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पौखाल के पास स्यालकुंड में हुआ हादसा, घायलों को उपचार के लिए श्रीनगर भेजा गयाघनसाली: उड़ीसा के यात्रियों की बस टिहरी-श्रीनगर हाईवे पर पौखाल के पास स्यालकुंड में सड़क से लुढ़क कर नीचे एक मकान पर जा गिरी। जिसस...

संपादकीय
गांव में अब किसी भी फसल का उत्पादन करना बहुत मुश्किल दिन प्रतिदिन इसलिए हो रहा है कि प्रथम यह कि 20 परिवार की भूमि के उपभोक्ता घर पर नहीं है मात्र 4/5 परिवार की भूमि बंजर बीच में है अब उस फसल को उजाड़ (गाय,बैल,भेड़ बकरी)से बचाव करना है कि रात्रिकालीन जंगली जानवरों सुअर ,शाही , और भालू से बचाना है कि लंगूर बन्दरों से और जब यह समस्या घर में रहने वाले व्यक्ति करते हैं तो हमारे नेता गण शहरी बुद्धि जीवि और मंचासीन सामाजिक कार्यकर्त्ता बन्धुओं का एक रटारटाया शब्द होता है कि यह समस्या आज ही नहीं अपितु पहले भी यह सारी समस्या थी और उसके बाद भी लोगों ने खेती बाड़ी की आज मात्र बाना है जिसे अर्धसत्य माना जा सकता है क्योंकि तब सामूहिक खेती सांझी चौकीदारी समान कृषिचक्र की परम्परा के साथ 90%जमीन काश्तकारी की थी किन्तु अब ठीक उल्टा है खेत करने से पहले यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि जिस फसल को जानवर और बन्दरों से कम क्षति होती है उसकी खेती यदि करते हैं तो उसकी बुआई जुताई और गोबर ढुलाई में जो व्यय बिवरण इस प्रकार है कि
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