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नई टिहरी
चंबा ब्लॉक के आपदा प्रभावित बनाली, जिजली और सिल्ला सौड़ गांवों के ग्रामीणों ने मंगलवार को ज्येष्ठ उप प्रमुख संजय मैठाणी के नेतृत्व में जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल से मुलाकात की। ग्रामीणों ने डीएम से प्रभावित परिवारों के शीघ्र विस्थापन की मांग उठाई। उनका कहना था कि लगातार हो रहे भूधंसाव और चट्टान खिसकने से कई घर जर्जर हो चुके हैं और उनमें रहना जानलेवा खतरे से कम नहीं है।
ग्रामीणों ने बताया कि जिजली गांव 18 सितम्बर को आपदा की चपेट में आया, जब एक विशाल पत्थर गिरने से सोनी देवी, कुशलानंद तिवाड़ी, दिनेश तिवाड़ी और प्यारे लाल तिवाड़ी के घरों को गंभीर क्षति पहुंची। इसके चलते प्रभावित परिवार सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जिजली पिछले ढाई दशक से लगातार आपदा की मार झेल रहा है, इसलिए गांव का विस्थापन ही एकमात्र समाधान है।
इसी तरह बनाली गांव में भी दर्जनों परिवार खतरे की जद में हैं, जबकि सिल्ला सौड़ में भी हालात चिंताजनक हैं। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 20 परिवारों के विस्थापन के लिए ग्राम समाज की भूमि उपलब्ध है और शेष परिवारों के लिए भी भूमि की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने आग्रह किया कि आगामी मानसून से पहले प्रभावित परिवारों को नए स्थान पर बसाने की कार्रवाई की जाए।
ज्येष्ठ प्रमुख मैठाणी ने डीएम को अवगत कराया कि बनाली गांव में मेहर सिंह और मोहन सिंह के मकानों की क्षति का अब तक आकलन नहीं हुआ है। वहीं, सिल्ला सौड़ और जिजली में जलापूर्ति पूरी तरह ठप है।
डीएम नितिका खंडेलवाल ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रभावित क्षेत्रों का भू वैज्ञानिकों से सर्वे कराया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर विस्थापन संबंधी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने तहसीलदार बिरम सिंह को तत्काल क्षति का आकलन करने और पेयजल निगम के ईई केएन सेमवाल को जलापूर्ति बहाल करने के निर्देश दिए। इस मौके पर प्रधान उर्मिला देवी, कुंदन सिंह, सोबत सिंह, मनोहर सिंह, अरविंद, कुशल, मनीष, धन सिंह मौजूद रहे।
टिहरी गढ़वाल। आस्था और संस्कृति की धरोहरों से समृद्ध उत्तराखंड में भक्ति रस की नई धारा बह निकली है। टिहरी ज़िले के बिनकखाल स्थित प्रसिद्ध माँ ज्वालामुखी सिद्धपीठ अब ज्वालामुखी चालीसा के प्रकाशन से चर्चाओं म...