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शहरी
बंदरों का विस्थापन
जहां
एक तरफ उत्तराखंड के गांव हर रोज पालायन कर रहे हैं वहीं विगत कुछ वर्षों से शहरी
क्षेत्रों के बंदरों को पहाड़ की तरफ विस्थापित किया जा रहा है । पिछले 10 वर्षों
से तमाम बड़े-बड़े शहरों से बंदरो को पहाड़ी क्षेत्रों में छोड़ा जा रहा है। जिस
कारण पहाड़ के अधिकांश गावं बंदरों से परेशान है और लोग अपनी खेती को छोड़ रहे हैं
। वैसे तो पहाड़ों में जंगली जानवरों का आतंक पहले से ही है। सूअर, भालू, सोलू आदि
कई जानवरों से पहाड़ के लोग पहले ही परेशान थे । लेकिन ये जानवर सिर्फ रात को ही
नुकासान पहुंचाते थे । जबकि बंदरों के लिए रात दिन कुछ नहीं बंदर लोगों के घरों
में घुस के नुकसान पहुंचाते हैं जबकि अन्य जानवर घरों इतना नुकसान नहीं पहुंचाते ।
पहाड़ों
में पलायन रोकने की बात करने वाली सरकार अभी तक जंगली जानवरों से निजात नहीं दिला
पाई । जो लोग पहाड़ों में रहने के इच्छुक है वो बंदरों और जंगली जानवरों से इतने
परेशान हैं कि उन्होने भी गांव में रहने की इच्छा शक्ति को खत्म कर दिया है अब ।
अगर सरकार और वन विभाग अभी भी नींद से नहीं जागा
है तो जाग जाऔ वरना एक दिन फिर ऐसा आने वाला है की बंदर और अन्य जंगली जानवर फिर
शहरों की और अपना रुख करने वाले हैं, क्योंकि पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में कोई रहेगा नहीं तो जंगली जानवर भी शहर की तरफ ही अपना ठिकाना बनाएंगे ।
दुकान पर सीसीटीवी कैमरा व बिलिंग मशीन मिली खराबघनसाली-नगर पंचयात चमियाला में अंग्रेजी शराब में ओवररेटिंग की शिकायत को लेकर बालगंगा नायब तहसीलदार ग्राहक बन कर दुकान में पौहंचे तो सेलसमेन ने 20 रुपये की ओवररेटि...