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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम "महिला में निवेश" महिलाओं की दशा में हुआ है क्रांतिकारी परिवर्तन- शैलेंद्र सिंह नेगी

09-03-2024 04:33 PM

    लेखक शैलेंद्र सिंह नेगी - 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम "महिला में निवेश" निर्धारित किया गया है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि विगत वर्षों में पूरी दुनियाभर में बालिकाओं एवं महिलाओं की दशा में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। उत्तराखंड राज्य में भी महिलाओं की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। विकास के सूचकांकों में महिला विकास स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर भी हो रहा है ।

    आज हमारी माताएं एवं बहने जीवन के हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। अपनी कठिन मेहनत, इच्छा शक्ति और मजबूत इरादों के बल पर उनके द्वारा पहाड़ की विपरीत परिस्थितियों में जहां एक ओर उत्तराखंड की खेती बाड़ी, पशुपालन, जंगलों की रक्षा तथा संस्कृति का संरक्षण किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर प्रगति के विभिन्न सोपानों को हासिल किया जा रहा है। पहाड़ की जीवन शैली में एक नारी का जीवन कितना कठिन एवं दुष्कर होता है, मैंने बचपन से अपनी मां और अपने गाँव की महिलाओं के जीवन में देखा है। सुबह तड़के 4:00 बजे उठना, घर का काम संभालना, गौशाला की व्यवस्था देखना, जंगल से घास लाना, खेतों में गोबर डालना, निराई गुड़ाई करना, पशुओं को जंगल में चराने ले जाना, वापसी में घास और लकड़ी लाना, अपने हाथ से गेहूं मंडवा आदि पीसकर आटा तैयार करना, धान कूटना, बच्चों को स्कूल भेजना, उनके लिए समय पर खाना बनाना, परिवार के बुजुर्गों का ध्यान रखना आदि के साथ-साथ नाते रिश्तेदारी निभाना, सामाजिक कार्यों में भाग लेना, थडिया,चौफला, चाचड़ी, झुमेलों, तांदी, हारुल, छपेली, बाजुबंद आदि लोकनृत्य मे रंगमत होकर अपने कष्ट को भूल जाना और उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को आगे बढ़ाना आदि को मैंने स्वयं अपनी आंखों से देखा है।

  उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने एक गीत में वर्णन किया है कि-

प्रीत की कुंगली डोर सी छन ये,

पर्वत जन कठोर भी छन ये,

हमरा पहाड़ की नारी,

बेटी ब्वारी।

    वास्तव में पहाड़ की माताओ एवं बहनों ने पहाड़ सा संघर्षमय जीवन जिया है लेकिन अब स्थिति बदल रही है । हमारी माताए एवं बहने जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। हमारे लिए गर्व का विषय है कि उत्तराखंड राज्य में उच्च न्यायालय नैनीताल की मुख्य न्यायाधीश श्रीमती रितु बाहरी, उत्तराखंड राज्य की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी , उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका और उत्तराखंड के सुदूर सीमावर्ती जनपद पिथौरागढ की जिलाधिकारी श्रीमती रीना जोशी है। साथ ही जिलाधिकारी नैनीताल सुश्री वंदना सिंह, जिलाधिकारी बागेश्वर श्रीमती अनुराधा पाल हैं, जो बहुत सिद्दत से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं तथा राज्य के विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 

उत्तराखंड राज्य में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा से अनेक उदाहरण पेश किए हैं।

    चमोली जनपद की सुदूर तहसील देवाल की श्रीमती बसंती बिष्ट ने पुरुषों के एकाधिकार वाले गायन एवं वादन जागर विधा में पहली महिला के रूप में समाज को नई दिशा दिखाने का काम किया तथा पुरुषों के परचम को चुनौती दी जिसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इसी प्रकार डॉ माधुरी बडथवाल ने मांगल विधा से उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी एवरेस्ट में फतह करने वाली भारत की पहली महिला बछेंद्री पाल भी हमारे उत्तराखंड की साहसी महिला है जिन्होंने महिलाओं को कठोर एवं ऊंचे पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने की हिम्मत दी है तथा विश्व में भारत एवं उत्तराखंड का मान बढ़ाया है।

