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7 सितंबर 2025 चंद्र ग्रहण: पूर्णिमा श्राद्ध तिथि पर लगेगा ग्रहण, जानें सूतक काल, राशियों पर प्रभाव और उपाय

06-09-2025 02:55 PM

इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत विशेष संयोग के साथ होने जा रही है। 7 सितंबर 2025 (रविवार) को पूर्णिमा तिथि पर ही पूर्ण चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह दुर्लभ स्थिति धार्मिक आस्थाओं और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

भारतीय समयानुसार सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ होगा। ग्रहण का स्पर्श रात 09:57 बजे, मध्य 11:42 बजे और मोक्ष रात 01:26 बजे होगा। सूतक काल लागू होने से पूर्णिमा का व्रत निषिद्ध रहेगा। जिन परिवारों में पितरों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि पर किया जाता है, उन्हें 12:57 बजे से पहले ही पिंडदान और ब्रह्मभोज जैसे कर्म पूरे करने होंगे।

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में देखा जाएगा। चूंकि यह पूर्ण ग्रहण है, इसलिए इसका सूतक भी मान्य होगा। ज्योतिष अनुसार यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है। इस समय चंद्रमा राहु से और सूर्य केतु से युक्त होंगे, जिसे अशुभ योग माना गया है। इसके चलते विश्व राजनीति में तनाव, भारत-अमेरिका संबंधों में उतार-चढ़ाव, मध्य-पूर्व में टकराव, प्राकृतिक आपदाएं और आर्थिक संकट की आशंका जताई गई है। आम जनजीवन पर भी इसका असर मानसिक तनाव और असुरक्षा के रूप में हो सकता है।

12 राशियों पर प्रभाव

  • मेष – धन लाभ के योग।

  • वृषभ – स्वास्थ्य में गिरावट, तनाव।

  • मिथुन – संतान से चिंता।

  • कर्क – सुख-सुविधाओं में वृद्धि।

  • सिंह – दांपत्य जीवन में तनाव।

  • कन्या – स्वास्थ्य संबंधी कष्ट।

  • तुला – अपयश की संभावना।

  • वृश्चिक – पदोन्नति और संपन्नता।

  • धनु – आकस्मिक धन लाभ।

  • मकर – आय से अधिक व्यय।

  • कुंभ – शारीरिक कष्ट।

  • मीन – आर्थिक तंगी।

ग्रहण में उपाय

जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित है, वे ग्रहण के समय सफेद वस्त्र, चावल, मिश्री, दूध, दही, घी, मोती, चांदी और दक्षिणा का दान करें।
मंत्र जाप अवश्य करें:

  • ॐ सों सोमाय नमः।

  • ॐ चन्द्रमसे नमः।

गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां

ग्रहण काल में सुई-धागा या धारदार वस्तु का प्रयोग न करें। भोजन पकाने और खाने से बचें। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें और ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर शुद्ध होकर भोजन ग्रहण करें।

निष्कर्ष

2025 का यह चंद्र ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर सनातनी को इस काल में श्रद्धा और आस्था के साथ शास्त्रसम्मत नियमों का पालन करना चाहिए।


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