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घुतु -घनसाली- चिरबटिया -मयाली - एक लोकोक्ति या जुमला या तुकबंदी : एस एस नेगी

30-09-2023 07:53 AM

डिप्टी कलेक्टर की डायरी से:

     आपने अक्सर इस  लोकोक्ति या जुमला या तुकबंदी को सुना होगा । घुतु -घनसाली- चिरबटिया -मयाली ।


आज से लगभग 20 वर्ष पहले  वर्ष 2003 में ऋषिकेश बस अड्डे पर किसी बस कंडक्टर के मुंह से यात्रियों को जोर-जोर से आवाज देते हुए इस लोकोक्ति या जुमला या तुकबंदी  को मैंने पहली बार सुना था । हुआ यूं कि तब हम तीन दोस्त अपनी नई नौकरी पर ज्वाइन करने के लिए  ऋषिकेश बस अड्डे पर बस की इंतजार में खड़े थे। एक बस कंडक्टर बार-बार हास्य एवं व्यंग के लहजे से इस लोकोक्ति या जुमले या तुकबंदी  को उच्चारित कर रहा था और यात्रियों को अपनी बस में बैठने के लिए आमंत्रित कर रहा था। हमें भी बार-बार इस लोकोक्ति या जुमले  या तुकबंदी को सुनकर मजा आ रहा था और उसकी मुस्कुराहट में हम भी अपनी मुस्कुराहट मिलाने को मजबूर हो रहे थे। बाद के दिनों में हमने दूसरी बसो के कंडक्टरों से भी इस लोकोक्ति या जुमला या तुकबंदी को उच्चारित  होते हुए देखा और सुना । मुझे लगता है कि ऋषिकेश बस अड्डे पर बसों के कंडक्टर अक्सर इसको उच्चारित किया करते थे और हल्की मुस्कुराहट भी उनके चेहरे पर होती थी । जो सुनता था वह भी मंद मंद मुस्कुराता था कि आखिर किस प्रकार की तुकबंदी की गई है । 


   धीरे-धीरे हमें यह जानकारी मिली कि यह चार स्थानों के नाम है जिस रूट पर इस बस को जाना होता है और रुकना होता है । अधिकांश यात्री इन स्थानों से बस में चढ़ते हैं तथा उतरते हैं। 


   बाद के वर्षों में हमें यह भी स्पष्ट हुआ कि घुतु गलत बोलते हैं  बल्कि इसको घोंटी बोलना चाहिए था । हमें यह भी किसी स्थानीय व्यक्ति ने जानकारी दी कि घोंटी अब टिहरी बांध में जलमग्न हो चुका है इसलिए बस कंडक्टर इसके स्थान पर नई जगह घुतु का उच्चारण करते हैं और शायद यह तुकबंदी में उनको अच्छा  लगता होगा जबकि घुतु इन स्थानों के रूट से अलग रूट पर स्थित है।


    बाद  के दिनों में यह  लोगों की जुबान पर एक लोकोक्ति या जुमले या तुकबंदी की तरह हमेशा के लिए चढ़ गई और बच्चा -बच्चा इस लोकोक्ति या जुमले या तुकबंदी से वाकिफ हो गया। आज 20 वर्ष बाद जब मैं उप जिला अधिकारी घनसाली के पद पर कार्यरत हूं । यहां कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत मैंने इन चारों स्थलों का भ्रमण कर लिया है । मेरा अनुभव है कि इस लोकोक्ति या जुमले   या तुकबंदी में जिन चार स्थानों का उल्लेख होता है उनमें पर्यटन, ट्रैकिंग, होमस्टे, विलेज टूरिज्म, पशुपालन, फल पट्टी , आलू व दलहन उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं । यदि चारों स्थान को मिलकर योजना तैयार की जाए तो उत्तराखंड में यह चारों स्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं तथा यह लोकोक्ति या जुमला या तुकबंदी एक नए स्वरूप में इतिहास में  दर्ज होने की क्षमता रखती है । 