    डॉ हर्षवंती बिष्ट, चंद्रप्रभा अटवाल, गंगोत्री गर्बयाल, सुमन कुटियाल, सविता मर्तोलिया, ताशी ,नुंग्सी आदि ने पर्वतारोहण में प्रदेश का मान बढ़ाया है। महिला क्रिकेटर मधुमिता बिष्ट और एकता बिष्ट, ओलिंपिक हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया, भारोत्तोलक सीता गोसाई,द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हंसा मनराल , एथलीट रेनू कोहली और विनीता त्रिपाठी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक मे खेलों के भारत और उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है।

    उर्मि नेगी ने फ़िल्म निर्देशन मे, कबूतरी देवी, बीना तिवारी, अनुराधा निराला, मीना राणा, कल्पना चौहान आदि ने गायन में महिलाओं की आवाज को स्वर दिया है। उत्तराखंड के लिए गौरव का विषय है कि भारत की पहली महिला मेजर जनरल माया टम्टा, प्रथम महिला पुलिस महानिदेशक डॉ कंचन चौधरी भट्टाचार्य, प्रथम भारतीय जूडो महिला रेफरी सुश्री मीनू, प्रथम महिला मिस वर्ल्ड वाइड रितु उपाध्याय उत्तराखंड की रही है। श्रीमती रानू बिष्ट प्रथम महिला प्रकाशक के रूप में समाज में महिलाओं पर लिखी गई रचनाओं को प्रकाशित करने का दायित्व निभा रही है।

    पर्यावरण के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन चमोली जनपद के सुदूर रैंनी गांव की गौरा देवी ने सन 1974 में वनों की रक्षा के लिए महिलाओं को संगठित करते हुए चलाया । इस आंदोलन ने पूरे विश्व को पर्यावरण और वनों के प्रति संवेदनशील होने तथा मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक होने का संदेश दिया। गौरा देवी की चिपको आंदोलन की सहेली श्रीमती बाली देवी ने वर्ष 2004 में संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम में व्याख्यान देकर भारत एवं उत्तराखंड का मान बढ़ाया।उत्तराखंड में महिलाओं की वीरता, शौर्य ,साहस और संघर्ष के रूप में तीलू रौतेली, राजमाता कर्णावती, विशनी देवी शाह आदि को याद किया जाता है।

    बाल विधवा दीपा देवी ( टिनचरी माई ) ने शराब के विरुद्ध आंदोलन छेड़ कर समाज सेवा के क्षेत्र में महिलाओं एवं बच्चों के विकास को नई दिशा दी। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में भी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। बेलमती चौहान , हंसा धनाई की शहादत इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है । यूं कहे तो उत्तराखंड आंदोलन महिलाओं के दम पर आगे बढ़ा और एक सुंदर पर्वतीय राज्य देवभूमि उत्तराखंड के रूप में हमारे सपनों का राज्य प्राप्त हुआ।

    आज भी संसद और राज्य विधानसभा में हमारे प्रदेश की महिलाएं प्रतिनिधित्व प्रदान कर रही हैं । विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी, कैबिनेट मंत्री श्रीमती रेखा आर्य, नैनीताल से विधायक श्रीमती सरिता आर्य, यमकेश्वर से विधायक श्रीमती रेणु बिष्ट, केदारनाथ से श्रीमती शैला रावत, भगवानपुर से श्रीमती ममता राकेश, टिहरी सांसद श्रीमती माला राज्यालक्ष्मी शाह आदि पर्वतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही है।

    पंचायत एवं स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50% आरक्षण प्रदान करते हुए त्रिस्तरीय पंचायत एवं स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है जिसके माध्यम से हजारों महिलाएं विकास के मार्ग को प्रशस्त कर रही हैं। संसद में भी 33% महिला आरक्षण का कानून पारित हो चुका है।इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार द्वारा राजकीय सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 30% क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई है जिसके माध्यम से हमारी बेटियां राज्य की विभिन्न सेवाओं में अपनी काबिलियत को पेश कर रही है।

    राज्य सरकार द्वारा भी महिलाओं के विकास के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। न केवल महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओं के कल्याण एवं विकास की योजनाएं संचालित की जा रही हैं बल्कि प्रत्येक विभाग एवं मंत्रालय के स्तर से महिलाओं को केंद्रित करते हुए विकास की रूपरेखा तय हो रही है जिसके परिणाम स्वरूप बजट में महिलाओं को विशेष हिस्सा प्रदान किया जा रहा है।

