 21वीं सदी है और भारत विश्व का सबसे युवा देश है. देश के युवा एक सक्षम और मजबूत नेतृत्व चाहते हैं. पिछले लगभग 3 सालों में मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है, जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं, एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो, देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो. इस दौरान हार्दिक राम मंदिर और हिंदुत्व जैसे मुद्दों का समर्थन भी करते नजर आए.
हार्दिक पटेल का राजनीतिक सफर?
हार्दिक का राजनीतिक सफर बहुत ज्यादा लंबा नहीं है. वो खासतौर पर खुद को युवा नेता कहते हैं. हार्दिक ने पॉलिटिक्स की शुरुआत सात साल पहले की थी. साल 2015 में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक इतने मुखर हो गए थे कि उस समय उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की बीजेपी और गुजरात को हिलाकर रख दिया. हार्दिक को लंबे वक्त तक हिरासत में रखा गया था. वहीं से हार्दिक चर्चा में आए और पटीदार आंदोलन के अग्रणी नेता बन गए. साल 2019 में वो कांग्रेस में शामिल हुए और 2020 में उन्हें गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. हार्दिक उस वक्त मात्र 27 साल के थे.
हार्दिक का विवादों से है नाता
पाटीदार के अग्रणी नेता हार्दिक का विवादों से भी गहरा नाता है. उनपर सीडी कांड से लेकर पैसों की गड़बड़ी करने तक के आरोप लगाए गए हैं. साल 2015 से 2018 के बीच उन पर 30 FIR दर्ज हुई. हार्दिक पर दंगा फैलाने और देशद्रोह जैसे कई मामले दर्ज हैं. हार्दिक पर कुल 23 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें से 11 मुकदमें अभी चल रहे हैं. शेष मामलों को या तो राज्य ने वापस ले लिया है या फिर गुजरात हाईकोर्ट ने उसे रद्द कर दिया है.
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