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टिहरी:-
पंकज भट्ट- भिलंगना ब्लॉक के पौनाड़ा गांव के ग्रामीणों ने विलुप्त हो चुके वैवाहिक मांगलिक गीतों की दूबारा शुरुआत करने की पहल की है। साथ ही ग्रामीणों ने नशा मुक्त विवाह संपन्न करने का संदेश भी दिया है।
सोमवार को टिहरी जनपद के सुदूर पौनाड़ा गांव अंगूरी और दीपक का विवाह में सामाजिक कार्यकर्ता कमल सिंह पंवार के नेतृत्व में पहाड़ की संस्कृति का अहम हिस्सा रहे वैवाहिक मांगलिक गीतों में महिलाओं ने एक अनूठी पहल की दुबारा शुरूआत की है। गोनगढ़ क्षेत्र के शिक्षा विद्द और समाज सेवी कमल सिंह पंवार ने बताया कि पहाड़ की संस्कृति में वैवाहिक मांगलिक गीतों का विशेष स्थान रहा है, उत्तराखंड राज्य निर्माण से पहले पहाड़ की शादियों में बारातियों का मांगलिक गीतों से स्वागत किया जाता था जिसमें स्वागत के साथ ही हांसी मज़ाक और मनोरंजन का मिश्रण रहता था। लेकिन आधुनिकता के जमाने में मांगलिक गीतों में होने वाले हंसी मजाकों को कुरिति के रूप में प्रचारित कर मांगलिक गीतों को शादियों में गाना बंद कर दिया गया है। बीते 25 सालों में मांगलिक गीत पूरे पहाड़ से बिल्पुत होकर इतिहास बन गए हैं। जिसके कारण वैवाहिक कार्यक्रम संस्कृति की इस मिठास से वंचित हो गए।
वर्तमान दौर में एक बार फिर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा मांगलिक गीतों को विवाह कार्यक्रमों में जोड़ने की पहल की जा रही है। भिलंगना के पौनाड़ा गांव में भी कमल सिंह पंवार के नेतृत्व में महिलाओं ने मांगलिक गीतों को शादियों में दुबारा करने और शादियों को पूर्णतया नशा मुक्त बनाने की पहल की है। मांगलिक गीतों को गाने वाली महिलाओं में जमुना देवी पंवार, दर्वा देवी राणा, प्रमिला देवी राणा,संगीता देवी राणा,जलमा देवी राणा,मीना देवी राणा,लक्ष्मी देवी पंवार,भूमा देवी राणा, धनपता देवी विष्ट, सहित पूर्व जेष्ठ प्रमुख पूरब सिंह पंवार व तमाम ग्रामीण मौजूद रहे।
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