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अब बन्दरों के आंतक से घर में रहना भी मुश्किल-विष्णु प्रसाद सेमवाल।

27-03-2024 03:50 PM

विष्णु प्रसाद सेमवाल की कलम से:- 

एक जमाना था जब अपना घर सबसे बड़ा सुरक्षित स्थान हुआ करता था लेकिन अब गांव में कोई अकेला घर में है तो न जाने कब और किस समय बन्दर घर में आकर झपटा मार दे ।आज ठीक यही स्थिति ग्राम भिगुन में श्री गुरु प्रसाद नौटियाल जी की पत्नी सदैव की भांति अपने गृहकार्य में अपने बरामदे में काम पर व्यस्त थी बन्दर गेट खुलने की प्रतीक्षा में बैठा था और जैसे ही उन्होंने गेट का दरवाजा खोला बन्दर ने तुरंत उन पर हमला कर दिया दोनों हाथों को लुहालुहान कर दिया ईश्वर की अनुकम्पा यह रही कि उसी समय खलिहान में काम करने वाले दो मजदूर वहां आ गए उन्होंने ही हो हल्ला कर जबरदस्ती बन्दर को भगाने में मददगार हुए । मैंने वन विभाग से सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि बन्दरों का न कोई प्रतिकर होता है और न वनविभाग की वन्य प्राणी सूची में बन्दर आते हैं यह सुनकर मन बिचलित है कि इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किस विभाग की होगी आज तो एक हमले में छोटी घटना समझकर टाला जा सकता है किन्तु दिन प्रतिदिन जिस तरह बन्दरों की हिंसक बृति बढ़ती जा रही है और किसी मानवीय जनहानि होती है तो किससे गांव के लोग अपनी सुरक्षा की गुहार लगायेंगे आज एक बहुत पुरानी घटना याद है तिनगढ में तीन चा बच्चों पर हिंसक बिल्ली ने हमला कर पांव की उंगली पांव के पीछे तलवे का दिये मैंने आसपास सभी विभागों को सूचित किया और सबने स्पष्ट कह दिया कि हमारे पास बिल्ली के संदर्भ में कोई गाइडलाइन नहीं है उसके बाद अखबारों में प्रकाशित किया तो स्वास्थ्य विभाग ,राजस्व विभाग और वन विभाग के लोग मेरे पास आये और मुझे डांटते हुए कहा कि तुमको अखबार से पहले विभाग से सम्पर्क करना चाहिए था मैंने पूछा कि बिल्ली किस विभाग की है मैं उसी विभाग के पास जाता हूं तो सब एक दूसरे को देखकर चुप हो गए आज यही स्थिति बन्दरों की संवैधानिक समस्या हमारे लिए है यदि अपने बचाव में कोई वन्य प्राणी को कोई मानव समाज क्षति पहुंचाता है तो सरकारी सारा अमला वन्यजीव संरक्षण, और अनेकानेक समितियां सक्रिय हो जायेगी किन्तु आज गांव में धान सुखाना , सब्जी भाजि उत्पादन करना ,चौक खलिहान में भोजन बनाना और हाथों में किसी भी वस्तु को रखना खतरे से खाली नहीं है तीन चार किलोमीटर चलकर बिद्यार्थी स्कूल से आते हैं यदि बच्चे एक दो होंगे तो बन्दरों का किसी भी हमला हो सकता है घर के बाहर कोई भी चीज सुखा नहीं सकते छोटे बच्चों के हाथ में रोटी का टुकड़ा है तो कब झपटा मार दे , शादी विवाह में ,यज्ञपुराण में मजदूरी में बन्दर सुरक्षा करना पड़ रहा है और जो स्थिति हो रही है अब बन्दरों का आंतक पलायन की मजबूरी होगी सरकार को गम्भीरता से विचार करना चाहिए कि बन्दरों द्वारा जो जन क्षति होती है उसकी क्षतिपूर्ति कैसी हो और उसकी चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित करें

            बिष्णु प्रसाद सेमवाल भृगु

अध्यक्ष ग्रामोदय सहकारी समिति लि भिगुन टिहरी गढ़वाल


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