    बालिका के जन्म होने पर नंदा गौरा योजना के माध्यम से ₹15000 की धनराशि फिक्स डिपाजिट के माध्यम से से प्रदान की जा रही है। वहीं 12वीं पास करने पर बीपीएल श्रेणी की प्रत्येक बालिका को गौरा देवी कन्या धन योजना के अंतर्गत ₹51000 की धनराशि प्रदान की जा रही है। आंगनवाड़ी एवं आशाओं आदि के माध्यम से हजारों महिलाओं को घर पर रोजगार प्रदान किया जा रहा है।

    स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं में महिलाओं को विशेष छूट एवं लोन में रियायत देते हुए स्वावलंबन के प्रयास किए जा रहे हैं। नगर निगम ऋषिकेश में स्थानीय महिलाओं की त्रिवेणी सेना तैयार की गई है जिनके साथ मिलकर नगर निगम ऋषिकेश द्वारा भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन आदि योजनाओं के क्रियान्वयन में सहभागिता प्राप्त की जा रही है और लाभांश में हिस्सेदारी प्रदान करते हुए महिलाओं के स्वावलंबन के प्रयास किए जा रहे हैं ।

    महिलाओं को यूजर चार्ज कलेक्शन में 25% कमीशन दिया जा रहा है । कूड़ा प्रबंधन, पृथक्करण, निस्तारण, निराश्रित पशु कल्याण, सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर कागज की थैलियां, कपड़े और जूट के थैले बनाना आदि के माध्यम से अधिक से अधिक महिलाओं को नगर निगम की गतिविधियों में सम्मिलित किया जा रहा है तथा उनकी आय वृद्धि के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

    नगर निगम ऋषिकेश द्वारा महिलाओं के स्वरोजगार स्थापित करने हेतु उन्हें मोमबत्ती बनाना, अचार जाम आदि बनाना, ऊनी वस्त्र बनाना ,गोबर के दिए, अगरबत्ती, धूपबत्ती एवं सजावटी सामान बनाना, मशरूम उत्पादन, सजावटी सामान बनाना आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि महिलाओं की आय में वृद्धि हो सके ।

    स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत Recycle, Reuse , Reduce (RRR) की नीति का अनुसरण करते हुए एक अनोखी पहल मुस्कान के नाम से संचालित करते हुए महिलाओं के सहयोग से अनुपयोगी वस्तुओं यथा फ्रिज ,कूलर ,पंखे, टीवी आदि तथा स्कूल यूनिफॉर्म, किताब, कॉपियां, खिलौने एवं दवाइयां आदि स्थानीय लोगों से निशुल्क प्राप्त करते हुए जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाई जा रही है ताकि शहर में अनावश्यक गंदगी न फैल सके तथा जरूरतमंद लोगों द्वारा इनका उपयोग भी किया जा सके।

    8 मार्च 2024 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुझे सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में एक आयोजन में भाग लेने का मौका मिला। जहां पर सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल के प्रबंध निदेशक श्री विपिन बलूनी, डॉ सुशील सिंह राणा, श्री पांडे जी, पूर्व संयुक्त निदेशक खेल श्री सतीश sarki जी सहित विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित थे। 

    इस अवसर पर सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल द्वारा विगत दिवस में आयोजित मास्टर्स वुमन स्पोर्ट्स की प्रतिभागी महिलाओं को प्रशस्ति पत्र, ट्रैकसूट तथा माला पहनाकर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर महिलाओं द्वारा लोकगीत एवं लोक नृत्य भी प्रस्तुत किए गए तथा केक काटकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। वास्तव में महिलाएं न केवल समाज बल्कि किसी भी राष्ट्र की विकास की धुरी होती है। महिलाएं परिवार की रीढ होती है।

    इस सबके बावजूद आज भी महिलाओं एवं बालिकाओं के जीवन में अनेक चुनौतियां विद्यमान है। आज भी उन्हें संवैधानिक रूप से प्राप्त समस्त अधिकार उस सीमा तक प्राप्त नहीं है जहां तक वह उनकी हकदार हैं। उनके साथ परिवार से ही विभेद शुरू हो जाता है। गर्भ में ही उनकी हत्या की साजिश रच ली जाती है। जन्म के बाद कई प्रकार की चुनौतियां उनके सामने खड़ी हो जाती है। समाज की निगाहे उन्हें हर वक्त घूरती रहती हैं। अभी भी लैंगिक समानता एवं आनुपातिक रूप में उनकी संख्या की चुनौती बनी हुई है।

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी महिलाओं से अनुरोध है कि अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सजग रहे तथा बढ़ चढ़कर जीवन की हर गतिविधि में भाग लेते रहे ।


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