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जब कभी किसी स्वतंत्रता सेनानी को, याद किया जाएगा
टिहरी शहर के, श्रीदेव सुमन को पहले, याद किया जाएगा।
पच्चीस मई के, दिन टिहरी के बमुण्ड पट्टी के,जौल गांव में,
पं हरिराम बडोनी जी के घर, श्री देव सुमन ने जन्म लिया।
तीन वर्ष के, हुए भी नहीं थे कि, पिता का साथ था छूट गया
घर के ऊपर विपत्तियों का था जैसे कोई पहाड़ टूट गया।
मां तारा देवी ने, बड़े यत्न से उन्हें,पाल पोस कर बड़ा किया
चौदह की उम्र में बड़- चढ़, नमक सत्याग्रह में भाग लिया।
टिहरी राजतंत्र ने, जब एक - एक कर, सारे सपने चूर किये,
तब टिहरी को राजतंत्र से मुक्त कराने को,सुमन मजबूर हुए।
पहले मुनि की रेती जेल में, वो काफी दिन बंद रहे, फिर छूटे,
एक बार गिरफ्तार होकर बाद में, आगरा जेल से,रिहा हुए।
सत्याग्रह आन्दोलन में, फिर घर बार,छोड़कर था कुच किया
श्रीनगर में, नेहरू को अपने कार्यों से अपना,मुरीद किया।
चम्बा में, एक बार फिर, गिरफ्तार होकर, वो फिर जेल गए
भिलंगना के तट कालकोठरी में,बेड़ियों से फिर जकड़े गए।
अत्याचार के विरुद्ध,अनशन कर उन्होंने, जीवन दांव लगाया
राजा का आदेश न माना, राजा ने फिर उनका,अंत कराया।
घनी अंधेरी रात में, भरी बरसात में, भिलंगना में फिंकवाया
उनकी मृत्यु के बाद, टिहरी स्वतन्त्रता आंदोलन, तेज हुआ।
एक अगस्त के दिन ही, फिर टिहरी राजतंत्र का, पतन हुआ
देश में शामिल हो, टिहरी ने,सुमन का सपना साकार किया।
टिहरी को उन्होंने क्रूर राजतंत्र से, मुक्त कराने की ठानी थी
श्रीदेव सुमन के, जीवन की बस यही अज़र-अमर कहानी है।
सिरदर्द से न हो परेशान, यहां मिलेगा उचित समाधान : डॉ शालिनी मिश्रा दौड़ भाग की ज़िंदगी में अक्सर लोगों में सिरदर्द की सबसे अधिक समस्याएं देखने को मिलती है, यहां तक कि आज के दौर में हर तीसरा व्यक्ति सिरदर्द य...