   वास्तव में इन चारों स्थानो का भ्रमण करने के पश्चात मेरा स्पष्ट रूप से मानना है कि इन चारों स्थान को जोड़कर प्रदेश का एक लोकप्रिय पर्यटन सर्किट विकसित किया जा सकता है ।  चारों स्थान बहुत खूबसूरत पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकते हैं। 


   घुतु हिमालय की गोदी में बसा हुआ  एक अप्रितम एवं अद्वितीय घाटी है । इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1524 मीटर है । इस घाटी में लगभग 15 से 20 गांव एक कटोरी नुमा भू भाग पर बसे हुए हैं । भागीरथी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी भिलंगना का उद्गम इसी क्षेत्र से होता है। सहस्त्रताल, खतलिंग ग्लेशियर , पवाली कांठा , महाशरताल आदि प्रमुख पर्यटक स्थल इस घाटी में स्थित है। यह  घनसाली से 30 किलोमीटर की दूरी स्थित है। गंगी जैसा दूरस्थ गांव इसी घाटी का प्रथम गांव है जहां आज भी पौराणिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता दृष्टिगोचर होती है । यह घाटी हरी-भरी एवं कृषि प्रधान है। मुझे लगता है कि शायद ही आज भी इस घाटी में कोई खेत बंजर होगा। सभी घर आबाद हैं। विद्यालयों में बड़ी संख्या में छात्र अध्यनरत है। बाजार छोटा है लेकिन चहल-पहल बहुत अच्छी है। यह घाटी धन-धान्य से परिपूर्ण है । कहते हैं कि जब नोटबंदी हुई थी तो इस घाटी के लोग बोरियों में रुपया लेकर के बैंकों तक पहुंचे थे और आज भी इस घाटी के लोग अपनी मेहनत और लगन के बलबूते बहुत संपन्न हैं । इस घाटी में भिलंगना हाइड्रो प्रोजेक्ट के नाम से तीन बांध घुतु से घनसाली के बीच भिलंगना नदी पर निर्मित है तथा बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 


     घनसाली इस सर्किट का केंद्र बिंदु है और यहीं से एक घाटी  घुतु की तरफ तथा दूसरी घाटी चिरबटिया और मयाली की तरफ जाती है । इतना ही नहीं घनसाली को पट्टी बूढ़ाकेदार, 11 गांव , हिंदाव, ढूंग मंदार, कोटी फेबल सहित 11 पट्टी  तथा टिहरी बांध के प्रारंभ बिंदु एवं चौराहे के रूप में जाना जाता है। यहां से खैट पर्वत तथा पीढ़ी पर्वत बहुत निकट है। यह एक नगर पंचायत है। यहां की जनसंख्या लगभग 15 से 20 हजार होगी । स्थानीय गांवो का यह निकटवर्ती बाजार है जिसमें दिन भर चहल पहल देखी जा सकती है । चार धाम यात्रा के रूट का भी यह एक मध्यवर्ती पड़ाव है। यहां पर तहसील, विकासखंड, अस्पताल, विद्यालय, महाविद्यालय, बैंक आदि की सुविधा उपलब्ध है । निकटवर्ती गांव के लोग पलायन कर इस छोटे से नगर को बड़ा नगर बनाने के लिए लगातार बसावट करते जा रहे हैं। पर्यटकों के लिए यहां पर वन विभाग ,लोक निर्माण विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं तथा बहुत से होटल, रेस्टोरेंट तथा होमस्टे संचालित हो रहे हैं । घनसाली पूरे उत्तराखंड राज्य मे विदेशी मुद्रा अर्जन तथा विदेशों में रोजगार की दृष्टि से सर्वोच्च स्थान रखता है । कहते हैं कि यहां के बैंकों में  सर्वाधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है । घनसाली भिलंगना और बालगंगा नदी का संगम स्थल है और चारों ओर से घने चीड के जंगल से घिरा हुआ है ।


