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देहरादून।
नई दिल्ली से निकली 41वीं खतलिंग हिमालय जागरण महायात्रा का यात्रीदल शनिवार को देहरादून पहुंचा, जहां यात्रियों ने उत्तराखंड सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री सुबोध उनियाल से भेंट की। इस अवसर पर मंत्री श्री उनियाल ने यात्रियों को शुभकामनाएं दीं और उनसे हिमालय क्षेत्र में हो रहे पर्यावरणीय परिवर्तनों पर एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमालय केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड की जीवनरेखा है, जिसकी रक्षा सामूहिक जनजागरण से ही संभव है।
हिमालय के प्रति युवाओं में जागरूकता लाने का उद्देश्य:
उत्तराखंड हथकरघा एवं विकास परिषद के उपाध्यक्ष तथा पर्वतीय लोकविकास समिति के संरक्षक श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने बताया कि यह महायात्रा वर्ष 2015 से प्रत्येक वर्ष सितंबर माह में हिमालय दिवस के आसपास आयोजित की जाती है। इसका उद्देश्य युवाओं को हिमालय की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्ता से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि बाबा बूढ़ा केदार से मासरताल और सहस्रताल तक की यात्रा को जोड़ने से क्षेत्र के समग्र विकास की दिशा में नए अवसर खुलेंगे।
बडोनी जी के आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प:
वरिष्ठ पत्रकार और महायात्रा के सहयात्री श्री व्योमेश जुगरान ने कहा कि इंद्रमणि बडोनी जी के स्वप्नों और आदर्शों को साकार करने के लिए यह यात्रा जारी है। उन्होंने बताया कि युवा वर्ग और मातृशक्ति इस महायात्रा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार तथा भाजपा एनजीओ प्रकोष्ठ के संयोजक श्री तेजराम सेमवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि “मेरा सौभाग्य रहा कि 1994 में मैंने बडोनी जी के साथ खतलिंग में भगवान शिव का हवन किया था।” उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालयों के युवाओं को इस यात्रा में भाग लेकर बडोनी जी की विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए।
खतलिंग को ‘पांचवां धाम’ के रूप में विकसित करने की आवश्यकता:
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामकृष्ण भट्ट ने कहा कि हिमालय को बचाने और बडोनी जी की दूरदर्शी सोच को साकार करने के लिए खतलिंग क्षेत्र का विकास आवश्यक है।
पर्वतीय लोकविकास समिति के अध्यक्ष एवं महायात्रा के संयोजक प्रो. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि इंद्रमणि बडोनी जी ने अस्सी के दशक में भगवान शंकर के सिद्धपीठ खतलिंग को “पांचवां धाम” घोषित किया था, जो तिब्बत सीमा से सटा हुआ एक सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि यह स्थान पर्यावरणीय, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और गंगी जैसे सीमांत गांवों के विकास की कुंजी बन सकता है।
समापन पर आह्वान:
महायात्रा दल ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि हिमालय संरक्षण, जल स्रोतों के पुनर्जीवन और क्षेत्रीय विकास के लिए जन-जागरूकता अभियानों को और व्यापक रूप से चलाया जाएगा।
इस अवसर पर पर्वतीय लोकविकास समिति और भिलंगना क्षेत्र विकास समिति के पदाधिकारी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, कमल सिंह रौथान, राजेंद्र सिंह नेगी, अनिल सेमवाल, जयपाल राणा और आशीष सेमल्टी सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।
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