खटीमा गोली कांड की 29वीं बरसी, शहीदों के सपनों के उत्तराखंड का आज भी है इंतजार।
01-09-2023 01:33 PM
विनोद शाह की वाल से:-
एक सितंबर 1994 को उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर खटीमा की सड़कों पर उतरे हजारों आंदोलनकारियों पर बरसी गोलियों को 28 बरस हो गए हैं. पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर खटीमा गोलीकांड में 7 आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी थी. इतने त्याग के बावजूद जो उत्तराखंड मिला क्या वह शहीदों के सपनों का उत्तराखंड है?
1 सितम्बर 1994 को हजारों की संख्या में स्थानीय लोग राज्य की मांग के लिए सड़कों पर उतरें थे. जिसमें महिलाएं अपने बच्चों तक को लेकर सड़कों पर उतर आयी थीं. खटीमा गोलीकांड की आग खटीमा से लेकर मसूरी और मुजफ्फनगर तक फैल गई थी।
खटीमा गोलीकांड में सात लोंगों को अपनी जान गवानी पड़ी. वही 165 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. उसके बावजूद उत्तराखंड आंदोलन के प्रमुख आंदोलनकारीयों का सपना पुरा होता नहीं दिख रहा।
महिलाओं पर पुलिस ने अत्याचार किये, उसके बावजूद महिलाएं आज भी राज्य में अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही हैं. जबकि युवाओं का मानना हैं कि जिस मक़सद से उत्तराखण्ड राज्य बना था, वो पूरा होता नहीं दिख रहा है।
उतराखंड राज्य को बने भले ही 22 साल हो गए लेकिन शहीदों के सपनों का इंतजार आज भी है।