   चिरबटिया इस सर्किट का तीसरा स्थल है। यह समुद्र तल से 3234 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । यहां तक पहुंचने के लिए घनसाली से लगभग 30 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है। यह स्थान जनपद टिहरी गढ़वाल तथा रुद्रप्रयाग के केंद्र में स्थित है तथा सीमा निर्धारित करता है ।  चिरबटिया का छोटा सा बाजार दो जनपदों में स्थित है। दोनों जनपदों की सीमा एक गेट से तय होती है और पर्यटक आसानी से समझ जाते हैं कि अब दूसरे जनपद में  प्रवेश करने जा रहे हैं । यदि आपने  चाय कॉफी एक जनपद में पी तो पकौड़ी दूसरे जनपद मे खाई जा सकती है । चिरबटिया बांज ,बुराश, कैल ,देवदार आदि के घने जंगलों से घिरा हुआ ऊंचाई पर स्थित एक सुंदर सा स्थान है। यहां से टिहरी जनपद की नेलचामी पट्टी के साथ ही पट्टी 11 गांव, हिंदाव तथा अन्य क्षेत्रों को भी देखा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर पलट कर देखें तो रुद्रप्रयाग जनपद का जखोली ,उखीमठ और अगस्तमुनि विकासखंड का अधिकांश हिस्सा दिखाई देता है । बाबा केदार की घाटी यहां से साफ-साफ दिखाई देती है । यहां से लगभग 270 डिग्री में हिमालय की पर्वत चोटियां दिखाई देती हैं। हिमालय का एक विहंगम दृश्य चिरबटिया से देखने को मिलता है। यह चार धाम यात्रा के रूट का पड़ाव है। चिरबटिया में यूं तो 10-15 दुकान एवं छोटे-छोटे ढाबे एवं होमस्टे संचालित हो रहे हैं लेकिन यहीं से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर दाहिने तरफ वन विभाग का एक गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है जहां से जनपद रुद्रप्रयाग का लगभग 70% भाग दिखाई देता है।


    मयाली जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित है। यह एक छोटा सा बाजार है। यहां पर स्थानीय गांव के लोग अक्सर खरीदारी करने आते हैं। यह जखोली से होते हुए हल्के ढालदार स्थान पर बसा हुआ एक पर्यटक स्थल है जहां से रुद्रप्रयाग जनपद के एक बड़े भूभाग को देखा जा सकता है। मयाली ट्रैक पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है जो समुद्र तल से लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर है। यह ट्रैक गंगोत्री ग्लेशियर से ओडिन कॉल, खतलिंग ग्लेशियर, मासरताल से मयाली ट्रैक होते हुए वासुकी ताल तथा केदारनाथ तक जाता है।


   इन चारों स्थानो के भ्रमण के उपरांत मेरा स्पष्ट मत है कि पर्यटन की दृष्टि से इन चारों को जोड़कर एक पर्यटन सर्किट विकसित किया जाना चाहिए । इस क्षेत्र में उपलब्ध ट्रैक का विकास करके ट्रैकिंग को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में सेब, अखरोट, खुबानी ,बादाम आदि की फल पट्टी तथा आलू तथा दलहन उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं। इसके साथी इस क्षेत्र में भेड एवं बकरी पालन को बढ़ावा दिया जाना प्रदेश की आर्थिक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।


     स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं प्रबुद्ध नागरिकों को इस दिशा में कार्य करने के लिए आगे आना चाहिए ताकि वर्षों से हास्य व्यंग के रूप में बोले जा रहे रहे इस लोकोक्ति या जुमले या तुकबंदी को हमेशा के लिए एक रोजगारपरक एवं लोककल्याणकारी लोकोक्ति के रूप में चिरस्मरणीय इतिहास बनाया जा सके।

लेखक: शैलेंद्र सिंह नेगी (पीसीएस)

 उप जिलाधिकारी घनसाली एवं प्रताप नगर


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