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टिहरी गढ़वाल:- हाल ही में सोशल मीडिया पर चंबा टिहरी क्षेत्र को लेकर एक्सपायरी दवाइयों से संबंधित कुछ खबरें वायरल की जा रही हैं। फेसबुक पर प्रसारित इन खबरों में दावा किया गया कि सरकारी अस्पतालों में एक्सप...




देहरादून
जहां एक तरफ उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद पलायन का दर्द वर्षों से झेल रहे हैं, वहीं पलायन पर विश्लेषण करने वालों की भी कमि नहीं है। उत्तराखंड की पीड़ा को हजारों लोगों ने अपने-अपने स्तर से छोटे बड़े मंचों पर पलायन के दर्द को बताया लेकिन आज राज्य बने २१ साल हो गए लेकिन स्थिति जस की तस है। बल्कि अब हालात और भी बदतर हो रहे हैं । हाल ही में उत्तराखंड के लोक गायक गीताराम कंसवाल और सीमा पंगरियाल के साथ पलायन के इस दर्द को एक दूसरी सच्चाई से जोड़ते हुए एक सुंदर लोकगीत गया है जिसके बोल हैं नेपाली आयो ट्रक में गीत के माध्यम से एक सच्चाई उजागर की है कि नेपाल के लोग हमारे गढ़वाल में रोजगार कर रहे हैं जबकि हमारे लोग खूबसूरत पहाड़ से पलायन कर शहरों में बस रहे हैं। उन्होंने अपने गीत के माध्यम गाया कि नेपाल के लोग पहले सड़कों पर मजदूरी करने के लिए आये थे, उसके बाद खेतों और दुकानों में काम करने लगे लेकिन आज उत्तराखंड में पलायन इस चरम पर है अब उत्तराखंड के अधिकांश पहाड़ी गांवों में प्रधान बनने के लिए भी लोग नहीं रह रखे हैं जिस कारण प्रधान भी अब नेपाली ही है। गीताराम कंसवाल ने अपने गीत के बोल में उत्तराखंडियों से वापस आने की अपील भी की है और अपने घरों को जंगली जानवरों से आबाद करने को भी कहा। वहीं उन्होंने अाखिर में नेपाली प्रधान का जिक्र करते हुए लिखा कि गांव से अपने दस्तावेज बनाने वालों भी जाग जाओ क्योंकि गांव का प्रधान नेपाली है और नेपाली प्रधान अपने रुतबे में है। वहीं यूट्यूब पर लोग भी इस गीत को काफी पसंद कर रहे हैं
आपको बता दें लोकगायक गीताराम कंसवाल इस से पहले सेंकड़ों लोक गीत गा चुके हैं जिसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्ति, पलायन, पौराणिक संस्कृति, देवी देवताओं पर आधारित जागर गीत आदि अपनी मधुर आवाज के माध्यम से उत्तराखंड के लोगों को जगाने का काम कर रहे हैं ।
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